कर्नाटक में मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने पर CM मोहन यादव ने उठाए सवाल, अदालत में नहीं टिक पाएगा
MP NEWS: कर्नाटक सरकार द्वारा मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने की योजना पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे निंदनीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम न्यायिक दृष्टिकोण से गलत है और अदालत में टिक नहीं पाएगा। मुख्यमंत्री ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर प्रदान करना होना चाहिए, न कि किसी विशेष समुदाय को लाभ पहुँचाना।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक देश में किसी धर्म विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नियम-कायदे बनाना कांग्रेस के अनैतिक चरित्र को दर्शाता है। कर्नाटक सरकार का यह फैसला समाज को बांटने वाला है। हमारी सरकार दलितों, पिछड़ों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए काम कर रही है।’’ उन्होंने इसे ‘भारत तोड़ो’ विचारधारा का हिस्सा बताया।
कांग्रेस पर निशाना
CM Yadav ने कहा कि इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने हमेशा समाज को बांटने की राजनीति की है। कर्नाटक सरकार का यह निर्णय उसी बेकार की राजनीति का उदाहरण है। उन्होंने कहा, “न्यायालय पहले ही धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ निर्णय दे चुके हैं। यह निर्णय भी अदालत में टिक नहीं पाएगा।” उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अपील की कि वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर तुष्टिकरण के फैसले को पलटने के लिए दबाव डालें।
मुख्यमंत्री का जोर, समान अवसर पर हो फोकस, न कि आरक्षण
Chief Minister Mohan Yadav ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका मानना है कि समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाने चाहिए, न कि किसी विशेष समुदाय के लिए आरक्षण। उन्होंने संकेत दिया कि कर्नाटक सरकार के कदम को अदालत में चुनौती दी जाएगी और अंततः यह योजना कानूनी रूप से वैध नहीं होगी। मुख्यमंत्री श्री यादव ने कहा कि सरकारी नीतियां निष्पक्ष तरीके से बनाई जानी चाहिए ताकि सभी वर्गों को समान लाभ मिल सके।
BJP का रुख
Chief Minister BJP की प्रतिबद्धता दोहराई कि उनकी सरकार सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम कर रही है। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेसी भारत को जोड़ने की बात करते हैं, लेकिन उनके फैसले भारत को तोड़ने की नीति को दर्शाते हैं।’’ इस बयान से दोनों दलों के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
कर्नाटक का फैसला
Karnataka Government ने हाल ही में सरकारी ठेकों में ठेकेदारों के लिए धर्म आधारित आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया था, जिसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संविधान विरोधी और समाज को विभाजित करने वाला बताया। उनका कहना है कि यह कदम न केवल अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को दर्शाता है, बल्कि समानता के सिद्धांत को भी कमजोर करता है।
आगे की राह
CM Yadav ने इस मुद्दे पर कानूनी और राजनीतिक लड़ाई की ओर इशारा किया। उनका मानना है कि यह निर्णय न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के भी विरुद्ध है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कर्नाटक सरकार इस आलोचना पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या मामला अदालत तक पहुंचेगा।