Holika Dahan: “होलिका दहन की आग से जलता है मालवा के घरों का चूल्हा, एक अनूठी परंपरा का जीता जागता उदाहरण”

“होलिका दहन की आग से जलता है मालवा के घरों का चूल्हा, एक अनूठी परंपरा का जीता जागता उदाहरण”
Holika Dahan: मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में होलिका दहन की एक अनूठी परंपरा है, जिसे यहाँ के लोग बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाते हैं। इस परंपरा के अनुसार, होलिका दहन की आग से घर के चूल्हे में सुलगती हुई आंच को लिया जाता है और यह पूरे साल जलती रहती है। इसे एक प्रकार से घर में समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है। लोग मानते हैं कि होलिका की आग से बुराई का नाश होता है और अच्छाई का आगमन होता है। इस परंपरा का संबंध हिन्दू धर्म की आस्थाओं से जुड़ा है, जहां होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है।
यह परंपरा न केवल धार्मिक(Religious) आस्था का प्रतीक है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी बन चुकी है, जो हर साल होली के मौके पर बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। लोग होलिका दहन के समय इस आग से अपने घर के चूल्हे की आंच जलाते हैं, जिससे यह विश्वास उत्पन्न होता है कि पूरे साल घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है। मालवा में यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है और हर साल होली के त्योहार के साथ इसकी विशेष महत्ता बनी रहती है।
आधुनिकता में भी जिंदा परंपरा
आजकल houses में चूल्हे की जगह गैस चूल्हे ने ले ली है, फिर भी होलिका दहन(Holika Dahan) की राख और कोयले को घर लाने की प्रथा आज भी कायम है। लोग इसे स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों(rural areas) में कई परिवार आज भी साल भर होलिका की अग्नि को संरक्षित रखते हैं और इसका उपयोग चूल्हा जलाने के लिए करते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक मान्यताओं को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य से भी जुड़ी है।
फसलों की सुरक्षा और परंपरा
होलिका दहन प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ा हुआ है। आगर मालवा के प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेंद्र शास्त्री बताते हैं, “शास्त्रों के अनुसार, धुंधा नाम की राक्षसी फसलों को नुकसान पहुंचाती थी। लोगों ने घास और लकड़ियों से बड़ी आग जलाई, जिससे वह डर गई और भाग गई।”
इसी मान्यता के कारण Malwa में लोग होलिका दहन के दिन अपने खेतों से गेहूं की बालियां लाते हैं, उन्हें आग में सेंकते हैं और खाते हैं। उनका मानना है कि इससे फसल बीमारियों से सुरक्षित रहती है और अगली फसल भी अच्छी होती है।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश
होलिका दहन(Holika Dahan) के माध्यम से मालवा के लोग बुराइयों और राक्षसी प्रवृत्तियों को मिटाने का संदेश देते हैं। अग्नि जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और सुगंधित होता है। यह प्रथा Malwa’s cultural विरासत का अभिन्न अंग है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी लोगों के जीवन में गहरी पैठ रखती है।
मालवा(Malwa) में होलिका दहन का यह अनूठा तरीका न केवल परम्पराओं को जीवित रखता है, बल्कि सामुदायिक एकता और प्रकृति के प्रति सम्मान को भी उजागर करता है। 14 मार्च को होलिका दहन के साथ यह परंपरा एक बार फिर देखने को मिलेगी।