Eid ul-Adha: भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अन्य दक्षिण एशियाई देशों और दक्षिण अफ्रीका में ईद-उल-अजहा खाड़ी देशों के एक दिन बाद 17 जून, 2024 को मनाई जाएगी, क्योंकि इन क्षेत्रों में 07 जून को धू-अल-हिजाह का चांद देखा गया था। आमतौर पर जम्मू-कश्मीर और केरल जैसे दो राज्यों में ईद-उल-फितर का त्योहार शेष भारत की तुलना में एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन ईद-उल-अजहा के साथ ऐसा नहीं है। इसलिए ईद-उल-अजहा का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा–Eid ul-Adha
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- ईद-उल-फितर के बाद ईद-उल-अजहा मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्यौहार ईद-उल-फितर के लगभग दो महीने बाद बनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, बकरीद जिलहिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है |
- यह त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की याद में मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, अल्लाह इब्राहीम के सपने में आए और उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज मांगी। हजरत इब्राहिम के लिए उनका बेटा सबसे प्रिय था, इसलिए उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया।
- बकरीद के दिन नमाज पढ़ने के बाद ही कुर्बानी दी जाती है. मान्यता है कि कुर्बानी के बकरे को तीन हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें से एक हिस्सा घर में इस्तेमाल किया जाता है, दूसरा गरीबों को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा रिश्तेदारों के लिए निकाला जाता है.
- यह त्यौहार तीन दिनों तक चलता है। मुसलमान इन तीन दिनों में से किसी भी दिन कुर्बानी दे सकते हैं। बकरीद के मौके पर दुनिया भर से मुसलमान हज करने के लिए सऊदी अरब की यात्रा पर जाते हैं।
बकरीद के दिन कुर्बानी
इस्लाम में बकरीद के दिन एक जानवर की कुर्बानी दी जाती है और उसके मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसका एक हिस्सा गरीबों को दान दिया जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों को दिया जाता है। शेष भाग परिवार में रखा जाता है। पैगंबर इब्राहिम अल्लाह में आस्था दिखाते हुए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने गए। इसी बात को याद करके दुनिया भर में मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग बकरीद मनाते हैं। भारत समेत पूरी दुनिया में बकरीद की तारीख अलग-अलग है…..
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