Dipawali Festival – special जानिए क्या है दीपावली का महत्व,
Dipawali Festival – special जानिए क्या है दीपावली का महत्व,
भारत देश और विदेशों में रहने वाले भारतीय हिन्दू दीपावली का त्योहार बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं दीपावली का त्योहार हिन्दू धर्म का पावन व पवित्र त्यौहारों में एक माना गया है, रामायण के अनुसार भगवान श्री राम लंका विजय उपरांत माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष वनवास के बाद जब वापस अयोध्या लौट रहे थे तब अयोध्या वासियों ने अपने राजा के स्वागत हेतु कार्तिक मास की अमावस्या की काली रात को घी का दीपक जलाकर पूरे अयोध्या को जगमग प्रकाश से रोशन कर दिया था,
दीपावली को रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता हैं। इस वर्ष दीपावली का त्यौहार 31 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक मनाए जाने का मुहूर्त है, हालाकि अधिकांश जगहों पर 31 अक्टूबर की रात ही दीपावली मनाई जाएगी इस दिन माँ लक्ष्मी व गणेश जी की पूजा होती है और धन समृद्धि के रूप में घर में वास करने का आग्रह किया जाता है, इस बीच श्री हरि विष्णु योग निद्रा में होतें है इस कारण माता लक्ष्मी के साथ श्री हरि का आह्वान नहीं किया जाता है।
यहां जलाया गया था पहला दीपक।
पहला दीपक श्री राम दियरा घाट में प्रज्वलित किया गया था जो अयोध्या से कुछ ही दूर सुल्तानपुर जिले में आता है यह त्यौहार विशेष रूप से अंधकार पर प्रकाश व बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। इस त्यौहार की जानकारी हमे पद्मपुराण, स्कंद पुराण , काव्यमीमांसा रामायण आदि से मिलती है, साथ ही दीया सूर्य देवता का प्रतीक है ऐसा भी उल्लेख है मान्यता हैं कि धार्मिक महत्वता के साथ-साथ विश्व में हर जगह सनातन धर्म अनुयाई विशेष रूप से दीपावली का त्यौहार मनाते हैं यह त्यौहार शास्त्र संबंध ढंग से मनाया जाता है दीपावली में विधि-विधान से की गई पूजा अर्चना से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और लोगों का घर धन-धान्य से भरा रहता है।
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य।
ज्योतिषाचार्य श्री अमित व्यास जी के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माता लक्ष्मी प्रगट हुई थी इसलिए जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इतिहास में 5000 वर्ष पूर्व मोहन जोदड़ो काल में मिट्टी के पके दीपक मिले जो मोहन जोदड़ो और हडप्पा काल से ये सिलसिला दीपों से जगमगाती दीवाली पर्व प्रचीन काल से जुड़े होने का प्रमाण देती है।
विज्ञान के युग में बदल रहा त्योहार मनाने का स्वरूप।
हिन्दू धर्म में अगर परिवार से किसी की मृत्यु के बाद एक वर्ष तक उस परिवार में दीपावली नहीं मनायी जाती है, दीपावली में तामसी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि माता लक्ष्मी नाराज होती है साथ ही दीपों को जलाने के बाद हमे कचरे के साथ या कचरे में नहीं फेकना चाहिए क्योकि उसमें मां लक्ष्मी निवास करती है हालांकि विज्ञान के युग में यह त्यौहार मनाने में कुछ परिवर्तन हुआ जहां दीपक के साथ-साथ मोमबत्ती आतिशबाजी की जाती है।
आतिशबाजी से हो रहा नुकसान।
दीपावली के त्योहार पर दीप जलाने के बाद आतिशबाजी करने का फैशन चल रहा है लेकिन आतिशबाजी एक तरफ जहां आतिशबाजी करने वाले लोगों को खतरा है तो वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण भी दूषित हो जाता है देखा जाए तो कॉल कालांतर से लेकर वर्तमान में भी धी और सरसों का तेल अलसी और तिल के तेल से लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार दीप जलाकर दीपावली का त्योहार मनाने है और दूसरे दिन लोगों को प्रसाद वितरित करते हैं यहां तक तो ठीक है लेकिन समय के अनुसार प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा है लोगों को पर्यावरण की शुद्धता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है इसलिए आतिशबाजी नहीं करने की सलाह दी जाती है।
लेखक: संजय पाण्डेय पत्रकार रीवा