जाति प्रमाण-पत्र फर्जीवाड़ा: जांच में पुष्टि के बाद भी कार्रवाई नहीं डीईओ की फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का मामला लटका

सीधी जिला शिक्षा अधिकारी पवन कुमार सिंह के जाति प्रमाण-पत्र को लेकर उठा विवाद अब भी अधर में लटका हुआ है। जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बावजूद शिक्षा विभाग और कमिश्नर कार्यालय द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार, पवन कुमार सिंह की नियुक्ति शिक्षक पद पर सामान्य वर्ग (क्षत्रिय) के जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर हुई थी। बाद में पदोन्नति के लिए उन्होंने गोंड़ आदिवासी जाति का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया और पहले प्रधानाध्यापक, फिर व्यायाता पद पर पदोन्नति प्राप्त की। इसी क्रम में वे सीधी जिले में जिला शिक्षा अधिकारी पद पर पदस्थ हो गए। मामला सामने आने पर रीवा संभाग के कमिश्नर ने जांच करवाई। जांच में उनके मूल ग्राम दरैन जनपद जयसिंहनगर, शहडोल के सरपंच ने ग्रामसभा बुलाकर स्पष्ट किया कि पवन कुमार सिंह जाति गोंड़ के किसी भी व्यक्ति के रूप में इस पंचायत में दर्ज नहीं हैं। यह प्रतिवेदन कमिश्नर कार्यालय को सौंप दिया गया, लेकिन उसके बाद से कार्रवाई की फाइल आगे नहीं बढ़ सकी। गौरतलब है कि पूर्व में भी पवन कुमार सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके चलते तत्कालीन मुयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जनसभा के मंच से ही उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए थे।
जेडी से मंगवाई गई है रिपोर्ट
अभी मेरे पास मामला सामने आया था। जेडी से रिपोर्ट मांगी है। अभी दिखवाता हूं कि रिपोर्ट आई कि नहीं, या कार्रवाई किस स्थिति में है।
बीएस जामोद, कमिश्नर, रीवा संभाग