Singrauli news: किताब कांपियों तथा डे्रस के नाम पर निजी विद्यालयों की लूट अनवरत जारी

विद्यालयों ने निकाला लूट का नया तरीका, कलेक्टर के आदेशों की हो रही अवहेलना
Singrauli news: कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला द्वारा पिछले दिनों निजी विद्यालयों केद्वारा मनमानी फीस वृद्धि एवं एकल विंडो गणवेश एवं पुस्तक विक्रय को लेकर एक टीम गठित कर कार्यवाही के निर्देश दिये थे परन्तु जिले के निजी विद्यालयों ने इससे बचने के नये तरीके निकाल लिये हैं। जिले के अधिकांश निजी विद्यालय प्रशासनिक दबाव के कारण भले ही एनसीआरटी की किताबें लगा रहे हैं परन्तु उसके साथ ही निजी पब्लिकेशन की भी आठ से दस किताबे लगा रहे हैं जिससे अब अभिभावकों के साथ और लूट होने लगी है। जहां एनसीआरटी की किताब दो से तीन सौ में सभी विषयों की मिल जा रही है वहीं उसके साथ ही विद्यालयों द्वारा लगायी गयी निजी प्रकाशन की किताबें तीन से चार हजार कीमत की हैं ऐसे में अब अविभावकों के ऊपर दोहरा बोझ पड़ने लगा है। हद तो यह है कि अब भी जिले में कई नामचीन निजी विद्यालय हैं जो एनसीआरटी की भी किताबें नहीं लगा रहे हैं और अपने पब्लिकेशन की किताबें खरीदनें को छात्रों को मजबूर कर रही हैं।
कलेक्टर द्वारा यह भी आदेश जारी किये गये थे किसी एक दुकान में ही किताब कांपियां खरीदने को निजी विद्यालय मजबूर नहीं करेंगे, उक्त आदेश का भी तोड़ निजी विद्यालयों द्वारा निकाल लिया गया है अब एक स्कूल की तीन दुकानों में किताब और कांपियां बिक रही हैं। किताब कांपी चाहे जिस दुकान में बिके कमीशन विद्यालयों तक पहुंच जा रहा है।
बताते चलें कि सिंगरौली जिले में संचालित निजी विद्यालयों द्वारा लम्बे समय से किताब कांपी तथा डे्रस के नाम पर लूट की जा रही है। विद्यालयों के लूट का तरीका यह रहता है कि किसी प्राइवेट पब्लिकेशन से विद्यालय द्वारा संपर्क किया जाता है और अपने विद्यालय के लिए किताबों को छपवाया जाता है। जो किताब पचास रूपये की होनी चाहिए उसका मूल्य पाँच सौ रूपये लिखा जाता है। विद्यालय द्वारा जो किताबें लगायी गयी हैं उन्हें छात्र खरीदेेंंगे और दुकानदार किताब कांपी का आधा हिस्सा स्कूल को सौंप देगा। यदि निचले स्तर पर सांठगांठ सेट नहीं हो पायी तो विद्यालय डायरेक्ट पब्लिकेशन से संपर्क कर वहीं कमिशन फिक्स कर लेते हैं। कुछ ऐसा ही हाल विद्यालयों के ड्रेस का भी है। चुनिंदा दुकानों में ही डे्रस उपलब्ध होता है जिसका दाम बाजार से कई गुना ज्यादा होता है। इसमें विद्यालय का मोटा कमीशन फिक्स रहता है। कलेक्टर सिंगरौली द्वारा निजी विद्यालयों की लूट से छात्रों तथा अविभावकों को बचाने का प्रयास तो किया गया परन्तु वह प्रयास अब तक नाकाफी साबित हो रहा है। निजी विद्यालयों द्वारा जिस तरह से लूट के नये नये हथकंडे अपनाये जा रहे हैं उससे उम्मीद कम ही है कि निजी विद्यालयों की लूट से इस बार अविभावक व छात्र बच पायेंगे। फिलहाल कलेक्टर द्वारा इस संबंध में शिकायत हेतु हेल्पलाइन नंबर ९४७९९५५८०० जारी किया गया है जिसपर शिकायत की जा सकती है। हेल्पलाईन पर बड़ी संख्या में शिकायतें भी पहुंच रही हैं परन्तु जिस तरह से विद्यालयों के द्वारा छात्रों को किताब कापियां तथा डे्रस खरीदने के लिए दो-चार दिन का समय दिया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि जब तक जांच होगी तब तक सभी छात्र किताब कांपिंया तथा डे्रस खरीद चुके होंगे।