Rewa MP:जलजीवन मिशन में हुए 136 करोड़ के घोटाले में कार्रवाई नहीं अब अधीक्षण यंत्री को जवाबदेही!

Rewa MP:जलजीवन मिशन में हुए 136 करोड़ के घोटाले में कार्रवाई नहीं अब अधीक्षण यंत्री को जवाबदेही!

 

 

 

 

रीवा. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले में अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। मामला विधानसभा तक पहुंचा, जहां सरकार के मंत्री ने कार्रवाई नहीं होने की जानकारी दी है और कहा है कि अधीक्षण यंत्री से प्रतिवेदन मांगा गया है, उनके स्तर पर कार्रवाई होनी है। अधीक्षण यंत्री की ओर से पहले ही प्रतिवेदन भेजा जा चुका है।

 

 

 

 

 

करीब 136 करोड़ की इस आर्थिक अनियमितता में दो तत्कालीन कार्यपालनयंत्रियों के साथ ही 23 कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा पहले ही की गई है। कलेक्टर ने बीते साल ही मामले की जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट कलेक्टर ने शासन को भेजी थी लेकिन तब से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था। करीब तीन माह फिर से विभाग ने दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा कर भोपाल भेजा था, जिस पर कार्रवाई नहीं हुई है।

 

 

 

 

सेमरिया विधायक अभय मिश्रा ने इस घोटाले को लेकर कई सवाल उठाए थे। स्थानीय स्तर पर भी कांग्रेस नेताओं ने कई बार ज्ञापन संभागायुक्त और कलेक्टर को सौंपा है। जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होने से जिला योजना समिति की बैठक के साथ ही जिला पंचायत की कई बैठकों में सवाल उठाए गए हैं। पूर्व में जांच के बाद कलेक्टर ने प्रतिवेदन शासन को भेजा था, जहां कोई कार्रवाई नहीं होने पर सेमरिया विधायक अभय मिश्रा ने फिर शिकायत दर्ज कराई। मामला शीतकालीन विधानसभा सत्र के ध्यानाकर्षण में भी उठाया गया था। कलेक्टर ने पूरे मामले में फिर से विभाग को पत्र लिखा, जिसके चलते अधीक्षण यंत्री ने पूर्व में कराई गई जांच के हवाले से विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद सिंह और संजय पांडेय के साथ 23 के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की थी।

 

 

 

 

 

ऐसे हुई राशि की बंदरबाट

हैंडपंप मेंटेनेंस : 3.17 करोड़ का भुगतान बिना कार्य के किया गया। हैंडपंपों से निकाली गई राइजिंग पाइप एवं अन्य सामग्री का पता नहीं है। सत्यापन नहीं कराने के चलते फर्जीवाड़ा माना गया।

जल जीवन मिशन: 130.47 करोड़ का भुगतान बिना काम के किया गया। जांच टीम ने 12 गांवों का भौतिक सत्यापन किया, अधिकांश जगह विसंगति पाई गई, ऐसे में अन्य जगह हुए कार्य को भी माना गया कि उसमें भी अनियमितता हुई है।

टीपीआई और आईएसए : थर्ड पार्टी इंवेस्टिगेशन के तहत 74.64 लाख का भुगतान हुआ। इसमें मौके पर जाकर गुणवत्ता परीक्षण, श्रमिकों के भुगतान और सुरक्षा व्यवस्था का सत्यापन करना था। इसी तरह इंप्लेमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आईएसए) को 85.70 लाख का भुगतान किया गया। इसमें नल कनेक्शन के लिए घर-घर जाकर लोगों के दस्तावेज जुटाने थे। विभाग ने जांच टीम को कोई दस्तावेज नहीं दिए, इसलिए माना गया पूरा मामला फर्जी है।

अन्य मद : विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा स्टेशनरी, आफिस खर्च और वाहन किराया आदि के नाम पर भी हुआ। इसमें 1.02 करोड़ का भुगतान किया गया। भुगतान संबंधी दस्तावेज जांच के दौरान नहीं दिखाए गए।

 

 

 

 

 

दो प्रभारी कार्यपालन यंत्रियों के साथ ही 23 अन्य अधिकारी-कर्मचारी माने गए हैं दोषी

गांव में पाइपलाइन नहीं बिछाई, घरों ने नल लगा दिए

बीते साल तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर सोनाली देव के नेतृत्व में गठित टीम ने दस्तावेजों का परीक्षण किया और उसमें बताए गए कार्यों का भौतिक सत्यापन भी किया था। जिसमें अधिकांश जगह ऐसी स्थितियां पाई गईं जिसमें सप्लाई की पाइपलाइन गांव में नहीं बिछाई गई लेकिन लोगों के घरों में नल कनेक्शन कर उसकी फोटो खींची गई थी। मामले में करीब 136 करोड़ रुपए के घोटाले का अनुमान लगाया गया था। करीब डेढ़ वर्ष से मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

 

 

 

 

कार्यपालन यंत्री को नोटिस: वर्तमान प्रभारी कार्यपालन यंत्री संजय पांडेय ने जांच के लिए दस्तावेज ही मुहैया नहीं कराए हैं। जिसके चलते अभी जांच ठीक से पूरी नहीं हुई है। विभाग ने पांडेय को कई नोटिस जारी किए लेकिन उनकी ओर से जवाब नहीं दिए जा रहे हैं। इसके अलावा संजय पांडेय के शैक्षणिक दस्तावेज को लेकर भी आपत्तियां हैं, इस पर भी नोटिस जारी किया गया है और उनकी ओर से अपनी डिग्री को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है।

 

 

 

 

 

 

इनके विरुद्ध कार्रवाई की पहले से है अनुशंसा

कार्रवाई की अनुशंसा की में तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद सिंह, वर्तमान प्रभारी कार्यपालन यंत्री संजय पांडेय, सहायक यंत्री एसके श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त), प्रभारी सहायक यंत्री रायपुर कर्चुलियान एसके सिंह, प्रभारी सहायक यंत्री केबी सिंह (सेवा), प्रभारी सहायक यंत्री रमाकांत सिंह, उपयंत्री कमल जमरा, उपयंत्री जितेन्द्र अहिरवार, उपयंत्री अतुल तिवारी, उपयंत्री संजीत मरकाम, संभागीय लेखा अधिकारी मधुसूदन चौरसिया, राममिशन मीणा एवं विकास कुमार, कार्यभारित स्टोर लिपिक मुकेश श्रीवास्तव, विनियमित स्टोर लिपिक सतीश श्रीवास्तव, दैवेभो अरविंद त्रिपाठी, जयशंकर त्रिपाठी, सहायक वर्ग-२ आरपी पाठक (सेवा), वरिष्ठ लेखा लिपिक रहीम खान आदि शामिल हैं।

 

 

 

 

 

इस मामले में संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। हमारे स्तर पर कोई कार्रवाई लंबित नहीं है। यदि आगे कोई निर्देश प्राप्त होगा तो उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।

महेन्द्र सिंह, अधीक्षण यंत्री पीएचई रीवा

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