SINGRAULI NEWS : सड़क पर ऐरा मवेशियों का राज , कागजों में बने पशुबाड़ा, खेतों और सड़कों पर घूम रहे मवेशी

विडंबना: बारिश शुरू होते ही किसानों की शुरू हुई फजीहत, सड़क पर ऐरा मवेशियों का राज

सिंगरौली. बरसात शुरू होते ही अन्नदाताओं की फजीहत शुरू हो गई है। ऐरा मवेशी खेतों में धमाचौकड़ी करने लगे हैं, जबकि जिलेभर की ग्राम पंचायतों (gram panchayats) में ऐसे मवेशियों को रखने पशुबाड़ा (cattle shed) बनाए जाने का निर्देश था। यह जानकर हैरानी होगी कि पशुबाड़ा (cattle shed) कागजों में बन गया है, जिसमें लाखों की हेराफेरी की गई है।

 

बीते शुक्रवार को पीएम खनन क्षेत्र कल्याण योजना (PM Mining Sector Welfare Scheme) की बैठक के दौरान सांसद और विधायकों ने ऐरा मवेशियों के खुला घूमने पर सवाल उठाए और पशुबाड़ा को लेकर जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह नागेश से जानकारी चाही तो सीईओ जनप्रतिनिधियों के सवाल का जवाब नहीं दे सके। इससे जाहिर है कि पशुबाड़ा ((cattle shed)) के निर्माण मेें व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार को लेकर कोई संदेह नहीं है। जिला सीईओ की लचर कार्यप्रणाली के चलते पंचायतों में भ्रष्टाचार करने की खूली छूट दे दी गई है।

 

जानकारी के अनुसार आवारा पशुओं को देखभाल करने के लिए वरिष्ठ कार्यालय से ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों को निर्देश था कि ग्राम पंचायतें तार के फेंसिंग के साथ पशुबाड़ा का निर्माण कराएं और उनकी सुबह-शाम देखभाल पंचायतों की ओर से कराई जाए। बताते चलें कि जिले में ऐसा कोई गांव नहीं होगा, जहां आवारा पशु झुंड के साथ खेतों में पहुंच फसलों को नुकसान न पहुंचाते हों। हालांकि अभी खरीफ फसल की तैयारियां शुरू है। करीब 10 दिन बाद से फसलों के नुकसान होने का डर अन्नदाताओं को जरूर सताएगा। लेकिन जिमेदार किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर नही हैं। अगर प्रशासन गंभीर होता तो जिले में कितने पशुबाड़ा बनाए गए, हैं आंकड़ें जरूर होते।

पीठ थपथपा रहे जिमेदार अधिकारी

 

जनपद से लेकर जिला पंचायत (District Panchayat) केवल अपनी पीठ थपथपा रही हैं और उनका पूरा ध्यान जल संवर्धन पर है। हालांकि इसमें आज नहीं तो कल अनियमितता उजागर जरूर होगी। जिले में चैकडैम और स्टाप डैम जीता जागता उदाहरण हैं, जहां कई पंचायतों में चैक डैम पिछले साल ध्वस्त हो गए और उन पंचायतों पर जिला पंचायत के अधिकारियों की मेहरबानी पर शिकायतकर्ता तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।

 

पशुबाड़ा की राशि में बंदरबांट का आरोप

 

जिले के कई ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा के नाम पर राशि की बंदरबांट भी की गई है। इस तरह के आरोप कई ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिवों पर लग चुके हैं। मगर जिला पंचायत के अधिकारियों ने इसकी जांच कर फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए। ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा की आड़ में व्यापक फर्जीवाड़ा पिछले वित्तीय वर्ष में हुआ है, लेकिन जिला पंचायत के जिमेदार अधिकारी के पास आंकड़े न होने से सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

जिपं सीईओ के पास नहीं हैं आंकड़े

 

जिले के कितने ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा का निर्माण हुआ है, जनप्रतिनिधियों की ओर से मांगी गई जानकारी से जिला पंचायत सीईओ ने असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें काम करा रही हैं। आंकड़े जिला पंचायत में नहीं हैं। इस जवाब को सुनकर जनप्रतिनिधि हैरत में पड़ गए। नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आखिरकार ग्राम पंचायत किसके अधीन है? मवेशियों के देखभाल कौन करेगा? मानसून सक्रिय होते ही किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है, मगर ऐरा मवेशियों को लेकर उन्हें चिंता भी सता रही है।

 

ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा का निर्माण कराए जाने का निर्देश दिया गया था। कहां कितने बाड़ा बनाए गए हैं। इसमें ऐरा मवेशियों को रखा जा रहा है या नहीं। इस संबंध में पंचायतों से जानकारी मांगी गई है। अभी तक में जिन पंचायतों में पशुबाड़ा नहीं बने हैं, वहां निर्माण कराए जाने को लेकर पंचायत के जिमेदारों को निर्देशित किया गया है।

 

-गजेन्द्र सिंह नागेश, सीइओ जिला पंचायत सिंगरौली

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