MP news, रोज़गार के नाम पर तमाचा ठेकेदारी प्रथा ,गरीबों मजदूरों युवाओं को आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में खून चूस रहे ठेकेदार।

MP news, रोज़गार के नाम पर तमाचा ठेकेदारी प्रथा ,गरीबों मजदूरों युवाओं को आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में खून चूस रहे ठेकेदार।

8 घंटे की जगह 12 घंटे 14 ,घंटे ड्यूटी और वेतन में कमीशन विभाग में कमीशन, अगर कोई विरोध करें तो नौकरी से बाहर।

 

मध्यप्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों की प्रथा रोजगार के नाम पर गरीबों बेरोजगारों मजदूरों के खून चूसने का जरिया बन गया है नाम न छापने की शर्त पर कुछ आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि बिजली विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों में भी अब आउटसोर्स कर्मचारीयों के माध्यम से कर्मचारियों को नौकरी दी जा रही है इस प्रथा से दो प्रकार के फायदे लिए जा रहे हैं एक तरफ जहां सरकार का आर्थिक बोझ कम हो रहा है और सरकारी नौकरी नहीं देनी पड़ती तो वहीं दूसरी तरफ संबंधित विभाग के अधिकारियों को मोटी रकम कमीशन के रूप में मिल जाती है इसके साथ ही आउटसोर्स कर्मचारी की भार्ती करने वाली कंपनी भी अपने कर्मचारियों की वेतन से मोटी रकम काटकर बड़ा मुनाफा कमा रही हैं बेरोजगार गरीबों मजदूरों युवाओं का दर्द वही जानते हैं जो इस स्थिति से गुजर रहे हैं और यह सब संवेदनशील सरकार भी देख रही है लेकिन सरकार को तो बेरोजगारी से अपना पल्ला झाड़ना है इसके लिए नौकरी में ठेकेदारी प्रथा ही सबसे सही तरीका है।

सरकार नहीं दे रही ध्यान।

इस मामले में विंध्य आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के लोगों का कहना है कि बिजली कम्पनी के सिस्टम की लापरवाही की वजह हो रहें हादसे को लेकर दुखी है आए दिन कोई न कोई कर्मचारी काल के गाल में समा रहा है बेरोजगारी एवम आर्थिक रूप में मजबूर आउटसोर्स कंपनी बिजली विभाग में जो कर्मचारी हैं उनकी राजनैतिक पृष्ठभूमि नही होती है जिसके कारण समस्या सुनने वाला कोई नहीं है,आउटसोर्स कर्मचारी ही खंभे में चढ़कर 33 केवी वा 11 केवी की लाइन में मरम्मत कार्य करते हैं बिजली विभाग की लापरवाही से कईयों की तो बलि चढ़ गई कई विकलांग हो गए पर सिस्टम को जरा भी फर्क नहीं पड़ा बताया गया है कि बिजली कम्पनी में 1 महीने के अंदर 7 आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ दुघटनाएं हो चुकी है जिनमे 3 की हालत बेहद चिंताजनक है पर बिजली कम्पनी के सिस्टम में जरा भी बदलाव नहीं हुआ है और न सरकार इस ओर ध्यान दें रही है।

कइयों की गई जान कई हुए विकलांग।

आउटसोर्स कर्मचारियों में सबसे भयावह स्थिति बिजली विभाग में है आंकड़े बताते हैं कि साल भर में खराब मेंटेनेंस सिस्टम की वजह से रीवा में आधा दर्जन से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों की मौत हो चुकी और तीन दर्जन कर्मचारी शारीरिक रूप से विकलांग हो चुके है यह बात बिजली कम्पनी के हर जिम्मेदार को पता है पर सिस्टम में सुधार के लिए आज तक कोई पहल नहीं की गई कई आउटसोर्स कर्मचारियों को कार्य करते समय सुरक्षा के उपकरण भी नही मिलते दर्जनों कर्मचारियों में इक्का दुक्का कर्मचारियों के पास ही लाइन में कार्य करते समय सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराया जाता है बिजली कम्पनी में कार्य करते समय कई घरों के चिराग बुझ गए कुछ लोग अपंग हो गए ऐसी स्थिति में घर चलाने मुश्किल हो रहे हैं भविष्य में रोजी रोटी का संकट खड़ा हो रहा है।

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