CG news, वन के रक्षक ही बने वन भक्षक अधिकारी अपने पदों का कर रहे दुरुपयोग, जानिए क्या है पूरा मामला।

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CG news, वन के रक्षक ही बने वन भक्षक अधिकारी अपने पदों का कर रहे दुरुपयोग, जानिए क्या है पूरा मामला।

हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य के वन मंडल कोरिया की जहां एक बड़ी घटना लकड़ी तस्करी की सामने आई है कोरिया वन मंडल के अंतर्गत चिरमिरी वन परिक्षेत्र के ग्राम सिंघत के बैगा पारा बस्ती मैं राजस्व की भूमि पर बड़े पेड़ का जंगल है जिसमें कई साल पुराने सरई के जीवित पेड़ है और चार से पांच ग्रामीणों के घर है जो की शासकीय भूमि पर कब्जा कर खेती-बाड़ी कर अपनी जीविका चलाते हैं इनके पास कोई पटटा भूमी का नहीं है इन्हीं सब चीजों का फायदा उठाते हुए चिरमिरी वन परिक्षेत्र के बीट गार्ड भरत सिंह मरावी ग्रामीणों को कुप कटाई के नाम पर ग्रामीणों को भ्रमित किया और बोला की पेड़ को खेत से निकलवा दीजिए आप लोग को भूमि का पटटा जल्दी मिल जाएगा इस बात से कुछ ग्रामीण पेड़ों को कटवाने के लिए तैयार हो गए। उनको यह लगा की वन विभाग के द्वारा कटाई की जा रही है लेकिन यहां भरत सिंह मरावी के द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई करवाई गई थी लेकिन ना राजस्व विभाग को अवगत कराया गया इनके द्वारा ना ही वन मंडल कोरिया को अवगत कराया गया क्योंकि यह तो लकड़ीयो की तस्करी करवा रहे थे और यह आदतन इस कार्य को करते आए हैं ।

इससे पहले यह कोटा डॉल रेंज में पदस्थ थे वहां भी यह लकड़ी चोरी के आरोप में लिपटे हुए थे इसलिए वहां से ट्रांसफर यहां चिरमिरी रेंज में किया गया था और यहां भी आकर यह उसी कार्य को अंजाम दे रहे है तभी ग्रामीणों के द्वारा पत्रकारों तक सूचना आई और पत्रकार वहां पहुंचे वहां पहुंचने के दौरान देखा गया की 5 नग सरयी के जीवित वृक्षों को मशीनों के द्वारा काटा गया है लेकिन वहां पर केवल पांच खूट और एक बोंगी और कुछ टहनी देखने को मिले बाकी लकड़ीयो को ट्रक के द्वारा रात्रि 2:00 बजे जेसीबी के मदद से ट्रक में लोड करवा के पार करवा दिया गया। ग्रामीणों से बात करने के दौरान पता चला की रात्रि 1:00 से 1:30 बजे के बीच भरत सिंह मरावी खड़ा होकर ट्रक में लकड़ी लोड करवा रहे थे और उनके डिप्टी रेंजर राम साय राजवाड़े के जानकारी मे अवैध तस्करी को अंजाम दे रहे थे उक्त मामला 26 अप्रैल की रात्रि का है और पेड़ कटाई 15 अप्रैल से शुरू की गई थी ऐसा ग्रामीणों का कहना है और ग्रामीणों के द्वारा यह भी पुष्टि की गई है की उक्त कार्य में लोडिंग के दौरान जो जेसीबी लगी हुई थी ग्रामीण द्वारा अपने नाम को गोपनीय रखने के आवेज पर यह बताया कि वह बड़ी बाजार डीके यादव जी की थी।

हम आपको बता दें कि किसी भी कटाई में वह भूमी राजस्व की हो या वन मंडल की सर्वप्रथम वहां राजस्व विभाग और वन मंडल दोनों की सहमति बहुत जरूरी है जिसे हम पंचनामा बोलते हैं उसके बाद गांव के सरपंच की सहमति भी अनिवार्य है उसके बाद ही वृक्ष की कटाई की जा सकती है लेकिन इस प्रकार की कोई कार्यवाही वहां पर देखने को नहीं मिली और पत्रकारों के द्वारा पंचनामा राजस्व विभाग से मांगा गया तो उसमें भी लड़कियों की कोई जिक्र नहीं थी वहा केवल एक बोंगी और कुछ टहनियां का ही जिक्र था जिसे वह सरपंच को सौप चुके थे अगर वन विभाग के द्वारा कटाई की गई है तो कटाई की उपरांत सारी लकड़ीयो को डिपो में भिजवाया जाता है जिसे भिजवाने के लिए वहां का टीपी चालान और मेजरमेंट की जरूरत पड़ती है जो केवल विभाग की एक कानूनी प्रक्रिया है लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला वही वन परिक्षेत्र अधिकारी सूर्यदेव सिंह रेंजर से बात करने पर उनके द्वारा यह बताया गया की मुझे जब अवैध लकड़ी कटाई की तस्करी की सूचना मिली तो मेने तत्कालीन अपने उच्च अधिकारी को फोन के माध्यम से सूचना दिया था।

अब सोचने वाली बात यह है की घटना को अंजाम 26 अप्रैल की रात्रि 2:00 को हुई अब विगत 1 महीने से ऊपर हो गये है अभी तक वन विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा किसी प्रकार की घटना स्थल पर जाकर किसी प्रकार की उचित कार्यवाही नही की गयीं और तो कहना गलत नही होगा की कहीं ना कहीं विभाग की मिलीभगत नजर आ रही है और भरत मरावी जी को वन विभाग द्वारा बचाने की कोशिश कि जा रही है अब देखने वाली बात यह होगी कि केवल विभाग के द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है इन लकड़ी तस्करों के ऊपर या फिर यह खाली अपना पल्ला राजस्व की भूमि बोलकर जनता को गुमराह करते रहेंगे और अपने जिम्मेदारियां से भागते रहेंगे।

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