सिंगरौली न्यूज़ : कंपनियों की मनमानी; बलिया नाला में छोड़ रहे खदानों और कोल वाशरी का दूषित पानी

सिंगरौली. वायु व जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिए गए निर्देश पर कंपनियां अमल करने को तैयार नहीं हैं। कलेक्टर के सख्त निर्देश के बावजूद न तो बलिया नाला और काचन नदी में दूषित पानी छोड़े जाने का सिलसिला रूका है और न ही सडक़ मार्ग से हो रहे कोयला व राखड़ परिवहन में निर्देशों का पालन किया जा रहा है। पिछली बैठकों में कई बार कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद भी पहले जैसे हाल ही बने हुए हैं। कंपनी अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पर्यावरण क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेजा है। जयंत स्थित बलिया नाला और काचन नदी का पानी पूर्व की तरह की काला है। दोनों ही जल स्रोत में एनसीएल की खदानों व कोल वाशरी का पानी बिना शुद्ध किए छोड़ा जा रहा है। इनके जरिए प्रदूषित पानी पूर्व की तरह अब भी रिहंद जलाशय में जा रहा है।
बलिया नाला में छोड़ा जा रहा कोयलायुक्त पानी: बलिया नाले के जरिए रिहंद जलाशय में जा रहे पानी में कोयला की मात्रा अत्यधिक है। यही वजह है कि पानी पूरी तरह से काला है। नाले के पानी में कोयला की अत्यधिक मात्रा की वजह आसपास स्थित कोल खदानों को बताया जा रहा है। नाले के पास स्थित एनसीएल की दुद्धिचुआ व जयंत की कोल खदानों से निकलने वाला पानी बिना शुद्ध किए सीधे नाले में डाला जा रहा है। इतना ही नहीं नाले में कोल परियोजनाओं की कॉलोनी के सीवरेज का पानी व घरों का गंदा पानी भी बलिया नाले में डाला जा रहा है।
26 सितंबर को फिर बुलाई गई कपंनियों की बैठक: प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए जिला प्रशासन के प्रयायों पर अमल नहीं हो रहा है। एनसीएल परियोजनाओं के लापरवाह अधिकारी प्रशासन की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। इसलिए 26 सितंबर को फिर से एनसीएल सहित अन्य कपंनी अधिकारियों की बैठक कलेेक्टर ने बुलाई है। बैठक में कपंनी अधिकारियों को अंतिम मौका देने की बात कही जा सकती है। फिर उसके बाद लापरवाही सामने आई तो संबंधित परियोजना के अधिकारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
नदी और नालों की तरह सडक़ मार्ग से हो रहे कोयला व राखड़ परिवहन का हाल भी कुछ ऐसा ही है। सडक़ों पर अब भी कोयले व राखड़ की धूल उड़ रही है। जयंत-मोरवा मार्ग हो या फिर धिरौली-सरई मार्ग, ओवरलोड वाहनों में कोल परिवहन हो रहा है। एनजीटी के निर्देश के बाद भी सडक़ की सफाई केवल मुख्य मार्ग तक ही सीमित है। इस मार्ग पर दो पहिया चालकों का सफर परेशानियों से भरा है। पुरानी हो चुकी इस समस्या का कोई समाधान नहीं है।
कंपनियों को जारी है ये निर्देश
बलिया नाला व काचन नदी सहित अन्य जलस्रोत में प्रदूषित पानी का शोधन कर छोड़ा जाए।
कोयला परिवहन में लगे वाहन ओवरलोड न हो, ताकि सडक़ पर कोयला नहीं गिरे।
कोयला परिवहन वाले मार्ग की सफाई की जाए व पानी का छिडक़ाव हो, ताकि वायु प्रदूषण न हो।
कलेक्टर के निर्देश पर कार्य किया जा रहा है
कलेक्टर के निर्देश पर कार्य किया जा रहा है। उन्हें जानकारी दी जा रही है। दुद्धीचुआ व जयंत परियोजना प्रबंधन के खिलाफ पर्यावरण क्षतिपूर्ति का मामला बनाकर भोपाल भेजा गया है। 26 सितंबर को कपंनी अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। इस संबंध में विस्तृत चर्चा की जाएगी
संजीव मेहरा, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी