भाजपा की बखिया उधेड़ राजनीति करने वाले पूर्व विधायक अभय मिश्रा को भाजपा कैसे करेगी एडजस्ट।
भाजपा की बखिया उधेड़ राजनीति करने वाले पूर्व विधायक अभय मिश्रा को भाजपा कैसे करेगी एडजस्ट।
विराट वसुंधरा
रीवा। जिले की राजनीति में चर्चित चेहरा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रीवा अभय मिश्रा और उनकी पत्नी पूर्व विधायक श्रीमती नीलम मिश्रा बीते माह कांग्रेस से भाजपा में आ गए इसकी वजह जो बताई जा रही है उसके मुताबिक अभय मिश्रा को कांग्रेस पार्टी टिकट देने को तैयार नहीं थी इसके पीछे मीडिया में चल रही खबरों और कांग्रेस सूत्रों की माने तो यह बात सामने आई कि कांग्रेस के सर्वे में उनका नाम नहीं था और सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता अभय मिश्रा के विरोध में थे मौके की नजाकत देखते हुए अभय मिश्रा भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर भाजपाई तो हो गए लेकिन अभी तक भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच खुद को समायोजित नहीं कर पाए कार्यकर्ताओं का मानना है कि अभय मिश्रा की ओछी राजनीति किसी से भी छिपी नहीं है जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ने वर्ष 2018 में पंचायती राज संगठन के जरिए पूरे मध्य प्रदेश में भाजपा के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया था और इससे भाजपा को प्रदेश स्तर पर काफी नुकसान हुआ था यह बात अलग थी कि अभय मिश्रा के उस विद्रोह का विंध्य क्षेत्र में कोई फर्क नहीं पड़ा और भाजपा ने रीवा जिले की सभी सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी टिकट के लिए अभी भाजपा में आए हैं और कल फिर कांग्रेस में चले जाएं उनका क्या भरोसा।
अभय ने पीएम सीएम तक को नहीं छोड़ा था।
भाजपा से बगावत कर अभय मिश्रा 2018 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र शुक्ला से भिड़ गए जिसके चलते न सिर्फ अभय मिश्रा हारे वल्कि कांग्रेस पार्टी को भी उनके बढ़बोलापन का शिकार होना पड़ा और विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों में भाजपा ने ऐतिहासिक रूप से 24 सीट जीतकर कांग्रेस को बैक फुट पर ला दिया था जबकि विंध्य क्षेत्र छोड़कर पूरे प्रदेश में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा था ज्ञात हो कि भाजपा में रहते ही वर्ष 2018 में अभय मिश्रा ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था तो वही सेमरिया क्षेत्र से उनकी पत्नी नीलम मिश्रा विधायक रही और भाजपा सरकार के खिलाफ सदन में ही धरना प्रदर्शन की थी इतना ही नहीं बड़ा नेता बनने के चक्कर में अभय मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह चौहान के बारे में खूब अनाप शनाप बयानबाजी की थी और उन पर गंभीर आरोप भी लगाए थे और उन्हें मानसिक रोगी तक बताया था। अभय मिश्रा यहीं तक नहीं रुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना ईस्ट इंडिया कम्पनी से करते हुए कहे थे कि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो चली गई लेकिन हम आज नरेंद्र मोदी की इंडिया में त्राहिमाम कर रहे हैं अभय मिश्रा ने अमित शाह को महाभारत के दुर्योधन जैसा अहंकारी बताते हुए कहा था कि अमित शाह का अहंकार जनता को प्रताड़ित करता है अभय मिश्रा ने केंद्र सरकार को अदाणी सरकार बताते हुए कहा था कि भाजपा सरकार अराजकता और लूटपाट करने वाली सरकार है भाजपा के सांसद विधायक जनता की सेवा करने के लिए नहीं सिर गिनने और जीहुजूरी करने के लिए बनाए जाते हैं राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि इस तरह से अभय मिश्रा ने बड़ा नेता बनने के लिए किया था लेकिन जनता ने उनके इस तरीके को नकार दिया।
राजेंद्र शुक्ल से भिड़ना पड़ा था महंगा।
अभय मिश्रा भाजपा में रहते ही प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिए थे और 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र के दिग्गज नेता राजेंद्र शुक्ल से भिड़ गए और उनके ऊपर व्यक्तिगत आक्षेप लगाकर सुर्खियां बटोर रहे थे उस दौरान ऐसा लग रहा था कि अभय मिश्रा राजनीति में काया पलट कर देंगे लेकिन राजेंद्र शुक्ल के सामने उनकी एक न चली और 18 हजार मतों से पराजित हुए थे कांग्रेस की सरकार रहते तो उनका ठीक था लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव पर उनकी नजर थी उनको पता चल चुका था कि अब रीवा विधानसभा में राजेंद्र शुक्ल के सामने उनकी दाल नहीं गलने वाली है लिहाजा अभय मिश्रा ने सेमरिया विधानसभा क्षेत्र की तरफ रुख कर लिया।
भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी को लिया निशाने पर।
रीवा से पलायन कर सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलासने निकले अभय मिश्रा ने अपने चिर परिचित अंदाज में भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी को निशाना बनाया जिनके खिलाफ बीते दो वर्षों से वही पुराने षडयंत्र और तिलस्म की नीति अपनाते हुए विवादित और बदनाम करने में पूरी ताकत झोंक दिए तो वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी कांग्रेस में उनकी छवि को लेकर कांग्रेस की सर्वे सूची में नाम न होने और स्थानीय कांग्रेस नेताओं का अभय मिश्रा द्वारा विधायक विरोधी मुहिम में सहयोग नहीं मिलने से यह आभास हो गया था कि कांग्रेस पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिलने वाली है और कांग्रेस की टिकट मिल भी गई तो भाजपा नेता के पी त्रिपाठी को हराना मुश्किल है ऐसे में भाजपा के कुछ बड़े नेताओं को साधकर भाजपा में शामिल तो हो गए लेकिन टिकट यहां भी उनका खटाई में है क्योंकि वर्तमान विधायक केपी त्रिपाठी ने सिमरिया क्षेत्र में उनके कार्यकाल से बेहतर विकास कार्य कराए है ऐसा स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है और केपी त्रिपाठी के स्थानीय नेता होने के चलते उन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही जानता भी पसंद करती है और बीते चुनाव में केपी त्रिपाठी अब तक के सर्वाधिक मतों से जीतने वाले सेमरिया क्षेत्र के विधायक बने थे जबकि विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को सेमरिया क्षेत्र में मुकाबला से बाहर बताया जा रहा था लेकिन केपी त्रिपाठी ने हरी हुई बाजी जीत कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया था।
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में नहीं बना पाए सामंजस्य।
भाजपा में रहते भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और कांग्रेस पार्टी में रहते भाजपा नेताओं का अपमान अब भी भाजपा कार्यकर्ता नहीं भूले हैं ऐसे में अभय मिश्रा भाजपा में तो आ गए हैं लेकिन स्थानीय भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में सामंजस्य नहीं बैठा पाए इस मामले में भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधायक केपी त्रिपाठी से भाजपा कार्यकर्ता लगाव रखते हैं और 2018 के विधानसभा चुनाव में केपी त्रिपाठी की विजय स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं की ही मेहनत का नतीजा था क्योंकि अभय मिश्रा ने जब भाजपा छोड़ी थी तब किसी कार्यकर्ता ने भाजपा नहीं छोड़ी और वर्तमान समय में भी यही हालात हैं कि भाजपा के स्थानीय संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता केपी त्रिपाठी के ही साथ खड़े हैं इस बात से भाजपा शीर्ष नेतृत्व भी भली भांति परिचित हैं क्योंकि सेमरिया क्षेत्र में एकमात्र अभय मिश्रा ही ऐसे नेता है जिन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में विधायक केपी त्रिपाठी के खिलाफ साम दाम दंड भेद सभी नीति अपना चुके थे लेकिन सफल नहीं हुए तब के दो माह पहले तक भाजपा और विधायक की बखिया उधेड़ विरोध करने वाले अभय मिश्रा को अब भाजपा कैसे एडजस्ट करेगी यह सवाल इन दिनों राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि अभय मिश्रा के बगावत और बादशाहत बनाए रखने की नीति ना तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पसंद थी और न अब भाजपा के कार्यकर्ता को पसंद हैं तो वहीं जन चर्चा यह भी है कि अभय मिश्रा ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तो उन्होंने कमलनाथ को अच्छा इंसान बताते हुए तारीफ की थी और सिर्फ जिला कांग्रेस संगठन और प्रभारी पर आरोप लगाए थे और अभी भी कांग्रेस पार्टी के संपर्क में हैं।
भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा का शक्ति प्रदर्शन।
बीते माह भाजपा द्वारा निकली गई जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान केपी त्रिपाठी के कार्यक्रम में लगभग 20 हजार जनता शामिल रही रीवा बाईपास से लेकर कुछ जगह छोड़कर अधिकांश जगह पर विधायक के पी त्रिपाठी के समर्थक ही नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ अभय मिश्रा द्वारा आयोजित कार्यक्रम के मुकाबले केपी त्रिपाठी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जनता काफी अधिक थी और लोगों का यह भी कहना था की अभय मिश्रा के कार्यक्रम में सिरमौर क्षेत्र के लोगों को भी लाया गया था भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में विधायक के पक्ष में उमडा़ जन सैलाब यह साबित करने के लिए काफी था कि भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता की पसंद वर्तमान विधायक के पी त्रिपाठी ही हैं अब ऐसे में मौजूदा विधायक के पी त्रिपाठी का टिकट कटना संभव नजर नहीं आता तो वही भाजपा सूत्रों का कहना है कि केपी त्रिपाठी की टिकट पक्की है और अगर अभय मिश्रा को टिकट नहीं मिलती तो अभय मिश्रा को भाजपा कैसे एडजस्ट करेगी यह विषय पहेली बना हुआ है।