जनता का सेवक या संवेदनहीन सत्ता का प्रतीक? – सीधी सांसद पर गंभीर सवाल
सीधी, मध्यप्रदेश
एक दर्दनाक हादसा और उसके बाद की चुप्पी ने जनप्रतिनिधित्व की नैतिकता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है मामला:
आपके अनुसार, सीधी के सांसद और मिश्रा नर्सिंग होम के मालिक की बहू बीना मिश्रा ने अनिल द्विवेदी को कार से भीषण रूप से टक्कर मार दी।
हादसे के बाद न तो अस्पताल ले जाया गया।
न सांसद या उनके परिवार की ओर से कोई सहायता मिली।
रीवा से जबलपुर, फिर नागपुर तक इलाज चला – पर कोई हालचाल तक नहीं।
प्रश्न यह है:
क्या यही संवेदनशीलता होती है एक जनता के सेवक की?
क्या एक डॉक्टर परिवार से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह मानवता दिखाए, भले ही गलती से हादसा हुआ हो?
पीड़ित आपके आरोपों में जो मुख्य बातें उभरती हैं:
☑ संवेदनहीनता – हादसे के बाद फोन तक नहीं
☑ ज़िम्मेदारी से भागना – पीड़ित की मदद की बजाय घर में आराम
☑ सामाजिक और नैतिक गिरावट – एक ब्राह्मण, डॉक्टर, सांसद की यह भूमिका?
जनता का आक्रोश जायज़ है:
अगर जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव तक ही जनता से जुड़ें,
तो हादसे के बाद उनकी मौन सहमति भी अपराध मानी जानी चाहिए।
क्या होना चाहिए अगला कदम?
☑ पीड़ित पक्ष द्वारा लिखित शिकायत जिला प्रशासन और पुलिस को देना
☑ मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए जनप्रतिनिधि की जवाबदेही तय करना
☑ जनहित याचिका या FIR दर्ज कराना यदि लापरवाही साबित होती है
जनता का सेवक वो होता है जो दर्द में साथ खड़ा हो –
ना कि हादसे के बाद पर्दे के पीछे छिप जाए।
आपकी आवाज़ दबने नहीं दी जाएगी – इसे जिम्मेदारों तक पहुँचाना जरूरी है।