MP news, फंडिंग और वोट दोनों के लिए लगेंगे चक्कर,परदेसी वोटों के लिए बुक होती हैं टिकटें।

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फंडिंग और वोट दोनों के लिए लगेंगे चक्कर,परदेसी वोटों के लिए बुक होती हैं टिकटें।

परदेसी चितारे म्होने आवै हिचकी..आने-जाने का किराया और खर्च देते है प्रत्याशी।

विराट वसुंधरा, ब्यूरो
सीधी:-परदेसियों को विधानसभा चुनावों की जितनी फिक्र नहीं है उतनी अब इनकी याद नेताओं व पार्टियों को होने लगी है और परदेसियों को अब इस याद में हिचकियां आनी शुरू हो गई है। जिले से बाहर रहने वाले लाखों मतदाताओं को मतदान के दिन तो बुलाना ही है उससे पहले नेताओं को चक्कर लगाने जाना पड़ेगा। यहां पार्टी और नेताओं के लिए फंडिंग का रिवाज भी है। सीधी जिले के मतदाता मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, केरल, पंजाब, दिल्ली और अन्य कई राज्यों में हैै। इनकी अनुमानित संख्या लाखों में है। कोरोनाकाल में एक लाख के करीब प्रवासियों का आंकड़ा सामने आया था।

फंडिंग की तैयारी:-

परदेस में रहने वाले हर जाति समुदाय के लोग हैै। जैसे ही इन्हें पता चलता है कि इनके जाति के प्रत्याशी को टिकट मिला है,वहां उसको बुलाने एवं फंडिंग करने का रिवाज है। इसके लिए खुद प्रत्याशी को एक बार पहुंचना पड़ता है।

बसें और किराया भाड़ा:-

परदेस से आने वाले वोटों का जिम्मा शहर के अनुसार बांटा जाता है। इसके लिए वहां मजदूरी करने वालों को आने जाने की सुविधा, किराया और उनका सामान्य खर्चा देते है ताकि वो वोट के दिन जरूर पहुंचे।

अच्छा प्रत्याशी चुनने की चिंता:-

परदेस में बसे हुए लोगों को भी यह फिक्र हैै कि वे अपने यहां पर बेहतर प्रत्याशी का चुनाव करें, इसकेे लिए वे यहां पहुंचते हैै। ऐसे लोगों का मानना है कि चुनाव के समय वे किसी प्रलोभन में नहीं आते है। जो प्रवासियों की समस्या और उनके क्षेत्र के विकास के लिए काम करते है, उनको वोट देना वे जिम्मेदारी समझते है।

इनकी सुनिए।

– वोट देना हमारा कर्तव्य है। हर बार चुनाव में हमारा परिवार पहुंचता है। हम चाहते है कि ऐसे प्रत्याशी का चुनाव करें जो हमें परदेस में भी कभी कोई मुश्किल पड़े तो हमारी मदद करें। गांव में भी जब कोई कामकाज हों तो परदेसी कितने दिन के मेहमान, जब भी आए काम तत्परता से हों। ऐसे व्यक्ति के चुनाव के लिए वोट देना बहुत जरूरी है। वो भी जानते है कि ये लोग वोट देने आए थे।
-समदा पटेल

– हम व्यापारी वर्ग के लोग हैै। कामकाज के लिए सीधी से बाहर सूरत में है। स्थायी निवासी से ज्यादा हमें अच्छे व्यक्ति का चुनाव करना जरूरी है। हम लोग अपने घर के अलावा यहां पर भी सुरक्षा और संबल के लिए अपने प्रत्याशी का चुनाव करते है। हमें जब जरूरत हों तो वो हमारी मदद करे। परदेस में हर किसी को सपोर्ट चाहिए। इसके लिए अच्छे व्यक्ति का चुनाव जरूरी है।
– प्रभुदान पनिका

हम अभी सूरत में रह रहे है। सैकड़ों किलोमीटर दूर गांव में परिवार के लोग रहते हैै। हमारा भी आना जाना रहता है। जमीन से जुड़ाव कभी खत्म नहीं होता। रोजगार के बाद जब भी घर पहुंचते हैै एक ही बात रहती है कि हमारे गांव के क्या हाल है। बस, यही जुड़ाव हमें चुनावों से जोड़ता है। जब भी चुनाव होते है हम लोग पहुंचते है। प्रत्याशी और पार्टी के लोग संपर्क करते है। सोच-विचार कर जिसकी मदद करनी होती है, करते हैै। –
-किशन सिंह गोड़

परदेसियों को कोरोनाकाल में इतनी जरूरत हुई थी कि पूछिए मत। हमें घर आना था और बिना किसी की बड़ी सिफारिश के आना मुश्किल। इसके अलावा भी कई अवसर आए है जब हमें लगता है कि अपने यहां का प्रतिनिधि ही हमारी मदद कर सकता है। इसलिए हम चुनाव में जरूर आते है और सही व्यक्ति का चुनाव करते है। इस बार भी चुनाव में आएंगे। –
-जयदेव प्रजापति

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