मध्य प्रदेश

MP news, लोकायुक्त की धड़ाधड़ कार्यवाही होने के बावजूद इस कारण से भ्रष्टाचारियों में नहीं है कार्यवाही का खौफ।

MP news, लोकायुक्त की धड़ाधड़ कार्यवाही होने के बावजूद इस कारण से भ्रष्टाचारियों में नहीं है कार्यवाही का खौफ।

लोकायुक्त के प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने और लंबित पड़े प्रकरण से बढ़ रहा अविश्वास।

 

मध्यप्रदेश के रीवा जिला लोकायुक्त के पास लगभग 400 से अधिक प्रकरण लंबित है- ? जिले में विवेचकों के 7 पद स्वीकृत हैं जिसमें केवल 3 पद भरे हैं शेष 4 खाली हैं एक केस की विवेचना में लगभग 6 महीने लगते हैं ऐसे में अधिकांश केस वर्षों से लंबित हैं ऐसे प्रकरणों में एक तरफ जहां चालान पेश नहीं हो पा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अभियोजन स्वीकृति भी समस्या बनी हुई है मामलों पर अभियोजन स्वीकृति समय पर न मिलने से पेंडेंसी बढ़ रही है जबकि लोकायुक्त टीम द्वारा धड़ाधड़ कार्यवाही की जा रही है लेकिन समय पर विवेचना नहीं होने और कई मामलों में अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से लेट लतीफी होती है ऐसे में जनता का विश्वास लोकायुक्त से कम होता नजर आ रहा है, आए दिन लोकायुक्त ट्रैप की कार्यवाहियां तो हो रही हैं लेकिन इसका खौफ भ्रष्ट लोकसेवकों पर कम दिखाई दे रहा है जिसका नतीजा यह है की ट्रैप के बावजूद भी भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है।

रीवा जिले में लोकायुक्त और विशेष पुलिस स्थापना की बढ़ती ट्रैप कार्यवाहियों के बीच बढ़ रही पेंडेंसी को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं पिछले कई ऐसे भी मामले देखे गए जहां एक ही लोक सेवक को एक से अधिक बार ट्रैप किया गया जिससे यह सवाल खड़े होने लाजमी हैं की आखिर जब पहली ट्रैप की कार्यवाही हुई तब समय पर चालान पेश होकर अभियोजन स्वीकृति लेकर कार्यवाही क्यों नहीं की गई? आखिर क्यों एक ही लोकसेवक को इतना अधिक समय दिया गया की वह भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करता रहा और लोकायुक्त को दुबारा ट्रैप करना पड़ा-? इस हालत को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि बिना दांत और नाखून वाला बाघ बनकर लोकायुक्त रह गया है जब भ्रष्टाचारियों में खौफ नहीं रह गया।

सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने सवाल उठाया है कि आखिर सरकारें क्यों समय पर अभियोजन स्वीकृति देकर कार्यवाही पूर्ण करने के लिए प्रयास नहीं करती- ? प्रदेश में जिलों और संभागों में विशेष पुलिस स्थापना के खाली पदों को क्यों नहीं भरा जा रहा- ? सूत्रों से प्राप्त जानकारी को मानें तो इस समय रीवा संभाग में ही अकेले लोकायुक्त के लगभग 400 प्रकरण बताए गए हैं जिनकी विवेचना प्रक्रिया में है लेकिन विवेचकों की कमी यहां तक कि वर्तमान में रीवा लोकायुक्त एसपी का ही पूर्णकालिक पद खाली पड़ा है साथ ही विवेचकों के स्वीकृत 7 पदों के विरुद्ध में मात्र 3 विवेचक ही इस समय रीवा में पदस्थ हैं। ऐसे में जाहिर है मामले लंबित होंगे और कार्यवाहियां करने में भी देरी होगी।

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