Rewa newa, राजनीतिक दलों में मौशम वैज्ञानिक जयचंद्रो का बोलबाला, जिधर देखी सत्ता उधर मारी पलटी।

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Rewa newa, राजनीतिक दलों में मौशम वैज्ञानिक जयचंद्रो का बोलबाला, जिधर देखी सत्ता उधर मारी पलटी।

संजय पाण्डेय, गढ़
विराट वसुंधरा दैनिक, वर्तमान दौर फील गुड का चल रहा है राजनीतिक दलों के मौसम वैज्ञानिक जयचंद रूपी नेताओं का सैद्धांतिक किला टूट कर बिखर रहा है दल बदल करने वाले नेताओं द्वारा बड़ी बेशर्मी के साथ यह कह दिया जाता है कि फला पार्टी की नीतियों से क्षुब्ध होकर गंगोत्री रूपी दूसरी पार्टी में शामिल हो गए हैं और जिन्हें दूसरी पार्टी में मनचाही मुराद पूरी करने की उम्मीदें हैं वह दूसरे दलों की ओर भागे जा रहे हैं इसके साथ ही कुछ ऐसे भी जयचंद हैं जिन्हें दूसरे दलों में ठिकाना नहीं मिल रहा तो अपने ही दल में रहकर अपने नेताओं और पार्टी की आंख में धूल झोंकने का अभियान चल रहे हैं और अपने ही पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी को निपटने की गुणा गणित में जुटे हुए हैं इस समय नेताओं राजनीतिक दलों में देखा जा रहा है कि भारत के विभिन्न राज्यों में सत्ता के विरुद्ध संघर्ष करने की क्षमता छीड़ सी होती जा रही है समाज में ऐसे लोग हैं जो किसी भी राजनीति दल के नहीं बल्कि सत्ता के करीब रहकर अपने व्यवसाय उद्योग धंधे मनमाफिक चला रहे सगे संबंधियों की पदस्थापना यह सभी कार्य सत्ता के निकटतम रहकर ही किया जा सकता है सत्ता से जहां इस समय पर कांग्रेस काफी वर्षों से दूर है वहीं बहुजन समाज पार्टी का भी जनाधार निरंतर घटता जा रहा है किसी पार्टी के जो निष्ठावान कार्यकर्ता थे वह 5 वर्ष संघर्ष करते थे और एक नया व्यक्ति आगे टिकट पाकर विधायक और सांसद बन जाता था इसी तरह से कांग्रेस पार्टी में सारे सामंतवादी पूंजीवादी लोग कांग्रेस पार्टी में सम्मिलित हुए एक या दो पंचवर्षीय किसी तरह से देखा जब कांग्रेस की वापसी आते नहीं दिखी तो काफी तेज गति से कांग्रेस के कार्यकर्ता मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ओर आकर्षित होने लगे इसी तरह से बहुजन समाज पार्टी के भी जो संपन्न और ताकतवर कार्यकर्ता थे उनमें भी अधिकांश सत्ताधारी दलों से निकटता बनाना शुरू कर दिया सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जो निष्ठावान कार्यकर्ता पक्ष विपक्ष हर विपदा हर संघर्ष में खड़े रहते हैं पार्टी के जो कार्यकर्ता जी जान से हर तरह के संघर्ष और प्रताड़ना भोगते हैं सत्ता आने पर वही पहले से ही सत्ताधारी दल के लोग दल बदलकर पुनः उस दल का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं।

उदाहरण के लिए यह 2024 ऐसा पहला चुनाव हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के पुराने कार्यकर्ता ऐसे हैं जो की विभिन्न प्रताड़नाएं भोगी है जिनके परिवार के ऊपर सैकड़ो मुकदमे लगे हैं जिनके परिवार की काफी क्षति हुई है परिवार भुखमरी की कगार में पहुंच गया है आज भी भुखमरी के कगार पर हैं और जो सामंतवाद जिनके वंशजों ने 10 वर्ष तक भारतीय जनता पार्टी बहुजन समाज पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी का दमन किया उन्हीं के वंशजों का आज भारतीय जनता पार्टी जयकारा बोल रही है इसी तरह से रीवा रियासत में प्रमुख रूप से कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी जनता दल बहुजन समाज पार्टी प्रमुखता के साथ देखी जाती थी जहां उनके साथ कार्यकर्ताओं की काफी श्रृंखला रहती थी जीत हार अलग बात है पहले अपने कार्यकर्ताओं के लिए संबंधित दल के नेता लड़ने के लिए तैयार रहते थे किंतु आज भारतीय जनता पार्टी में यह देखा जा रहा है कि आठ विधानसभा एक लोकसभा रीवा जिले और मऊगंज में है जहां भारतीय जनता पार्टी का ना एक विधायक है और ना कोई सांसद दूसरे दलों से आए हुए लोग आज भारतीय जनता पार्टी का प्रमुखता के साथ प्रतिनिधित्व कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता आज अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं का आयत हो रहा है, और सत्ता बदलते ही यही नेता कार्यकर्ता दल बदल कर सत्ता में बने जुड़े रहते हैं यही भाजपा के कार्यकर्ता किसी स्वागत प्रलोभन नहीं बल्कि त्याग और तपस्या और हिंदू सनातन धर्म गौ माता गंगा माता धारा 370 पाकिस्तान के आतंकवाद आदि मुद्दों को लेकर के सैद्धांतिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में जुड़े हुए थे जहां उनके संघर्ष की बदौलत रीवा से कांग्रेस पार्टी का सुपड़ा साफ हुआ और रीवा भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व ऐसे हाथ में चला गया जिनका जनता से नहीं बल्कि पूंजीपतियों से संबंध है रीवा के विकास की लोग बात करते हैं जहां रीवा में जल संवर्धन और पर्यावरण को पूर्ण रूपेण नष्ट कर दिया गया है केवल कांक्रीट रोड और भवन के कमरे निर्मित हुए हैं यदि आज रीवा में आकलन किया जाए तो जितने भवन और रोड बनी है शायद उसका दशमलव दो परसेंट भी वृक्षारोपण नहीं हुआ है।

रीवा शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक जितना जल स्रोतों का हनन हुआ है तालाब नदी कूप सभी करीब करीब नष्ट होने की कगार में पहुंच गए हैं इस तरह से रीवा जिले में शासकीय प्राथमिक पाठशाला और स्कूलों की संख्या सैकड़ो में घट गई है वहीं दूसरी तरफ हर गांव में कई दर्जनों की संख्या प्राइवेट खुल गई हैं जहां न योग्य शिक्षक न बैठने के लिए भवन व्यवस्था केवल टेंपो और निजी वाहनों से अभिभावकों से वसूली शुरू हो गई है धन्य रीवा की जनता की प्रति 5 किलो अनाज किसान सम्मान निधि लाडली लक्ष्मी बहन योजना शौचालय आज विकास के कार्यों तक सीमित होकर सनातन धर्म का नाम पर लोग वोट दे रहे हैं शौचालय जीवन के आधुनिक युग में अति आवश्यक चीज है किंतु 80% ग्रामीण अंचलों पर पंचायत द्वारा निर्मित शौचालय अभिलेखों में बनी है लेकिन जमीनी स्तर पर गायब है पानी की सुविधा न होने के कारण पानी की बचत के लिए या अन्य कारणो से खुले में लोग शौच करते हैं चाहे वह रोड हो या सार्वजनिक स्थल गंदगी से पटा भरा है वही रीवा जिले में आवारा पशुओं की संख्या जिस तरह से बढ़ रही है शायद यह 6000 वार्षिक किसान सम्मान निधि के स्थान पर किसानों को फसल सुरक्षा की व्यवस्था मिल जाती तो शायद यह अति उत्तम होता किसान सम्मान निधि ऐसे लोगों को भी प्राप्त हो रही है जिनके पास 25-30 डिसमिल जगह है किंतु किसान सम्मान निधि के नाम पर वोट उसी सरकार को मिलेगा जो हमें इस तरह का विकास दे रही है वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारी चरम पर है जहां कांग्रेस सरकार में शिक्षाकर्मी गुरुजी अन्य संविदा कर्मचारियों को भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अस्थाई किया किंतु शिवराज सिंह के कार्यकाल में जितने संविदा कर्मचारी रखे गए उन सब के साथ भयानक धोखा किया गया वहीं दूसरी तरफ हाई कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत का चुनाव तो कराया गया किंतु आज तक जो स्थानीय राजनीति से जुड़े हुए हैं जल उपभोक्ता मंडी और सहकारिता का चुनाव न करना यह है वर्तमान सरकार की तानाशाही दिखती है क्योंकि 2017-18 से इन संस्थाओं का अधिकांश जगह है चुनाव नहीं कराया गया था।

वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजमार्ग का उदाहरण दिया जा रहा है राष्ट्रीय राजमार्ग आज तक पूर्ण नहीं हुआ वसूली शुरू हो गई है यह मार्ग पूंजी पतियों के लिए है इसको चल कर देखा जाए तो गाड़ी बबलिंग करते हुए दुर्घटना का कारण बन रही है रीवा जिले में ऐसा कोई गांव नहीं है जहां दुर्घटना में एक या दो व्यक्ति की मृत्यु न हुई हो इसका कारण यह है कि सुचारू रूप से रोड़ों का निर्माण न होना ग्रामीण अंचलों की गड्ढे युक्त रोड बनी है पटरी और पटरी के आसपास मवेशी या अन्य गड्ढे निर्मित है जिससे दुर्घटनाएं घटित हो रही है आज विकास देखा जाए तो प्रधानमंत्री आवास बाहर छपे हुए हैं लिखा है लेकिन अंदर खंडहर है और जिस तरह से प्रधानमंत्री आवास बनना चाहिए उन पात्रों को आज भी प्रधानमंत्री आवास प्राप्त नहीं हो सका है बल्कि प्रधानमंत्री आवास प्राप्त लोग दुकान बनाकर दुकान किराए पर दे रहे हैं और पात्र लोग प्रधानमंत्री आवास से वंचित हो रहे हैं रीवा में विकास धर्म और मोदी के नाम पर जनता भारतीय जनता पार्टी को वोट जरूर देगी लेकिन वर्तमान सांसद पर जिस तरह से आज आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है इस आक्रोश को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है।

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