Singrauli: राजीव गांधी इंटरनेशनल स्कूल में फिर बच्चों के साथ बर्बरता, डंडों से पिटाई और पढ़ाई में लापरवाही के आरोप — प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठे सवाल

राजीव गांधी इंटरनेशनल स्कूल में फिर बच्चों के साथ बर्बरता, डंडों से पिटाई और पढ़ाई में लापरवाही के आरोप — प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठे सवाल
सिंगरौली, पड़ैनिया। राजीव गांधी इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त इस स्कूल में न सिर्फ बच्चों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, बल्कि पढ़ाई के नाम पर भारी-भरकम फीस वसूलने का भी आरोप सामने आया है।
एक बार फिर बच्चा बना हिंसा का शिकार
हालिया मामला एक नाबालिग छात्र की डंडों से की गई बेरहमी से पिटाई का है। बताया जा रहा है कि इससे पहले भी एक बच्चे के सिर से बाल तक उखाड़े गए थे, लेकिन स्कूल प्रबंधन के माफी मांगने और गिड़गिड़ाने के बाद परिजनों ने चुप्पी साध ली थी। अब फिर वही हिंसा दोहराई गई है, जिससे अभिभावकों में गंभीर आक्रोश व्याप्त है।
सीबीएसई बोर्ड की गरिमा पर सवाल
सीबीएसई जैसे प्रतिष्ठित बोर्ड से संबद्ध इस स्कूल में शैक्षणिक गतिविधियों की जगह फीस वसूली और हिंसा ने कब्जा कर लिया है। छात्रों और परिजनों का कहना है कि स्कूल में शिक्षण का स्तर बेहद खराब है, और इसका उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना रह गया है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन को पिछले मामलों की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। वहीं देवसर विधायक राजेन्द्र मेश्राम से भी लोगों ने निराशा जताई है कि उन्होंने इस मुद्दे को अब तक संज्ञान में नहीं लिया। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं?
लोगों की चेतावनी – “एडमिशन से पहले दो बार सोचें”
अभिभावकों ने साफ कहा है कि जो बच्चों की सुरक्षा नहीं कर सकता, वह स्कूल कहलाने का हकदार नहीं। उन्होंने अन्य परिवारों से अपील की है कि राजीव गांधी इंटरनेशनल स्कूल में प्रवेश लेने से पहले वे सोच-विचार जरूर करें।
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मांगे और सुझाव:
दोषियों पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए
स्कूल की मान्यता को जांच के घेरे में लाया जाए
बच्चों की सुरक्षा के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त हों
शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल की शिक्षण गुणवत्ता और फीस ढांचे की जांच कराई जाए
यह एक पुनरावृत्ति नहीं, बल्कि गंभीर चेतावनी है। यदि अब भी प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व ने आंखें मूंदी रखीं, तो शिक्षा के नाम पर जारी यह हिंसक कारोबार और अधिक निर्दय होता जाएगा।