MP news, ऐसे थे सफेद शेर कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व श्री युत श्रीनिवास तिवारी, आज उनकी पुण्यतिथि पर विशेष।

MP news, सफेद शेर कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व श्री युत श्रीनिवास तिवारी की पुण्यतिथि पर विशेष।

 

19 जनवरी 2018 वह तारीख थी जिसे आज भी लोग याद करते हैं क्योंकि इसी दिन सफेद शेर के नाम से मशहूर राजनेता श्री युत श्रीनिवास तिवारी ने 91 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहा था रीवा जिले के मनगवां विधानसभा क्षेत्र के ग्राम तिवनी निवासी श्री युत श्रीनिवास तिवारी विंध्य क्षेत्र को देश के राजनीतिक नक्शे में बड़ी पहचान दिलाने वाले दिग्गजों में गिने जाते हैं कांग्रेस नेता स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी अपने राजनीतिक कौशल, कार्यशैली और तेज तर्रार तेवरों के लिए राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले नेताओं में गिने जाते थे उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सरकार रहते अपने राजनीतिक प्रभाव से ऐसी पहचान बनाई कि आज भी उनके पावर पॉलिटिक्स को लोगों द्वारा याद किया जाता है उनके निधन के बाद उनके अंतिम दर्शन करने लाखों की संख्या में जन सैलाव उमड़ पड़ा था उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ यह बाता रही थी कि लोगों के दिलों में श्री युत श्रीनिवास तिवारी कितने खास शख्सियत थे उन्होंने सात दशक तक का राजनीतिक सफर तय किया था उनके राजनीतिक कौशल, कार्यशैली और तेवरों के कारण लोगों ने उन्हें कई संज्ञाएं दी थी जिसमें सफेद शेर, विधान पुरुष, विंध्य पुरुष, दादा, श्रीयुत आदि।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने कहा था सफेद शेर।

एक ऐसा भी समय आया जब देश की प्रधानमंत्री रही स्व इंदिरागांधी ने श्रीनिवास तिवारी को 1973 रियल टाइगर कहा था। श्रीनिवास तिवारी को गहन संसदीय ज्ञान था, कानून की जानकारी और लंबे राजनीतिक अनुभव के कारण सदन पर उनकी पकड़ मजबूत रहती थी उसके राजनीतिक कौशल और संसदीय ज्ञान के कारण उन्हें विधान पुरुष भी कहा जाता था अविभाजित मप्र और उसके बाद भी उन्होंने पृथक विंध्य की वकालत की थी उनके राजनीतिक जीवन में वह यादगार दिन था जब विंध्य प्रदेश का विलय कर मप्र बनाया जाना था। उसकी पूर्व संध्या पर सदन में हुई बहस में लगातार 5 घंटे तक उन्होंने पृथक विंध्य प्रदेश के पक्ष में भाषण देकर सदन के अंदर मौजूद सभी सदस्यों को स्तब्ध कर दिया था अक्सर सदन में जब वह बोलते थे तब सदन में मौजूद सदस्य मौन रहकर उनकी बात सुनते थे इसी तरह जमींदारी प्रथा के खिलाफ भी उन्होंने सात घंटे तक भाषण दिया था,देश में पहली बार विधानसभा के भीतर मुख्यमंत्री प्रहर कार्यक्रम शुरू कराने वाले श्री युत श्रीनिवास तिवारी ही ऐसे नेता थे जिसमें अनिवार्यरूप से मुख्यमंत्री को जवाब देना होता था।

ऐसे बने खास शख्सियत।

कम उम्र में पहली विधानसभा का चुनाव लड़ें और जीते लेकिन उनकी उम्र कम थी लिहाजा मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया जहां कुंडली लगाकर उन्होंने अपनी उम्र साबित कर विधानसभा की सदस्यता सुरक्षित रखा इसके साथ ही मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री रहते उन्होंने शिक्षा विभाग की फाइल में हस्ताक्षर कर दिया इस मामले में जब सवाल उठा तो उन्होंने हाईकमान को दो टूक कह दिया कि मैंने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है, किसी एक विभाग की नहीं उसी समय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह जो दिल्ली दरबार में अपनी दखल रखते थे उनके खिलाफ भी आवाज उठाते हुए कहे थे कि वह भी मंत्री की तरह ही विधायक हैं, वो भी सब कुछ नहीं हो सकते हालांकि छः महीने तक मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे और फिर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था उसके बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कार्यकाल रहा तब दस वर्षों तक मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष रहे इस दौरान उन्होंने साबित किया कि राजनीति कैसे की जाती है और विधानसभा अध्यक्ष का पावर क्या होता है।

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