नगर निगम सिंगरौली में निर्माण कार्यों पर उठे सवाल, कमिश्नर और महिला प्रभाव के इशारे पर चल रही मनमानी?

नगर निगम सिंगरौली में निर्माण कार्यों पर उठे सवाल, कमिश्नर और महिला प्रभाव के इशारे पर चल रही मनमानी?
अवनीश तिवारी, विराट वसुंधरा समाचार
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सिंगरौली।नगर निगम सिंगरौली एक बार फिर भ्रष्टाचार और मनमानी के गंभीर आरोपों के घेरे में है। जानकारी के अनुसार, नगर निगम में कमिश्नर और एक प्रभावशाली महिला के कथित इशारे पर न केवल निर्माण कार्य मनमाने ढंग से कराए जा रहे हैं, बल्कि घटिया सामग्री, बिना वारंटी, और निर्धारित समय सीमा के बिना करोड़ों के निर्माण कार्य ठेकेदारों को सौंप दिए गए हैं।
स्टोर में लाखों का घोटाला, रिकॉर्ड में नहीं पारदर्शिता
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर निगम के स्टोर सेक्शन में लाखों रुपये की खरीदी के बावजूद सामग्री की मात्रा व गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं है। स्थानीय पार्षदों ने भी इस मुद्दे पर कई बार नगर निगम में आपत्ति दर्ज कराई है, परंतु उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।
कई मामलों में बिना टेंडर प्रक्रिया पूरी किए ही सप्लायर्स को भुगतान कर दिए जाने की भी जानकारी सामने आई है। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि हर भुगतान में निर्धारित ‘कमीशन’ की हिस्सेदारी ऊपर तक जाती है।
महिला प्रभाव की चर्चा, फैसलों पर हावी भूमिका
नगर निगम सूत्रों की मानें तो कमिश्नर के निर्णयों पर एक अदृश्य महिला प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह महिला न केवल निर्माण कार्यों के आवंटन में हस्तक्षेप करती है, बल्कि बिल पास करने, ठेकेदार तय करने, और कार्यालयीन निर्णयों में भी अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रखती है।
स्थानीय लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि निगम का संचालन जनता की सुविधा की बजाय चयनित ठेकेदारों और कमिशनखोरी को प्राथमिकता देकर किया जा रहा है।
पारदर्शिता पर सवाल
निर्माण कार्यों में साइट निरीक्षण की कमी
वारंटी और गारंटी जैसे जरूरी प्रावधानों की अनुपस्थिति
हर माह लाखों के अनियमित भुगतान
शिकायतों पर जांच के बजाय दबाव बनाने की प्रवृत्ति
जनप्रतिनिधियों की मांग: हो उच्चस्तरीय जांच
स्थानीय पार्षदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि नगर निगम के समस्त निर्माण कार्यों, स्टोर सेक्शन में खरीदी और भुगतान व्यवस्था की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए। साथ ही कथित महिला प्रभाव की भूमिका और पद का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है।
अब देखना यह है कि सिंगरौली की जनता के टैक्स के पैसों से चलने वाले इस निकाय में ईमानदारी और पारदर्शिता कब बहाल होती है, या फिर यह घोटालों का अड्डा बनकर रह जाएगा।