SINGRAULI NEWS : जमीन संबंधी विवाद में जमकर मारपीट एक की मौत, जमकर हुआ बवाल

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जमीन संबंधी विवाद में जमकर मारपीट एक की मौत, जमकर हुआ बवाल

अवनीश तिवारी

सिंगरौली। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व विभाग में जमीन संबंधी तहसीलदार पटवारी आर. आई के हेरा फेरी से फाइल ऑफिस का चक्कर काटते विवाद बढ़ जाता है एक दूसरे पक्ष में लड़ाई के दौरान आए दिन मौते हो रही है लेकिन जिला प्रशासन इस मामले में निरंकुश दिख रहा है, वहीं अगर नगर निगम की बात करें तो भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है।

 

विंध्यनगर थाना क्षेत्र जमीन संबंधी मामलों को लेकर दो पक्षों में मारपीट के दौरान मोतीचंद शाह की सिंगरौली हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई।  बुद्धवार के दिन मृतक द्वारा मकान बनवाने के लिए पत्थर के ढोंके गिरवाये जा रहे थे। जिसका प्रतिरोध मृतक के पड़ोसी सत्रुघ्न सिंह द्वारा किया गया। प्रतिरोध के दौरान दोनों परिवारों के बीच गर्मागर्म बहस हुयी। इसी बीच मृतक परिवार के एक बच्चे ने बहस का वीडियो बनाया। वीडियो बनाने का प्रतिरोध करने के लिए दूसरे पक्ष से एक लड़का उसके घर में घुसा। बात और गर्मागर्म बहस में तब्दील हो गयी फिर दोनों परिवार अपने अपने घर में चले गये। कुछ देर बाद सत्रुघ्न सिंह और उनके परिवार द्वारा लाठी डंडा लेकर मोर्चा बनाया गया। दूसरे पक्ष ने भी मोर्चा संभाला और मारपीट होने लगी। इस दौरान मृतक मोतीलाल शाहू के सिर पर चोट लगी। जिसे ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया जहां थोड़े से इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गयी। वृहस्पतिवार शुक्रवार की दरम्यानी रात मोतीलाल शाहू की हालत बिगड़ने लगी। उसे पुन: ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया। हालत गंभीर देखकर मृतक के परिजनों ने उसे सिंगरौली हास्पिटल ले गये। जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

मोतीलाल शाहू की मौत के बाद सैकड़ो की संख्या में जनता ने उपद्रव मचाना शुरू कर दिया। थाना विन्ध्यनगर, कोतवाली तथा नवानगर का पुलिस बल बुलाया गया। नगर पुलिस अधीक्षक तथा तीनों थानों के टीआई एवं पुलिस बल ने मोर्चा संभाला। प्रशासनिक अधिकारियों के समझाईस के बाद जनता थोड़ा शान्त हुयी लेकिन जनता को संतुष्ट करने के लिए नगर पालिक निगम कमिश्रर की अगुवाई मे सत्रुघ्न सिंह का एक मकान धराशायी कर दिया गया और उनके रिहायशी मकान का चबूतरा भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। साथ मे पानी का बोर क्षतिग्रस्त किया गया एवं बिजली कनेक्शन तक काट दिया गया।

बताते हैं किआज जिस स्थल पर जमीन तथा निकासी रास्ते को लेकर खून खराबा हुआ। एक पक्ष के एक आदमी की मौत भी हो गयी। वह विवाद गत 12-13 वर्षों से दोनों पक्षों के बीच चल रहा था। बार-बार रिपोर्ट करने तथा निगम प्रशासन को बताने के बावजूद किसी ने इस विवाद को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजतन एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी।

जिस मकान को नगर निगम प्रशासन ने जनता के उपद्रव को शंात करने के लिए बिना नोटिस दिये ढहा दिया वह मकान पट्टे की जमीन पर बना हुआ था। नगर निगम प्रशासन को ढहाने से पहले यह भी नहीं मालूम था कि यह मकान अतिक्रमण में है कि नहीं और अगर है तो मकान का कितना प्रतिशत अतिक्रमण क्षेत्र में आता है। इस बात को बिना संज्ञान में लिये नगर निगम प्रशासन तथा जिला प्रशासन की नुमाइंदों की सहमति से बिना सोचे समझे अपने बवाल सर से टालने के लिए मकान को ढहा दिया गया। इस अमानवीय कार्यवाही के लिए पूरे क्षेत्र में निंदा का माहौल बना हुआ है। बताते हैं कि सदर विधायक ने भी मौकाये वारदात पर ही निगम के कमिश्नर को काफी झाड़ सुनाई। निगम के जिम्मेदार लोग भी यह कह रहे हैं कि पटवारी को बुलाकर नाप जोख करवानी चाहिए थी।

अगर जिला प्रशासन तथा निगम प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी थोड़ा पहले चेत गये होते तो आज दो परिवार बर्बाद होने से बच जाते। एक परिवार के मुखिया की जान चली गयी तथा दूसरे परिवार का मुखिया जेल जाने वाला है। जिले का पुलिस प्रशासन धारा 302 के तहत मुकदमा कायम करके अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जायेगा। जिले भर में ऐसे कितने मामले जमीन विवाद के आते रहते हैं जिसकों जिला व पुलिस प्रशासन गंभीरता से नहीं लेता जिससे गंभीर घटनाएं घटित हो जाती हैं।

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