Political news, आपातकाल दौरान हुए चुनाव में जनता ने आजादी की कीमत पर रोटी को नकारा था : अजय खरे।
इधर 2024 लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा और मोदी का अहंकार भी तोड़ा।
रीवा 25 जून। समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि आज जब हम 25 जून 1975 को काले दिवस के रूप में याद कर रहे हैं तब यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले 10 वर्षों से जारी मोदी सरकार के अघोषित आपातकाल से देश के लोकतंत्र और संविधान को मुक्ति नहीं मिल पाई है। अनुच्छेद 370 के खात्मे , राम मंदिर और अन्य बातों का ढिंढोरा पीटने और लोकसभा चुनाव में 400 पार का दावा करने के बावजूद मोदी और भाजपा को देश की जनता ने बहुमत से दूर रखा। यह अलग बात कि तकनीकी तौर पर उन्हें गठबंधन सरकार बनाने का मौका मिल गया। ऐसे समय में रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई की कहावत चरितार्थ हो रही है। इधर मोदी गठबंधन सरकार में तानाशाही का खतरा भले कम हुआ लेकिन खत्म नहीं हुआ।
श्री खरे ने कहा कि 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के द्वारा रायबरेली लोकसभा चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग किया था। लेकिन जनवरी 1977 में उन्होंने लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान किया और मार्च में संपन्न हुए चुनावों में उनकी पार्टी को भारी शिकस्त मिली। तब रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी खुद चुनाव हार गईं थीं। वहीं सन 1980 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी ने भारी बहुमत के साथ वापसी की । सन 1984 में उनकी बर्बर हत्या कर दी गई।