चुनावी के दौरान होने वाले एग्जिट पोल परिणामों को प्रभावित करते हैं,आचार संहिता का पालन सुनिश्चित कराए चुनाव आयोग: अजय खरे।
रीवा । समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि होने जा रहे लोकसभा के चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा है। इसके चलते स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की संभावनाएं क्षीण होती जा रही हैं। आचार संहिता का पालन कराना चुनाव आयोग की ऐतिहासिक जवाबदेही है। भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा 18 वीं लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर शनिवार 16 मार्च को चुनाव की तारीखों के विधिवत ऐलान के साथ ही पूरे देश में आचार संहिता लागू होने के बावजूद उसके परिपालन में भारी विसंगतियां देखने को मिल रहीं हैं। श्री खरे ने कहा इधर विशाल धार्मिक आयोजनों की आड़ में खासतौर से सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के द्वारा चुनाव आचार संहिता की सरासर धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावशाली बनाने के लिए चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू की है। इसके लागू होते ही सरकार के कामकाज पर भी चुनाव आयोग की कड़ी नजर होना चाहिए। चुनावी उद्घोषणा उपरांत किसी भी तरह के एग्जिट पोल के प्रसारण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए लेकिन देखने को मिल रहा है कि निर्वाचन आयोग के द्वारा एग्जिट पोल को 19 अप्रैल के प्रातः काल 7:00 से लेकर 1 जून 2024 की शाम 6:30 बजे तक ही प्रतिबंधित किया गया है। जबकि यह प्रतिबंध पूरे देश में हो रहे लोकसभा के चुनाव तारीख ऐलान के साथ 16 मार्च 2024 से ही प्रभावशील होना चाहिए था।
श्री खरे ने कहा कि देश में मतदान के प्रथम चरण का अभियान शुरू है। ऐसी स्थिति में 19 अप्रैल को होने जा रहे मतदान की सुबह 7:00 से पहले तक एग्जिट पोल को जारी रखना सरासर गलत है। श्री खरे ने कहा कि वैसे भी प्रथम चरण के मतदान के पहले 17 अप्रैल की शाम से ही चुनाव प्रचार प्रसार बंद हो जाएगा । तब एग्जिट पोल को 19 अप्रैल की सुबह 7:00 बजे तक किस आधार पर जारी रखा जा रहा है। एग्जिट पोल कहीं का भी हो उसका असर पूरे देश के चुनाव परिणामों पर होता है। श्री खरे ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग को तत्काल प्रभाव से पूरे चुनाव प्रचार प्रसार अभियान के दौरान पूरे देश में एग्जिट पोल को रोकना चाहिए।
लोकतंत्र सेनानी श्री खरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव से कुछ पहले भारत रत्न सम्मान को लेकर मोदी सरकार जिस तरह अपने राजनीतिक हित साधने की कोशिश की वह किसी से छिपी नहीं है। इधर आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा भारत रत्न सम्मान का वितरण किया जाना मोदी सरकार के कामकाज का सीधा प्रचार-प्रसार है। भारत रत्न सम्मान देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसका चुनावी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। लोकसभा चुनाव प्रक्रिया शुरु होने के बाद भारत रत्न सम्मान की आड़ में सत्ता पक्ष के द्वारा राजनीतिक हित साधने का काम बहुत आपत्तिजनक और मर्यादाहीन है। राष्ट्रपति भवन ने चुनाव आचार संहिता की मर्यादा भंग की है। राष्ट्रपति भवन को भी आचार संहिता को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। आखिरकार चुनाव के समय ही क्यों बांटा जा रहा है भारत रत्न सम्मान। इस संबंध में चुनाव आयोग की चुप्पी भी संदिग्ध है।