सूखाग्रस्त रीवा में किसान यज्ञ प्रताप ने 15 एकड़ की अपनी खड़ी धान की फसल पर चलवाया ट्रैक्टर।

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सूखाग्रस्त रीवा में किसान यज्ञ प्रताप ने 15 एकड़ की अपनी खड़ी धान की फसल पर चलवाया ट्रैक्टर।

 

रीवा जिले में वर्षा नहीं हुई और किसान काफी परेशान है किसने की बुवाई तो हो चुकी है लेकिन फसल वर्षा नहीं होने के कारण सूख रही है सूखाग्रस्त रीवा में आज किसान यज्ञ प्रताप सिंह ने लगभग 15 एकड़ की धान की फसल पर ट्रैक्टर चलवा दिया है आपको बता दें यज्ञ प्रताप सिंह मूल रूप से रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा अंतर्गत ग्राम कोठी पोस्ट रघुराजगढ़ थाना मनगवां जिला रीवा के मूल रूप से निवासी हैं हमारे संवाददाता से बात करते हुए बताया कि मैं यह 15 एकड़ की धान की फसल पर ट्रैक्टर चलवा दिया हूं उसका मेन रीजन है कि समय पर बरसात ना होने के कारण धान पर छिड़काव की जाने वाली घास और कीटनाशक दवाइयां धान में कारगर काम नहीं कर पाए जिसके कारण धान में काफी घास पैदा हो गई थी यज्ञ प्रताप सिंह ने बताया कि जब से धान की फसल लगाई जब भी धान की फसल पर दवाई का छिड़काव किया गया तो बरसात बंद हो गई और जो घास की दवा डाली गई वह कारगर रूप से काम नहीं की जिसके कारण धान में घास ज्यादा हो गई साथी यज्ञ प्रताप सिंह ने बताया कि जिले के अंदर बिजली की सप्लाई बिल्कुल नाम मात्र के लिए होती है खासकर मनिकाबार सब स्टेशन से अगर बिजली समय-समय पर मिलती तो मोटर से थोड़ी बहुत सिंचाई करके धान की फसल को कंट्रोल किया जा सकता था लेकिन बिजली विभाग की लापरवाही की वजह से भी हमें काफी दिक्कतों का सामना उठाना पड़ रहा मनिका वार सब स्टेशन में बिजली पर्याप्त मात्रा में ना मिलने के कारण भी हमारी फसल बर्बाद हुई है उन्होंने बताया कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है और जब किसान फसल को तैयार करता है उसका रेट नहीं मिल पाता है और वही अनाज जब किसी कंपनी के टैग या किसी कंपनी के मॉल में पहुंच जाता है तो उसका रेट किसान से खरीदी गई रेट से तकरीबन 20 गुना हो जाता है एग्जांपल मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक चिप्स बनाने वाली कंपनी जब किशान से आलू खरीदती है तो दो रुपए केजी खरीदा जाता है और जब कंपनी का लोगो लगा देती है तो एक चिप्स के पैकेट में एक आलू पूरा नहीं होता और वह पैकेट ₹10 रुपए में बेचती है एक गुटखा बनाने वाली बीड़ी बनाने वाली सिगरेट बनाने वाली कंपनी आज अरबों में खेल रही है और इनमें जो मटेरियल डाला जाता उसको पैदा करने वाला किसान आज उसी जगह पर खड़ा है जहां आजादी से पहले था हमारा देश कृष प्रधान देश है और ज्यादातर लोग ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं और किसानी पर निर्भर होते हैं आजादी से लेकर आज तक जिस तरह से सरकारों के द्वारा किसानों को लेकर काफी योजनाएं और वादे किए जाते हैं लेकिन जब धरातल पर उन योजनाओं को देखा जाता है तो वह योजनाएं किसानों तक नाम मात्र के लिए पहुंचती हैं और यही कारण है कि आजादी से लेकर आज तक किसान उसी पायदान में खड़ा है जहां पर खड़ा था सरकार चाहे किसी की भी रही हो उन्होंने सिर्फ अपना फायदा देखा है और उद्योगपतियों का घर भरा है किसानों के हिस्से में सिर्फ दर्द और कर्ज दो ही आया है जो पूरा जीवन तक वह तड़पता रहता है यज्ञ प्रताप सिंह ने बताया कि मैं एक पूर्व फौजी हूं और सरकार की तरफ से मुझे ₹26000 महीने पेंशन मिलती है इस धान की बुवाई में मेरी लागत ₹115000 के लगभग सब कुछ खर्च आया था जिसको आज मैं ट्रैक्टर से कटवा रहा हूं जिसनमे मुझे एक रुपए नहीं फायदा हुआ है कटाई 15000 और लग जाएंगे व स्ट्रा है लेकिन फिर भी सरकार की तरफ से हमें पेंशन मिल रही है तो मेरा गुजारा किसी तरह चल जाता है लेकिन उन लोगों से जाकर पूछिए जो सूदखोरों से कर्ज लेकर खेती करते हैं जब फसल नष्ट हो जाती है तो किसी काम के नहीं रह जाते है कई किसान तो ऐसे हैं कि किसानी के दम पर ट्रैक्टर फाइनेंस करा रखे हैं और धान की फसल नष्ट हो गई है उनका क्या हाल होगा कैसे जीवन यापन करेंगे सरकार से मेरा विनम्र निवेदन है किसानों के प्रति अपना ध्यान आकर्षित करें और उनकी मदद करें ताकि जो बेरोजगार किसान है जो कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं उनका घर बर्बाद ना होने पाए।

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