Shahdol news, समधी की हत्या के आरोप मे जेल मे बंद विचाराधीन बंदी की मौत।

Shahdol news, समधी की हत्या के आरोप मे जेल मे बंद विचाराधीन बंदी की मौत।
👉 बंदी की हार्ट अटैक से मौत के बाद परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का लगाया आरोप।
👉 जेल मे पदस्थ डॉक्टर पर दवा के नाम पर पैसा मागने का लगा आरोप।
शहडोल/ ब्योहारी। कुछ दिनों पूर्व ग्राम तिखवा निवासी राजेंद्र गुप्ता द्वारा हिस्सा बाट को लेकर विवाद निपटाने को आये समधी की तलवार से मारकर हत्या कर दी गयी थी एवं बीच बचाव करने आयी बहू को गंभीर रूप से घायल करने के कारण मेडिकल कालेज रीवा मे भर्ती है जिसके आरोप मे पपोध पुलिस द्वारा राजेंद्र गुप्ता को पकड़ कर न्यायलय मे पेस किया गया जंहा से उसे मउ जेल ब्योहारी भेज दिया गया था जंहा विचाराधीन बंदी राजेंद्र गुप्ता की दिनांक 29/07/2024 को दोपहर 12 बजे के लगभग हार्ट अटैक से मृत्यु होने की बात बताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार विचाराधीन बंदी राजेंद्र गुप्ता 3 – 4 दिन से बीमार था जिसे लेकर परिजनों द्वारा जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया गया कि जेल मे दवा नहीं दिया जाता था पैसे की मांग की जा रही थी दिनांक 29/07/2024 को मुलाक़ात करने हम लोग गये थे तबियत खराब होने के कारण जेल मे उपस्थित लोगों से हॉस्पिटल मे दिखाने की बात कहीं गयी किन्तु उनके द्वारा न्यायलय के आदेश के बाद हॉस्पिटल मे दिखाने की बात कहीं गयी, हम लोग घर तक पहुंच नहीं पाये तभी फोन आ गया कि बंदी राजेंद्र गुप्ता की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गयी है। दिनांक 29/07/2024 को मुलाक़ात करने गये बंदी राजेंद्र गुप्ता के रिस्तेदार शंकर प्रसाद गुप्ता द्वारा बताया गया कि राजेंद्र प्रसाद की तबियत बहोत खराब होने के कारण उनसे मुलाक़ात नहीं हो पायी थी।
डियूटी पर तैनात लोगों से हॉस्पिटल मे दवा कराने या फिर दवा कराने को परिजनों को दिये जाने की बात कहीं गयी जिस पर उनके द्वारा कहा गया कि न्यायलय के आदेश के बाद ही दिया जायेगा। जेल के बाहर जेल मे पदस्थ डॉ. द्वारा कहा गया कि कुछ खर्चा पर्चा दे दो तो बाहर से दवा लाकर दे देंगे तब आरोपी के रिस्तेदार द्वारा फोन पे से पैसा डलवाने की बात बताई गयी।
परिजनों द्वारा जेल मे पदस्थ डॉ. पर दवा के नाम मुलाक़ात मे पैसा मागने एवं समय पर दवा न कराने के कारण हार्ट अटैक से मृत्यु होने का आरोप लगाते हुए जेल प्रशासन से जांच करा कर कार्यवाही की मांग की गयी है अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इसे कितनी गंभीरता से लेते है और क्या कार्यवाही करते है या फिर इसी तरह दवा के आभाव मे किसी और की मृत्यु का इंतजार करते रहेगे?