Donald Trump की नस्लवादी रंगभेद टिप्पणी अत्यंत गैरजिम्मेदाराना और आपराधिक कृत्य है: अजय खरे।

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Donald Trump की नस्लवादी रंगभेद टिप्पणी अत्यंत गैरजिम्मेदाराना और आपराधिक कृत्य है: अजय खरे।

समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे रीवा ने कहा है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव में अपनी प्रतिद्वंद्वी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी को लेकर रंगभेद एवं नस्लवादी टिप्पणी अत्यंत गैरजिम्मेदाराना आपराधिक कृत्य है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने चुनावी अभियान में कमला हैरिस पर रंगभेद टिप्पणी करते हुए कहा कि वह काली हैं ,भारतीय हैं। श्री खरे ने बताया कि रंग-भेद के विरोध में समाजवादी चिंतक एवं भारत के सांसद डॉ राम मनोहर लोहिया ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान 27 मई 1964 को सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तारी दी थी। आखिरकार डॉ लोहिया को रिहा करते हुए अमेरिकी सरकार ने माफी मांगी थी।

श्री खरे ने कहा कि अमेरिका एक देश के रूप में बहुत पुराना नहीं है। दुनिया के विभिन्न कोने से आए लोगों ने मिलकर अमेरिका को नया स्वरूप दिया है। उसे दुनिया का महाशक्ति संपन्न देश बनाया है। भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी डोनाल्ड ट्रंप को अपना एक अच्छा दोस्त बताते हैं वहीं भारतीय मूल के लोगों के बारे में ट्रंप की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है। ट्रंप अभी जो टिप्पणी कर रहे हैं ठीक उसी तरह की टिप्पणी सन 2004 में जब सोनिया गांधी को राष्ट्रपति भवन से प्रधानमंत्री बनाने के बुलावे के समय हुई थी तब भारतीय जनता पार्टी और उसके तमाम नेताओं ने विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर हंगामा किया था। सुषमा स्वराज एवं उमा भारती ने तो सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए अपने कैश मुंडन कराने, जमीन में लेटने , सफेद कपड़े पहनने और चना चबैना खाने तक की बात कर डाली थी। सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं थी फिर भी उन्होंने खुद प्रधानमंत्री पद को अस्वीकार कर दिया। इस बात का जिक्र तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अपने पुस्तक में भी किया था।

श्री खरे ने कहा कि एक तरफ वसुधैव कुटुंबकम् की बात होती है वहीं दूसरी ओर परिवार में आकर रच बस गई बहू को संदेह की नजर से देखा जाता है , जो गलत है। बहू तो बहू होती है। जिस घर में शादी होती है , वह उस घर की होती है। इसे देशी विदेशी का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। श्री खरे ने कहा कि कमला हैरिस को देखकर लगता है कि वह अमेरिका की राष्ट्रपति बने। जब ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने तो यहां खुशियां मनाई गईं। लेकिन जब सोनिया गांधी को भारत की प्रधानमंत्री बनाने के लिए विधिवत आमंत्रित किया जा रहा था तो यहां कुंठित मानसिकता के लोगों के पेट में दर्द हो रहा था। उसी तरह के पेट दर्द की शिकायत आज कमला हैरिस को लेकर अमेरिका में भी है। कमला हैरिस यदि राष्ट्रपति बनती हैं तो अमेरिकी लोकतंत्र के लिए काफी सुखद बात होगी।

श्री खरे ने कहा कि अमेरिका में लोकतंत्र को खतरा पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में वहां की जनता नस्लवादी सोच से ऊपर उठकर फैसला करेगी यह बड़ी उम्मीद है। पूरी दुनिया में नस्लवादी सोच रखने वाले लोगों को सबक़ मिलना चाहिए।

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