Loksabha election, एमपी में निमाड़ मालवा की एसटी सीटों पर रोचक मुकाबले के आसार।

0

Loksabha election, एमपी में निमाड़ मालवा की एसटी सीटों पर रोचक मुकाबले के आसार।

देश में सत्रहवीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है। 18 वीं लोकसभा के गठन को लेकर अब कभी भी चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा कर सकता है। राजनैतिक दलों ने भी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अपनी रणनीतियों को मूर्त रूप देना शुरू कर दिया है। इसी तारतम्य में 11 फरवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी बाहुल्य झाबुआ क्षेत्र का दौरा किया। झाबुआ से प्रधानमंत्री ने रतलाम, धार और खरगोन लोकसभा क्षेत्र के आदिवासी समुदाय को रिझाने का प्रयास किया। उन्होंने 7550 करोड़ रूपये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। जनजातीय सम्मेलन में आदिवासी संस्कृति के प्रतीकों और नायकों का जिक्र किया आदिवासी संस्कृति से जुड़े पर्व भगोरिया की शुभकामनाएं भी प्रेषित की। अब राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा भी आदिवासी बाहुल्य रतलाम और धार लोकसभा को कवर करतें हुए आगे बढ़ेगी। कांग्रेस को भी निमाड़ मालवा की इन तीन अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों से बहुत आशाएं हैं। चुनाव के निकट आते ही दोनो प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा–कांग्रेस इन सीटों को अपने पक्ष में करने हेतु अधिक प्रयास में जुटेंगे। एमपी की इन आदिवासी सीटों पर भाजपा–कांग्रेस की पैनी नजर है। एमपी में अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों में बैतूल, धार, खरगोन, मंडला, रतलाम और शहडोल शामिल है। इनमें निमाड़ मालवा क्षेत्र की तीन अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु आरक्षित सीटों में खरगोन, रतलाम और धार लोकसभा भौगोलिक रूप से एक दूसरे से सटी हुई लोकसभाएं है। इन तीन लोकसभा सीटों में बारेला, भिलाला, भील समुदाय की बहुतायत है। यह समुदाय खेती और श्रम पर निर्भर है। इन तीनो लोकसभा क्षेत्रों में पलायन एक बड़ी समस्या बन चुकी है। बड़ी संख्या में श्रमिक मजदूरी की तलाश में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान सहित अन्यत्र राज्यो में जातें है। पलायन का यह सिलसिला बरसो से जारी है। इन तीनो लोकसभा क्षेत्रों में ग्रामीण समुदाय का पलायन रोक पाने में प्रदेश और केंद्र सरकार अब तक असफल साबित हुई है। पलायन यहां बड़ा चुनावी मुद्दा है,जो युवा मतदाताओं को आंदोलित भी करता है। भौगोलिक रूप से एक दूसरे से सटी इन तीनो लोकसभा क्षेत्रों की दूसरी बड़ी समानता मां नर्मदा की कलकल बहती धाराएं है। जो खरगोन बड़वानी धार अलीराजपुर जिले से गुजरती हुए गुजरात में प्रवेश करती है। मां नर्मदा की कलकल बहती धाराओं ने इस क्षेत्र की भूमि को सिंचित भी किया है। नर्मदा किनारे स्थित खेत खलिहान हरे भरे दिखाई भी देते है। नर्मदा किनारे बड़ी औद्योगिक इकाइयां भी विकसित हुए जो क्षेत्र की उन्नति का कारक भी बनी है। मां नर्मदा की यह धाराएं क्षेत्र में उन्नति का प्रतीक जरूर बनी किंतु प्रकृति के विरुद्ध जाकर मां नर्मदा की प्रबल धाराओं को रोकने के लिए बने सरदार सरोवर बांध से बड़वानी, धार, अलीराजपुर के अनेकों गांवो डूब गए, अनेकों प्रभावित भी हुए। कई अब भी समस्याग्रस्त हैं। चिंतित है और आक्रोशित भी है। सरदार सरोवर बांध को लेकर सबके अलग–अलग विचार है। कुछ सरदार सरोवर बांध को समृद्धि का प्रतीक बताते है, तो कुछ प्रकृति के खिलाफ जाकर प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रित करने की मानवीय भूल निरूपित करते है। खैर सरदार सरोवर ने गुजरात के किसानों का जीवन जरूर बदल दिया है। उन्हें उन्नत खेती की ओर प्रोत्साहित किया। दूसरी ओर इन तीन लोकसभाओं के डूब प्रभावित अनेकों गांवो के परिवारों के हंसते–खेलते जीवन में पुनर्वास संबंधी परेशानी का कारण भी बना है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता ग्राम छोटी कसरावद निवासी राहुल यादव ने बताया अनेकों परिवार अब भी घर के लिए प्लाट और राशि से वंचित है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने घर के लिए प्लाट और 5 लाख 80 हजार रु देने की घोषणा की थी।सुप्रीम कोर्ट के 5 एकड़ भूमि के बदले 60 लाख रु मुआवजा देने के आदेश से भी अनेकों डूब प्रभावित अब तक वंचित है। इनका आक्रोश अब भी सरकार के विरुद्ध सुनाई दिखाई देता है। समस्याग्रस्त डूब प्रभावित इन तीनो ही लोकसभा क्षेत्रों में मौजूद है। इन तीनों लोकसभा सभा क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं में बेरोजगारी प्रमुख है। ग्रामीण अंचलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी मतदाताओं की खिन्नता का कारण बना हुआ है। विधानसभा के नतीजे इस बात को साबित भी कर चुके है। ग्रामीण अंचलों में सुविधायुक्त अस्पतालों का अभाव, यातायात के साधनों की कमी भी है। सड़कें जरूर बनी पर बसों का उचित संचालन नहीं हो पाने के कारण आदिवासी अंचल के ग्रामीण खटारा संचालित बसों और निजी वाहनों में जानवरों की तरह सफर करने को मजबूर है। राशन की कालाबाजारी के यहां आए दिनों किस्से अखबारों की सुर्खियां बनते है। इंदौर मनमाड रेल लाइन को लेकर संघर्ष समिति बरसो से संघर्षरत है। किंतु केंद्र सरकार ने मनमाड इन्दौर रेल लाइन को लेकर अब तक ढुलमूल रवैया इख्तियार किया हुआ है। इन लोकसभा क्षेत्रों के शहर जरूर विकसित हुए है, किंतु गांव अब भी विकास की धारा से दूर दिखाई देते है। इन तीनो लोकसभा क्षेत्रों में अमूमन अधिकाश आदिवासी बाहुल्य लोकसभा सीटों में वर्ष 2024 के आमचुनाव में तगड़ा मुकाबला होने के आसार दिखाई दे रहे है। मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु आरक्षित छह सीटें है। फिलहाल ये छह की छह सीटें भाजपा के कब्जे में है। इंदौर संभाग अंतर्गत आने वाली तीन प्रमुख लोकसभा सीटों की वर्तमान स्थिति का अवलोकन करने पर प्रतीत होता है की निमाड़ क्षेत्र की खरगोन–बड़वानी लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान लोकसभा सदस्य गजेंद्र उमराव पटेल है। इस लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल है। खरगोन और बड़वानी जिले की इन सीटों पर 5 सीट कांग्रेस तो 3 सीट पर भाजपा उम्मीदवारों ने विजय श्री हासिल की है। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में 6 सीट कांग्रेस एक कांग्रेस समर्थित निर्दलीय और मात्र एक सीट भाजपा के पास थी। इन परिणामों के बावजूद मोदी लहर पर सवार मतदाताओं ने भाजपा के गजेंद्र सिंह पटेल को कांग्रेस उम्मीदवार डा गोविंद मुजाल्दे के मुकाबले विजय का आशीष दिया था। इस लोकसभा में पिछले दो चुनावों में जीते हुए उम्मीदवार के टिकट काटे गए है। इस बार भी नए चेहरे की संभावना व्यक्त की जा रहीं है। किंतु सच्चाई यह भी है की गजेंद्र पटेल की पहिचान सक्रिय लोकसभा सदस्यों के रूप में की जाती है। उन्होंने अपने कार्यकाल में सक्रियता बनाए रखी। उन्हें भाजपा हाईकमान ने कई बड़ी जवाबदारी भी सौंपी जिसे उन्होंने कुशलता से निभाया। इस लिहाज से यह कहना की नए चेहरे पर भाजपा दांव लगाएगी फिलहाल उचित प्रतीत नहीं होगा। खरगोन–बड़वानी सीट पर भाजपा से दावेदारों के रूप में युवा नेत्री अमृता सोलंकी का नाम अचानक चर्चा में आया है। अंजना पटेल का नाम भी चर्चाओं में शुमार है। जबकि कांग्रेस से युवा चहेरे पूर्व कर अधिकारी पोरलाल खरते का नाम तेजी से चल रहा है। वें संस्कृति, प्रकृति, लोकतंत्र एवं संविधान बचाओ यात्रा को लेकर लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय नजर आ रहे है। राजपुर क्षेत्र के विधायक बाला बच्चन एवं सेंधवा के पूर्व विधायक ग्यारसीलाल रावत का नाम भी सुर्खियों में बना हुआ हैं।

धार लोकसभा सीट पर चतरसिंह दरबार वर्तमान में लोकसभा सदस्य है। विगत लोकसभा चुनाव में भाजपा के चतरसिंह दरबार ने कांग्रेस के गिरवाल दिनेश को 156029 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस लोकसभा में जो आठ विधानसभा शामिल है। उनमें हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तुलना में कांग्रेस ने अधिक सफलता प्राप्त की है। यहां कांग्रेस को 5 और भाजपा को 3 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। विधानसभा के लिहाज से धार लोकसभा सीट पर कांग्रेस भाजपा के मध्य रोचक मुकाबला होने की पूर्ण संभावना दिखाई दे रही है। यहां भाजपा कांग्रेस दोनों दलों में बदलाव की सुगबुगाहट चल रही है। भाजपा से जहां चतरसिंह दरबार, गोपाल कन्नौज, मुकामसिंह, मालती पटेल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष का नाम की चर्चा है, तो कांग्रेस की सूची में पूर्व लोकसभा प्रत्याक्षी दिनेश गिरवाल और कुक्षी विधायक हनी बघेल का नाम अधिक तेज़ी से उभरा है। इस सूची में गजेंद्र सिंह राजुखेड़ी एवम मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता विधायक उमंग सिंगार का नाम भी सुर्खियों में है। धार लोकसभा में कांग्रेस भाजपा दोनो नए चेहरे के साथ मैदान में उतरने की योजना बना रही है। धार मध्यप्रदेश का प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है। यहां भोजशाला सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कारण बना हुआ है। मांडव धार जिले का ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है।

एमपी में कांग्रेस को आदिवासी बाहुल्य रतलाम लोकसभा सीट पर विजय का अधिक भरोसा रहता आया है। इस भरोसे को भाजपा के मौजूदा सांसद गुमानसिंह डामोर ने कमजोर जरूर किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार गुमानसिंह डामोर ने कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया को 90636 मतों के अंतर से पराजित किया था। कांतिलाल भूरिया इस लोकसभा क्षेत्र से 5 बार सांसद रहे है। पूर्व में झाबुआ नाम से पहिचानी जाने वाली लोकसभा सीट का नाम 2008 के परिसीमन के बाद रतलाम कर दिया गया। यह सीट भूरिया विरुद्ध भूरिया के नाम से भी पहचानी जाती रही है। दिलीप सिंह भूरिया और कांतिलाल भूरिया परम्परागत प्रतिद्वंदी रहे है। एक बार निर्मला भूरिया भी लोकसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार रही है। 2024 में चल रही चुनावी चर्चा के अनुसार अनुसार भाजपा अपने मौजूदा सांसद का टिकिट काट सकती हैं। यहां कलसिंह भाबर के नाम की चर्चा जोरों पर है। चर्चा में संगीता चारेल का नाम भी चलता दिख रहा है। कांग्रेस संभवत अपने वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया को ही उम्मीदवार बनाए। वे जीत की संभावना वाले उम्मीदवार साबित हो सकते है। सुर्खियों में महेश पटेल और हर्ष विजय गहलोत का नाम भी शामिल है। कांतिलाल भूरिया के रूप में कांग्रेस रतलाम की सीट भाजपा के कब्जे से छिनने की योजना पर काम कर रही है। यहां विधानसभा चुनाव में 4 सीटों पर भाजपा 3 पर कांग्रेस और एक सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार ने विजय हासिल की हैं।

मालवा निमाड़ रेंज की इन तीनो एसटी लोकसभा सीटों पर मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है। यह तीन सीट एमपी की 29 में से 29 सीट जीतने की भाजपा की मंशा को चोट पहुंचा सकती है। जिसे लेकर भाजपा हाईकमान भी सक्रिय नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री का झाबुआ दौरा इसी कोशिश को अमलीजामा पहनाने का प्रयास भर है। इन तीनो सीटों की समस्याओं में भी बहुत सी समानताएं है। मतदाताओं का मिजाज भी अमूमन एक जैसा है। जो रोचक मुकाबले की ओर इशारा करता हुआ प्रतीत हो रहा है।
…………
नरेंद्र तिवारी पत्रकार
7, शंकरगली मोतीबाग सेंधवा मप्र
मोबा–9425089251

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.