MP news: पुलिस के अधिकारियों से प्रताड़ित ASI ने थाना परिसर में की आत्महत्या,

MP news: पुलिस के अधिकारियों से प्रताड़ित ASI ने थाना परिसर में की आत्महत्या।
रेत माफियाओं से पुलिसिया कनेक्शन बना एएसआई की मौत का कारण।
देखिए वीडियो 👇
मध्य प्रदेश के दतिया जिले से एक ऐसी खौफनाक घटना सामने आई है जो पुलिस प्रशासन के लिए गंभीर विषय ही नहीं बल्कि लगने वाली आरोपों को सच साबित करता है थाना प्रभारी से तंग आकर पुलिस के एएसआई में थाना परिसर में ही फांसी के फंदे पर लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी है इससे पहले एएसआई ने एक वीडियो बनाया था जो अब सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है पूरा मामला मध्य प्रदेश के दतिया जिले के थाना गोदान से सामने आया है जहां पुलिस के सहायक उप निरीक्षक प्रमोद पवन ने थाना परिसर में फांसी के फंदे पर लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है इस घटना से पहले पुलिस के सहायक उप निरीक्षक में एक वीडियो बनाया था जो अब सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है इस कथित वीडियो में उन्होंने दो थाना प्रभारियों पुलिस के आरक्षक और रेत माफिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहां है कि अगर उन्हें कुछ होता है तो इसके जिम्मेदार यही लोग होंगे।
सहायक उपनिरीक्षक प्रमोद पवन थाना गोदन जिला
दतिया उम्र (55) वर्ष ने थाना परिसर स्थित सरकारी आवास में आज मंगलवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है उनका शव मंगलवार सुबह फंदे पर लटका मिला है प्रमोद पवन ने आत्महत्या करने के पहले एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला था उन्होंने आरोप लगाया है कि थाना प्रभारी अरविंद भदौरिया सहित चार अन्य लोगों से वह काफी प्रताड़ित है रेत कारोबारी और पुलिस के अधिकारियों द्वारा उनको कभी भी क्षति पहुंचाई जा सकती है उन लोगों द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही है और काफी प्रताड़ित किया जा रहा है।
वीडियो में आरोप लगाया गया है कि उनको लगभग 15 दिन से थाने से बाहर नहीं जाने दिया गया इससे पहले उन्होंने रेत माफिया का ट्रैक्टर रुकवाया था तब थाना प्रभारी अरविंद सिंह भदोरिया एक अन्य थाना प्रभारी और आरक्षक तथा रेत माफिया द्वारा उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी हालांकि थाना प्रभारी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि मृतक सहायक उप निरीक्षक द्वारा झूठे आरोप लगाए गए हैं।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अक्सर पुलिस की वर्दी पर रिश्वतखोरी माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगता रहता है ऐसे में जब पुलिस वाले ही ऐसी घटनाओं का खुलासा करें तब यही माना जाएगा की पुलिस के अधिकारियों की मिली भगत से ही अवैध कारोबार संचालित होते हैं हालांकि यहां एक पुलिस के अधिकारी की मौत से जुड़ा मामला है ऐसे में पुलिस विभाग को एक तरफ जहां पुलिस की इज्जत बचाने की लगी होगी वहीं मृतक पुलिस के अधिकारी के साथ न्याय करने की अनिवार्यता सामने होगी अब देखना यह है कि इस मामले में क्या सच्चाई सामने आती है।