Rewa news:भाजपा के पृत पुरुष केशव पांडेय का निधन प्रशासन ने दिया राजकीय समान!

0

Rewa news:भाजपा के पृत पुरुष केशव पांडेय का निधन प्रशासन ने दिया राजकीय समान!

 

 

 

 

 

 

 

 

रीवा. जनसंघ के समय से अब तक भाजपा को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ नेता केशव पांडेय (91) का निधन हो गया है। बीते कुछ समय से वह अस्वस्थ थे। निधन की खबर लगते ही उनके आवास पर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अन्य लोग पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित कर परिवार को ढाढ़स बंधाया।

 

 

 

 

 

 

 

पांडेय मीसाबंदी भी रहे हैं, इस कारण उनके निधन पर प्रशासन की ओर से राजकीय समान के साथ अंतिम विदाई दी गई। एसडीएम अनुराग मिश्रा सहित अन्य ने पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान सशस्त्र बल ने शस्त्र की सलामी दी। इसके बाद पार्थिव शरीर भाजपा कार्यालय में रखा गया जहां पर कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। शाम को उनके पहडिय़ा स्थित आवास पर पार्थिव शरीर ले जाया गया। परिजनों ने कहा है कि अंतिम संस्कार बुधवार को बनारस में होगा। सुबह पहडिय़ा से कुछ समय के लिए पैतृक गांव बड़ी हर्दी पार्थिव शव ले जाया जाएगा, जहां से बनारस के लिए रवाना किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

लंबे संघर्षों का जीवन केशव ने जिया

भाजपा नेता योगेन्द्र शुक्ला ने बताया कि विंध्य क्षेत्र में जनसंघ को स्थापित करने में भी केशव पांडेय की बड़ी भूमिका रही। पंचायतीराज व्यवस्था प्रारंभ होने पर वह अपने गांव बड़ी हर्दी (सिरमौर) के पहले सरपंच निर्वाचित हुए थे। जनसंघ में जिला अध्यक्ष रहे। भाजपा को रीवा में स्थापित करने के लिए भी उन्हें याद किया जाता है। इसलिए कार्यकर्ता उन्हें पार्टी का पितृ पुरुष भी कहते रहे हैं, जिला अध्यक्ष, संगठन मंत्री सहित प्रदेश में अनुशासन समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। मीसा आंदोलन में सक्रिय रहते हुए 19 महीने जेल में रहे। अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे के साथ भी काम किया है। महाराजा मार्तंड सिंह के प्रमुख दरबारियों में से एक थे। इनके के पुत्र राजेश पांडेय वर्तमान में भाजपा में प्रदेश मंत्री हैं। केशव पांडेय के निधन पर उप मुयमंत्री राजेंद्र शुक्ल सहित पार्टी नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त की है।

 

 

 

 

 

 

 

 

जिस दौर में विंध्य में कांग्रेस और समाजवाद की लहर थी, उस समय केशव सहित कुछ चिन्हित नेता ही थे जो पार्टी को स्थापित करने संघर्ष कर रहे थे। 1962 में जनसंघ से मनगवां, 1977 में जनता पार्टी से मऊगंज, 1980 में भाजपा से मनगवां, 1985 में भाजपा से गुढ़, 1990 और 1993 में मऊगंज से भाजपा के प्रत्याशी रहे। पार्टी का प्रमुख चेहरा होने की वजह से अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ते रहे। कहा जाता है कि उस दौर में चुनाव में प्रत्याशी उतारना भी बड़ी चुनौती हुआ करती थी।

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.