Indian currency हुई कमजोर एशिया में सबसे नीचे गिरकर पहुंची दूसरे पायदान पर,,
Indian currency हुई कमजोर एशिया में सबसे नीचे गिरकर पहुंची दूसरे पायदान पर,,
याद कीजिए मोदी जी आपने कहा था कि ,, जिस देश का रुपया गिरता है वहां का प्रधानमंत्री गिरा हुआ होता है: एड प्रवीण पाण्डेय।
भारतीय रुपया इस समय काफी कमजोर हुआ है और भारतीय रुपयों की हालत काफी खराब है Indian currency इस समय एशिया की सबसे कमजोर सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गई है इस गिरावट के चलते खराब रिकॉर्ड में भारतीय रुपया दर्ज हो गया है बीते माह से भारतीय रुपया सबसे ख़राब करेंसी में एशिया में दूसरे पायदान पर पहुंच चुका है बीते अगस्त महीने में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया और बांग्लादेश टका ही ऐसी दो ई रही है जिनके भाव में डॉलर के मुकाबले कमी आई है तो वहीं दूसरी तरफ एशिया की ज्यादातर करेंसी मजबूत हुई है आंकड़े बताते हैं कि भारतीय रुपया 0.17 प्रतिशत गिरकर भारतीय रुपया एशिया की खराब करेंसी में दूसरी पायदान पर पहुंच चुका है तो वही 1.58% गिरावट के साथ बांग्लादेश सबसे नीचे पायदान पर है।
अन्य देशों के मुकाबले भारतीय रुपया।
भारतीय रुपया Dollar के मुकाबले all time low level पर आ गई है बीते सप्ताह रुपया डॉलर के मुकाबले 84 से नीचे तक गिर चुका था अगस्त महीने के बाद सितंबर में भी अभी रुपए में गिरावट लगातार जारी है अगर इस वित्तीय वर्ष में नजर डालें तो अप्रैल महीने से अब तक भारतीय रुपए में 0.6% गिरावट आई है इस वित्तीय वर्ष में एशिया की भारतीय रुपया से बेहतर हांगकांग के डॉलर और सिंगापुर डॉलर का बेहतर परफॉर्मेंस रहा है हांगकांग का डॉलर और सिंगापुर का डॉलर वित्तीय वर्ष 2023-24 में बीते वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7.8 प्रतिशत की भारी गिरावट के बाद ऊंचाई पर पहुंचा है।
ये हैं एशिया की सबसे बेहतर करेंसी।
इस समय देखा जाए तो एशिया की सबसे मजबूत ई में बीते माह से सबसे बेहतर स्थिति ताइवान डॉलर की रही है जो डॉलर के मुकाबले महीने भर में 2.72% मजबूत हुई थी तो वहीं साउथ कोरिया की वन 2.47 प्रतिशत की मजबूती के साथ बीते माह में एशिया की दूसरी सबसे अच्छी करेंसी हुई है इसके अलावा जापान की येन 2.61 प्रतिशत की तेजी के साथ तीसरे नंबर पर काबिज है चौथे पायदान पर वियतनाम का डोंग 1.56% मजबूती के साथ पहुंच चुका है
जहां का रुपया गिरता है वहां का प्रधानमंत्री गिरा होता है।
गिरते भारतीय रुपया को लेकर उच्च न्यायालय जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण कुमार पांडेय कहते हैं कि याद कीजिए वर्ष 2013-14 में जब गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान में भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय रुपया गिर रहा है तब उन्होंने चुनाव में इसे मुद्दा बनाते हुए जोर देकर कहा था कि रुपया जिस देश का गिरता है उस देश का प्रधानमंत्री गिरा हुआ होता है उस दौरान डॉ मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे और वह एक अच्छे अर्थशास्त्री भी माने जाते हैं गिरते हुए भारतीय रुपए पर अब केंद्र की वर्तमान सरकार को यह सोचना होगा कि रुपया पहले भी गिरा था और अब भी रुपया गिर रहा है फर्क सिर्फ है कि प्रधानमंत्री और सत्ताधारी दल बदले हैं समय आने पर ही आटा-दाल का भाव पता चलता है देश के प्रधानमंत्री को यह बखूबी पता हो चुका है दूसरी पार्टियों की आलोचना करना अपनी बिफलता को छुपाने का सबसे बड़ा फंडा है यही देश के प्रधानमंत्री लगातार करते आ रहे।
2014 में इतना था डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया।
26 मई 2014 को जब भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी तब एक डॉलर की कीमत लगभग 60 रुपए थी इससे पहले भारतीय रुपया सबसे निचले स्तर लगभग 65 रुपए प्रति डॉलर पहुंच चुका था लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेताओं द्वारा₹40 प्रति डॉलर रुपया लाने के दावे किए जा रहे थे भारतीय रुपए के गिरते मूल्य पर उस दौरान नरेंद्र मोदी और स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने अच्छी कैंपेनिंग की थी अब भाजपा सरकार डालर के मुकाबले रूपयों का गिरने का सिलसिला रोकने में नाकाम रही है और ऐसा लगता है कि आने वाले 5 साल के बाद डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया₹100 तक भी पहुंच सकता है।