MP news, बोतल से फिर वाहर निकला स्वास्थ्य विभाग के वाहन टेंडर का जिन्न।

MP news, बोतल से फिर वाहर निकला स्वास्थ्य विभाग के वाहन टेंडर का जिन्न।
मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे पाए य न दे पाए लेकिन व्यवस्था के नाम पर खरीदी और धन खर्च के मामले में अव्वल रहती है और ऐसा एक जगह नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में होता रहता है और आए दिन अखबार की सुर्खियों में स्वास्थ्य विभाग बना रहता है स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक अपनी सेवाएं अस्पतालों में दें या ना दें इससे स्वास्थ्य विभाग का कोई लेना-देना नहीं है लेकिन कागजी घोड़े पर स्वास्थ्य विभाग की बेहतर सेवाएं दौड़ती रहनी चाहिए ताजा मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से सामने आया है जहां सोशल मीडिया में स्वास्थ्य विभाग के कारनामे चर्चा के विषय बने हुए हैं बताया जाता है कि लगातार विवादों से घिरे रहने वाले मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने भोपाल से लौट के तुरंत बाद ही वाहन टेंडर का खेल शुरू कर दिया था अचानक वहां टेंडर का जिन बंद बोतल से बाहर निकाल कर अब हड़कंप मचा रहा है।
सोशल मीडिया में चल रही खबर के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त माह मै जिले भर की स्वास्थ्य सेवायो के लिए एक टेंडर निविदा आमंत्रित की थी, इस निविदा प्रक्रिया मे लगभग 7 प्रतिभागियो ने हिस्सा लिया था, डॉ गुप्ता ने तकनीकी लिफाफा खोलने के वाद अचानक पूरी निविदा प्रक्रिया रोक दी और उसे ठन्डे बस्ते मै डाल दिया | फिर अचानक 6 महीने वाद शेष बचे 5 निवदाकारो की बित्तीय निविदा खोल दी, वित्तीय निविदा खोलने की पूरी प्रक्रिया अपर क्लेक्टर कार्यालय मै सम्पन्न हुई, यह पहला अवसर था जब मीडिया के दबाब के कारण पूरी कमेटी को उपस्थित होना पड़ा था।
सूत्र बताते हैं की वित्तीय निविदा मै कोई भी निविदाकार सही दरे कोड करने मै सफल नहीं हो पाया था, दर असल यह टेंडर और इसका BOQ गलत तरीके से अपलोड किया गया था सूत्रों के अनुसार किसी निविदाकार की बोलोरो दरे कम थी तो किसी निविदाकार की हाई ब्रिड वाहनो की दरें कम थी जिस कारण निविदा समिति ने टेंडर रद्द करने का निर्णय लेकर पूरी प्रकिया को फिर ठन्डे बस्ते में डाल दिया।
अब अचानक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर पी गुप्ता ने टीकमगढ़ एवं नौगांव की फर्मो को एक पत्र जारी कर 20 मार्च को 11 बजे अपने कार्यालय मै एल बन निर्धारण के लिए आमंत्रित किया हैं | फर्मो को आमंत्रित करने संबंधी पत्र जारी होते ही लोगो ने पूरी टेंडर प्रकिया पर सवाल खडे कर दिए क्योंकि किसी भी टेंडर प्रक्रिया मै एक से अधिक एल वन नहीं होते।
वही दूसरी ओर जब निविदा समिति ने पूरी प्रक्रिया को नोट शीट में रद्द करने का निर्णय ले लिया था तव फिर अचानक बंद प्रक्रिया को प्रारम्भ करने से सवाल उठना लाजमी हैं, अब देखना यह हैं कि ज़िला प्रशासन इस गंभीर मामले को किस नजरिए से देखता हैं।