अंबानी के बेटे की शाही शादी में हुई भारी भरकम फिजूलखर्ची बाजारवाद का गंदा खेल : अजय खरे
अंबानी के बेटे की शाही शादी में हुई भारी भरकम फिजूलखर्ची बाजारवाद का गंदा खेल : अजय खरे
देश की जनता के पैसे लूटकर पानी की तरह बहाए जा रहे।
दुनिया के बड़े रईसों में एक मुकेश अंबानी के छोटे पुत्र अनंत की राधिका की शादी में भारी भरकम फिजूल खर्ची का विरोध होना चाहिए। समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि इस शादी समारोह की अति फिजूलखर्ची बाजारवाद का गंदा खेल है, जो देश में बढ़ रही गैर बराबरी की अपसंस्कृति को बढ़ावा दे रही है । श्री खरे ने बताया कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ने 60 वर्ष पहले भारत की संसद में फिजूल खर्ची का सवाल उठाया था। उस दौरान देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रतिदिन ख़र्चे को लेकर समाजवादी चिंतक सांसद किशन पटनायक ने सवाल किए थे। आज ऐसे सवाल संसद में नहीं गूंजते हैं। डॉ लोहिया के संसदीय कार्यकाल में देश की संसद में गरीबों की आमदनी को लेकर तीन आना बनाम पंद्रह आना की गंभीर बहस शुरू हुई थी। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 80 करोड लोग गरीबी की रेखा के नीचे 5 किलो अनाज के लिए मोहताज हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर प्रतिदिन कितना खर्च होता है यह देश को नहीं बताया जाता।
श्री खरे ने कहा कि यह भारी विडंबना है कि करीब 2 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज से लदे गरीब देश में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में ऐसी शादी का आयोजन हुआ है जो राजा महाराजाओं की फिजूलखर्ची को भी पीछे छोड़ रहा है। एक समय ऐसा था कि अधिक बारात पर प्रतिबंध का कानून बना था लेकिन आज इस फिजूलखर्ची पर कहीं कोई सवाल नहीं उठ रहा है। दहेज के खिलाफ होने वाले आंदोलन करीब करीब बंद हो गए हैं। लाखों लड़कियां दहेज कुप्रथा के चलते आजीवन कुमारी रह जाती हैं। यह बहुत बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। हर वर्ष हजारों लड़कियां शादी के बाद दहेज की मांग के चलते दहेज हत्या और आत्महत्या की शिकार बन जाती हैं।
देखा जा रहा है कि राज्य सरकारों के द्वारा लड़कियों की शादी के लिए चलाए जा रहे अभियान में एक ही मंडप में हजारों शादियां संपन्न करा दी जाती हैं। ऐसी स्थिति में अनंत राधिका की शादी की फिजूलखर्ची बेहद आपत्तिजनक , गैर बराबरी को बढ़ाने वाला गैर जिम्मेदाराना कृत्य है इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। देश को लूटने वाले पूंजीपतियों की फिजूलखर्ची पर लगाम क्यों नहीं लगना चाहिए ?