एक जुलाई से देश में लागू होंगे तीन नए कानून इसे दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली होने का किया जा रहा दावा।
एक जुलाई से देश में लागू होंगे तीन नए कानून इसे दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली होने का किया जा रहा दावा।
नई दिल्ली: भारत देश में आगामी एक जुलाई से आपराधिक मामलों में भारतीय कानून के तहत नए तरीके से पीड़ितों, पक्षकारों को न्याय मिलने लगेगा इसके लिए भारत सरकार गृहमंत्रालय ने तीन नए कानून व्यवस्था लागू करने की बात कही है जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम यह तीनों कानून आगामी एक जुलाई से लागू होने की अधिसूचना जारी कर दी है बता दें कि ये तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए आइपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून की जगह लेंगे इसके साथ ही एक जुलाई से विभिन्न अपराधों के लिए दर्ज होने वाली एफआइआर नए कानून की धाराओं की तहत दर्ज होंगी और उनकी विवेचना और अदालत में सुनवाई भी नए कानूनी प्रावधानों के तहत होगी माना जा रहा है कि तीनों नए कानून को लेकर जुलाई के पहले देश भर में पुलिसकर्मियों, अभियोजकों और जेल कर्मियों के प्रशिक्षण देने का काम कर लिया जाएगा प्रशिक्षण के लिए 3000 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है इसी तरह से ट्रायल कोर्ट के जजों के प्रशिक्षण का काम भी चल रहा है।
दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली।
संसद के शीतकालीन सत्र में इन तीनों कानूनों को पास किया था और गृहमंत्री अमित शाह ने इनके लागू होने के बाद भारत की न्याय प्रणाली को दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली होने का दावा किया था इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद आतंकवाद से जुड़े मामलों में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के अलावा भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धाराओं के तहत भी केस दर्ज किये जा सकेंगे। पुराने आइपीसी और सीआरपीसी में इसका कोई प्रविधान ही नहीं था इसके अलावा अब मॉब लिंचिंग भी पहली बार अपराध की श्रेणी में आ जाएगा और इसके लिए आरोपी को आजीवन कारावास और मौत की भी सजा हो सकती है इसी तरह से नए कानूनों में भगोड़े अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के साथ ही उसकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाया जा सकेगा।
सभी अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य।
देश में लागू होने जा रहे नए कानूनों में तकनीक पर विशेष महत्व दिया गया है। इसके तहत पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली आनलाइन हो जाएगी, और कहीं से भी एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है इसके साथ ही थानेदारों को भी केस की गवाही के लिए अदालत में पेश नहीं होना पड़ेगा गवाहों और पुलिस के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने की सुविधा होगी। इसी तरह से फारेंसिक या मेडिकल रिपोर्ट की कापी भी आनलाइ संबंधित जांच अधिकारी के साथ-साथ अदालत तक पहुंच जाएगी अब नए कानूनों में फारेंसिक की काफी अहमियत है और सात वर्ष से अधिक सजा वाले सभी अपराधों में फारेंसिक साक्ष्य जुटाना अनिवार्य हो जाएगा। इसके लिए सभी जिलों को मोबाइल फोरेंसिक लैब उपलब्ध कराया जा रहा है।