रीवा का सिरमौर बनने की होड़ में भाजपा के दिव्यराज सिंह के मुकाबले में काँग्रेस से बेहतर कौन-?

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रीवा का सिरमौर बनने की होड़ में भाजपा के दिव्यराज सिंह के मुकाबले में काँग्रेस से बेहतर कौन-?

 

राजमणि पटेल अपने बेटे और रमाशंकर मिश्रा अपनी बेटी के लिए कांग्रेस पार्टी से टिकट की कर रहे पैरवी वहीं सिरमौर परिवर्तन संकल्प यात्रा के माध्यम से गिरिजेश कुमार पाण्डेय भी जनता के बीच बने कसौटी।

स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा गहराया,जातीय समीकरण को भी साधने की जरूरत, हारे हुए और बदनाम चेहरे से बचना होगा कांग्रेस को।

विराट वसुंधरा
रीवा। जिले की सिरमौर विधानसभा सीट राजनीति के ऐसे इतिहास लिख चुकी है कि बड़े-बड़े धुरंधर समय-समय पर चित होते रहे हैं, अगर पुराने इतिहास पर नजर डालें तो स्व यमुना प्रसाद शास्त्री,राजमणि पटेल राम लखन शर्मा,राजकुमार उरमालिया और अब दिव्यराज सिंह को सिरमौर क्षेत्र की जनता सिरमौर बन चुकी है! इसी कड़ी में अब 2023 विधानसभा का चुनाव 3 महीने बाद होने जा रहा है ऐसे में एक बार फिर रीवा का सिरमौर कौन बनेगा किसके सर पर सिरमौर क्षेत्र की जनता बांधेगी ताज और किसके किसके बीच होगा मुकाबला और भाजपा से दिव्यराज सिंह तो कांग्रेस से कौन होना चाहिए प्रत्याशी ऐसे कई सवाल इस समय न सिर्फ राजनीतिक गलियारे में बल्कि सिरमौर क्षेत्र की गली कूचों बाजारों और पान की दुकानों से लेकर खेत खलिहानों तक पहेली बनी हुई है और लोग अपने-अपने जातीय समीकरण और गुणा गणित से पहेली को बुझने का प्रयास कर रहे हैं।

दिग्गजों का सिरमौर में हुआ राजनीतिक अंत !

सिरमौर विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जहां विंध्य क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेस नेता रहे स्वर्गीय श्री युत श्रीनिवास तिवारी कांग्रेस पार्टी से बसपा में गए एक सामान्य क्षेत्रीय नेता राजकुमार उर्मलिया से पराजित हुए थे इसके बाद उनके पोते स्व विवेक तिवारी और फिर स्व विवेक तिवारी की पत्नी अरुणा तिवारी रीवा राजघराने के युवराज दिव्यराज सिंह से पराजित हुए थे
श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के और उनके पोते के चुनाव न जीतने के कई कारण रहे हैं पहला कारण तो बाहरी उम्मीदवार का होना और दूसरा सबसे बड़ा कारण कांग्रेस सरकार में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्री युत श्रीनिवास तिवारी की अमहिया सरकार के नवरत्नों में से एक रमाशंकर मिश्र जैसे सिरमौर क्षेत्र के नेताओं और उनके लोगों ने कांग्रेस सरकार रहते भ्रष्टाचार और अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर दी थी जिनके कारण सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी और उनके घर के कोई भी सदस्य चुनाव नहीं जीत पाए तो वहीं कांग्रेस नेता वर्तमान राज्यसभा सांसद राजमाणि पटेल की बात करें तो बीते चुनावों में एक बार सिरमौर और दूसरी बार सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में बुरी तरह पराजित हुए थे और अपनी जमानत भी नहीं बचा सके, साल 1972 से लगातार 2008 तक काँग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व किया तथा पार्टी ने उन्हें इस क्षेत्र से लगातार प्रत्याशी बनाया, श्री पटेल का 2003 के चुनाव में मंत्री रहते हुए ज़मानत जब्त होना तथा तभी से सिरमौर में कांग्रेस पार्टी का हासिये पर जाना अनुसंधान का विषय है,जातिवादी विचारधारा और कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में काम करने के भी आरोप श्री पटेल के ऊपर लगे थे।
ब्राह्मण वाहुल्य सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में लगातार पराजित हो रही कांग्रेस पार्टी में उम्मीदवारी को लेकर अनेक तरह की चर्चा है वही क्षेत्रीय जनता और कार्यकर्ताओं ने स्थानीय प्रत्याशी बनाने की पुरजोर मांग प्रारंभ कर दी है, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हालिया सिरमौर दौरे में कार्यकर्ताओं ने स्थानीय प्रत्याशी बनाने की बात मुखरता से की थी ! 2003 से लगातार पराजय का दंश झेल रही काँग्रेस ने जीतने के लिए कई पैमाने पर परीक्षण करने का प्लान तैय्यार किया है,जानकर सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी स्थानीय प्रत्याशी की तलाश के साथ साथ क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने का भी काम करेगी वहीं ऐसे प्रत्याशी की भी पार्टी तलाश कर रही है जो निर्विवाद और बेदाग हो तथा जनता के बीच साफ छबि के साथ ही भाजपा से लड़ने की ताकत रखता हो !

बाप बेटा, बाप बेटी के साथ स्थानीय नेताओं ने ठोंकी दावेदारी !

साल 2003 में सिरमौर से जमानत जब्त होने के बाद विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पश्चात सिरमौर से अलग हुई सेमरिया विधानसभा जो राजमणि पटेल का गृह क्षेत्र था उसे चुना और साल 2008 में सेमरिया क्षेत्र से श्री पटेल कांग्रेस प्रत्याशी बनाये गए,इस चुनाव में भी जमानत खोने के बाद वे चुनावी राजनीति से बाहर हो गए थे, राजमणि पटेल की राजनीति पर कांग्रेस पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने अनुकंपा करते हुए उन्हें राज्यसभा का सांसद बना दिया निश्चित तौर पर पिछड़ा वर्ग के वोटो को साधने के लिए राजमाणि पटेल को राज्यसभा सांसद बनाया गया था लेकिन राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने कांग्रेस पार्टी के लिए कोई बड़ा कमाल नहीं किया है लेकिन अपने छोटे बेटे को हाल ही में रीवा नगर निगम में कांग्रेस की टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ाया तो बुरी तरह से पराजित हुए किंतु राजनैतिक पहुँच का लाभ यह था कि उन्हें शहर कांग्रेस का संगठन मंत्री बना दिया गया तथा अब बड़े बेटे को एडी चोटी का जोर लगाकर विधानसभा प्रत्याशी बनाने की कवायद कर रहे हैं !
दूसरे दावेदार रमाशंकर मिश्र ने अपनी बेटी पूर्णिमा तिवारी जो मुदरियाटोला तहसील जयसिंहनगर जिला शहडोल की रहने बाली है तथा साल 2019-20 तक शहडोल में भाजपा की सक्रिय राजनीति में थी उन्हें काँग्रेस में शामिल कराया तथा अपने ही घर कटांगी में उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज कराकर दावेदारी पेश कराई है ! विदित हो कि श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के विधानसभा अध्यक्ष के दौर में रमाशंकर मिश्र के ऊपर भ्रस्टाचार, आर्थिक अपराध जैसे कई गंभीर मुकदमे कायम हुए थे, पूर्व में काँग्रेस पार्टी द्वारा इन्हें त्योंथर क्षेत्र से विधानसभा प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन महज दस हजार मत पाकर जमानत नही बचा सके थे तत्पश्चात जिला पंचायत और जनपद पंचायत के चुनाव हारने के बाद चुनावी राजनीति में जनता द्वारा नकारे जाने के बाद उन्होंने बेटी को आगे कर राजनीति करने की योजना बनाई ! क्षेत्र में चर्चा है कि इनकी गंदगी के कारण जब श्रीनिवास तिवारी और उनका परिवार तीन चुनाव पराजित हो चुका है तथा यह भी कहा जा रहा है कि साल 2013 औऱ 2018 में इन्होंने काँग्रेस प्रत्याशी के विरुद्ध और भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया इससे नाराज जनता और पार्टी का ध्यान बाटने जिले के बाहर से बेटी को लाना अर्थपूर्ण नही हो सकता,वैसे भी सिरमौर के गलियारों में तथा भोपाल से लेकर रीवा तक के कांग्रेसी नेताओं के बीच पूर्णिमा तिवारी के भाजपा नेताओं से संबंध और उनके पति को मिल रहे भाजपा सरकार के संरक्षण की चर्चा आम हो गई है !

स्थानीय नेता भी कांग्रेस से कर रहे टिकट की दावेदारी।

तीसरे नेता सिरमौर क्षेत्र से गिरिजेश कुमार पांडेय हैं जो मूलतः काँग्रेस परिवार के माने जाते है उन्होंने सिरमौर परिवर्तन संकल्प यात्रा के जरिये वर्तमान सरकार और विधायक को लगातार कटघरे में खड़ा करने का कार्य क्षेत्र में जारी कर रखा है,साथ ही क्षेत्र में उनकी सक्रियता और जनता की लोकल प्रत्याशी की मांग के आधार पर उन्होंने ताल ठोकी है, और परिवर्तन संकल्प यात्रा के दौरान उन्हें भारी जन समर्थन भी प्राप्त हो रहा है सभी कार्यक्रमों में काफी भीड़ देखी जा रही है
इसी प्रकार स्थानीय नेताओं में पूर्व विधायक रामगरीब बनवासी  चक्रधर सिंह,सिद्धनाथ पाण्डेय जैसे स्थानीय नेताओं के साथ मनगवां क्षेत्र से आये गिरीश सिंह और प्रदीप सिंह पटना का नाम भी लिया जा रहा है !
ब्राह्मण बाहुल्य सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय प्रत्याशी और ब्राह्मण चेहरे पर लोगों में चर्चा हो रही है, पूर्व के परिणाम यह बताने के लिए काफी है कि यहां नए व्यक्ति, स्थानीय व्यक्ति भले ही बड़े कद का नेता ना हो लेकिन सिरमौर क्षेत्र की जनता उसे सिरमौर बना देती है वहीं सिरमौर क्षेत्र में स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा 2023 के विधानसभा चुनाव में सबसे प्रभावशाली मुद्दा है, विधायक दिव्यराज सिंह के मुकाबले जब तक कोई स्थानीय निर्विवाद और नया चेहरा सामने नहीं आएगा तब तक सिरमौर क्षेत्र की जनता शायद ही कांग्रेस पार्टी को जीत का सेहरा बांधे,सिरमौर विधानसभा क्षेत्र एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां घाट नीचे तरहार और घाट ऊपर का मुद्दा भी चलता रहता है। ऐसे में स्थानीय उम्मीदवार वह भी तरहर क्षेत्र का जहां ब्राह्मण और आदिवासी वोटरों की संख्या अधिक है वहां के स्थानीय नेता को कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार बनाए वह भी निर्विवाद चेहरा तभी कांग्रेस भाजपा के मजबूत किले का मुकाबला कर पाएगी नहीं तो तीसरी बार भी भाजपा के दिव्यराज सिंह को रोक पाना कांग्रेस पार्टी के लिए कठिन होगा !

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