MP news, स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उप मुख्यमंत्री आज करेंगे मंत्रालय में बैठक।

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MP news, स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उप मुख्यमंत्री आज करेंगे मंत्रालय में बैठक।

NHM कर्मचारियों और टेली मेडिसिन पद्धति पर हो सकता है बड़ा निर्णय।

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय कमांक Q / नि.सहा. / सचिव / 2024
भोपाल, दिनांक 16.01.2024 बैठक सूचना के अनुसार
आज दिनांक 17 जनवरी, 2024 को प्रातः 11 बजे माननीय उप मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन राजेंद्र शुक्ल की अध्यक्षता में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा स्वास्थ्य विभाग के रिक्त पदों के संबंध में विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक उप मुख्यमंत्री के मंत्रालय स्थित प्रतिकक्ष में आयोजित की गई है। बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा पदों की भर्ती के संबंध में भी चर्चा की जाएगी मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल (M.P. Employee Selection Board) के अधिकरियों को भी बैठक में आहूत करने के निर्देश दिए गए हैं बैठक में स्वास्थ्य विभाग के रिक्त पदों पर भारती और स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था और बेहतर बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए जाएंगे।

NHM के आधीन काम कर रहे कर्मचारियों का हो सकता है संविलयन।

मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के रूप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एनएचएम के जरिए स्वास्थ्य विभाग का काम देख रहे लगभग प्रदेश भर में 1 लाख से अधिक कर्मचारीयों के बेहतर भविष्य की उम्मीदें की जा सकती है पैरामेडिकल और नर्सिंग संवर्ग जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एनएचएम के तहत कार्यरत हैं उनकी संख्या प्रदेश में एक लाख से अधिक है और लगातार इस संवर्ग के कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं ऐसे कर्मचारियों ने 10 वर्ष से अधिक की सेवाएं स्वास्थ्य विभाग को दे चुके हैं और स्वास्थ्य विभाग में अगर देखा जाए तो वर्तमान समय में यही रीढ़ माने जाते हैं और इन्हीं कर्मचारियों की वजह से मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग अपनी सफलता के परचम लहरा रहा है।

NHM के कर्मचारियों का होता रहा शोषण।

मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एनएचएम के तहत भर्ती कर्मचारीयों से स्वास्थ्य विभाग में काम तो पर्याप्त लिया जाता रहा है लेकिन वेतन काम है और अस्थाई पद होने के कारण उनके भविष्य पर भी तलवार लटकती रही है अब ऐसे में उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में एनएचएम कर्मचारियों के बेहतर भविष्य के लिए भी सरकार निर्णय ले सकती है जिससे कि एनएचएम के लाखों कर्मचारीयों का पद स्थाई होने के रास्ते साफ़ हो सकते हैं एनएचएम के तहत भर्ती लाखों कर्मचारियों के बूते स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल संचालित है फिर चाहे वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हो या उप स्वास्थ्य केंद्र या फिर संजीवनी क्लिनिक क्योंकि डॉक्टर तो अपने निजी प्रैक्टिस और अन्य कारणों से सर्वेसर्वा बनकर दोहरा लाभ ले रहे हैं लेकिन एनएचएम के तहत भर्ती कर्मचारी ही ऐसे हैं जो सुबह अस्पताल खुलने से लेकर शाम को अस्पताल बंद होने तक काम करते देखे जाते हैं ऐसा माना जाता है कि एनएचएम के कर्मचारियों का ऊपर बैठे अधिकारियों द्वारा जमकर शोषण किया जाता है।

कोविड-19 के दौरान एनएचएम कर्मचारियों ने संभाला था मोर्चा।

बीते वर्षों में अगर नजर दौड़ाई जाए तो कोविड-19 के दौरान एनएचएम के कर्मचारियों ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी मरीजों की जांच पड़ताल से लेकर उपचार करने तक हर जगह एनएचएम कर्मचारी अस्पतालों से लेकर गांव गांव तक जनता की सेवा में नजर आते थे यह बात अलग है कि उनके काम का क्रेडिट उन्हें कभी नहीं मिला और ऊपर बैठे विभाग के अधिकारीयों ने कोविड-19 से जंग जीतने का क्रेडिट लिया लेकिन वास्तविकता यह है कि एनएचएम के कर्मचारी को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मैदान में उतार दिया था और उन कर्मचारियों ने बखूबी अपनी जिम्मेदारी को पूरा करते हुए काम किया अब सरकार की बारी है कि उन्हें संविलियन करके उनका उचित स्थान और हक देकर स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले NHM के तहत भर्ती पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ को नियमित करें।

टेली मेडिसिन की पहल से दूर होगी कर्मचारियों की कमी।

मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग में उपमुख्यमंत्री द्वारा टेली मेडिसिन लागू कर स्वास्थ्य विभाग को और बेहतर बनाने की बात कही गई है जाहिर सी बात है कि उनकी नजर में मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग को देश में नंबर वन बनाना है ऐसी स्थिति में नई टेक्नोलॉजी पद्धति अपना कर टैली मेडिसिन के जरिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र सहित संजीवनी क्लिनिक को संचालित किया जाएगा जहां छोटी अस्पतालों में कार्य करने वाले पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के सहयोग से डॉक्टरों की टीम एक जगह बैठकर हजारों लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दे सकती है इस व्यवस्था में एक तरफ जहां डॉक्टरों की कमी का रोना कम हो जाएगा तो वहीं दूर दराज के मरीजों को उनके गांव और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ही बेहतर इलाज उपलब्ध होगा और बड़ी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम होगी।

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