MP news, नई कॉलोनियों, फैक्टरी से शिप्रा नदी में आने वाले गन्दे पानी को रोकने के लिये बनाई जा रही कार्य योजना की हुई समीक्षा।
MP news, नई कॉलोनियों, फैक्टरी से शिप्रा नदी में आने वाले गन्दे पानी को रोकने के लिये बनाई जा रही कार्य योजना की हुई समीक्षा।
उज्जैन। संभागायुक्त डॉ.संजय गोयल ने नदी संरक्षण एवं संवर्धन के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने नई बनी कॉलोनियों एवं फैक्टरियों तथा कान्ह नदी से आने वाले गन्दे पानी की रोकथाम के लिये नगर निगम, जल संसाधन विभाग एवं जिला पंचायत द्वारा बनाई जा रही कार्य योजना की समीक्षा की। प्रशासनिक संकुल में आयोजित नदी संरक्षण एवं संवर्धन की बैठक में कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा, सीईओ जिला पंचायत श्री मृणाल मीना, आयुक्त नगर निगम श्री आशीष पाठक, यूडीए सीईओ श्री संदीप सोनी सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित थे।
शिप्रा नदी के साफ एवं स्वच्छता की सौंपी गई जिम्मेदारी।
संभागायुक्त डॉ.गोयल ने कहा कि शिप्रा नदी साफ एवं स्वच्छ रहे, इसके लिये नगर निगम के अलावा दूसरे विभागों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे शिप्रा को प्रवाहमान बनाये जाने के लिये अपने स्तर पर क्या कार्य कर सकते हैं। जल संसाधन विभाग के अभियंता ने बताया कि खान नदी पर तीन बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। इसकी प्लानिंग तैयार करें। इससे पानी को होल्ड किया जा सकेगा। डॉ.गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि हर हाल में शिप्रा में गन्दे पानी को रोकने के लिये हर जरूरी उपाय किये जायें। बैराज के अलावा स्टापडेम भी बनाये जाने हैं। बताया गया कि गोठड़ा, पंथपिपलई एवं जमालपुरा में स्टापडेम बनना है। डॉ.गोयल ने शहर में बन रही नई-नई कॉलोनियों एवं फैक्टरी के गन्दे पानी को रोकने में असफल रहने वाले लोगों पर कास्ट रिकवरी एवं दण्ड के प्रावधान निहित करने के निर्देश दिये। सीईओ जिला पंचायत श्री मीना ने बताया कि जिला पंचायत द्वारा 117 गांव चिन्हित किये गये हैं। यहां छोटे-छोटे चेकडेम एवं तालाब बनाये हैं। इससे वाटर रिचार्ज होता रहेगा। जरूरत पड़ने पर स्टापडेम भी बनायेंगे। गांव में अभी नाडेप बना हुआ है। डॉ.गोयल ने कहा कि हर गांव में सामाजिक संस्था बनी हुई है। उन्हें भी शिप्रा शुद्धिकरण से जोड़ा जाये। सर्वप्रथम कैचमेंट क्षेत्र में आने वाले गांव एवं क्षेत्र को चिन्हित कर वैधानिक क्षेत्र होने के कारण रिज टू वैली ट्रीटमेंट कर भूजल में वृद्धि करें। पूर्ण कैचमेंट क्षेत्र में छोटे-छोटे स्ट्रक्चर जैसे- परकोलेशन टेंक, चेकडेम, स्टापडेम, सब-सरफेस डाईक, रिचार्ज शाफ्ट, बोल्डर चेकडेम, वृक्षारोपण, गेबियन, नाला, ट्रेचिंग इत्यादि का निर्माण किया जाये। इससे पूर्ण कैचमेंट क्षेत्र में भूजल में वृद्धि होगी एवं नालों में बहने वाले पानी का वेग कम होने से मिट्टी का कटाव रूकेगा। नदी में आने वाली अमूल्य मिट्टी को रोका जा सकेगा एवं नदी के अन्दर गाद भराने से बचाया जा सकेगा।
कॉलोनियों, फैक्टरी से आने वाले गन्दे पानी को रोकने हुई समीक्षा।
संभागायुक्त डॉ.संजय गोयल ने नदी संरक्षण एवं संवर्धन के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने नई बनी कॉलोनियों एवं फैक्टरियों तथा कान्ह नदी से आने वाले गन्दे पानी की रोकथाम के लिये नगर निगम, जल संसाधन विभाग एवं जिला पंचायत द्वारा बनाई जा रही कार्य योजना की समीक्षा की। प्रशासनिक संकुल में आयोजित नदी संरक्षण एवं संवर्धन की बैठक में कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा, सीईओ जिला पंचायत श्री मृणाल मीना, आयुक्त नगर निगम श्री आशीष पाठक, यूडीए सीईओ श्री संदीप सोनी सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार करें कार्य।
संभागायुक्त डॉ.गोयल ने कहा कि शिप्रा नदी साफ एवं स्वच्छ रहे, इसके लिये नगर निगम के अलावा दूसरे विभागों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे शिप्रा को प्रवाहमान बनाये जाने के लिये अपने स्तर पर क्या कार्य कर सकते हैं। जल संसाधन विभाग के अभियंता ने बताया कि खान नदी पर तीन बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। इसकी प्लानिंग तैयार करें। इससे पानी को होल्ड किया जा सकेगा। डॉ.गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि हर हाल में शिप्रा में गन्दे पानी को रोकने के लिये हर जरूरी उपाय किये जायें। बैराज के अलावा स्टापडेम भी बनाये जाने हैं। बताया गया कि गोठड़ा, पंथपिपलई एवं जमालपुरा में स्टापडेम बनना है। डॉ.गोयल ने शहर में बन रही नई-नई कॉलोनियों एवं फैक्टरी के गन्दे पानी को रोकने में असफल रहने वाले लोगों पर कास्ट रिकवरी एवं दण्ड के प्रावधान निहित करने के निर्देश दिये। सीईओ जिला पंचायत श्री मीना ने बताया कि जिला पंचायत द्वारा 117 गांव चिन्हित किये गये हैं। यहां छोटे-छोटे चेकडेम एवं तालाब बनाये हैं। इससे वाटर रिचार्ज होता रहेगा। जरूरत पड़ने पर स्टापडेम भी बनायेंगे। गांव में अभी नाडेप बना हुआ है। डॉ.गोयल ने कहा कि हर गांव में सामाजिक संस्था बनी हुई है। उन्हें भी शिप्रा शुद्धिकरण से जोड़ा जाये। सर्वप्रथम कैचमेंट क्षेत्र में आने वाले गांव एवं क्षेत्र को चिन्हित कर वैधानिक क्षेत्र होने के कारण रिज टू वैली ट्रीटमेंट कर भूजल में वृद्धि करें। पूर्ण कैचमेंट क्षेत्र में छोटे-छोटे स्ट्रक्चर जैसे- परकोलेशन टेंक, चेकडेम, स्टापडेम, सब-सरफेस डाईक, रिचार्ज शाफ्ट, बोल्डर चेकडेम, वृक्षारोपण, गेबियन, नाला, ट्रेचिंग इत्यादि का निर्माण किया जाये। इससे पूर्ण कैचमेंट क्षेत्र में भूजल में वृद्धि होगी एवं नालों में बहने वाले पानी का वेग कम होने से मिट्टी का कटाव रूकेगा। नदी में आने वाली अमूल्य मिट्टी को रोका जा सकेगा एवं नदी के अन्दर गाद भराने से बचाया जा सकेगा।