रीवा की राजनीति अनर्गल बयानों से यौन शोषण तक! निरीह जनता की कौन सुने फरियाद-?

रीवा की राजनीति अनर्गल बयानों से यौन शोषण तक! निरीह जनता की कौन सुने फरियाद-?
रीवा में सुचिता की राजनीति जोरो पर! निरीह जनता किसके ऊपर करे भरोसा-?
जी हां मध्यप्रदेश के रीवा जिले में सुचिता की राजनीति और आजकल जोरों पर है। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल है जो जिले के सर्वांगीण विकास में लगे हैं जैसे तैसे करके भोपाल से, दिल्ली से बजट लाकर रीवा जिले का विकास कर रहे हैं। विभिन्न विकास कार्यों को पूर्ण करवा रहे हैं ताकि लोगो का जीवन सरल, सुगम सफल हो सके, तो वहीं दूसरी और उन्हीं के दल के कुछ लोग जो अत्यंत महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं वे पलीता लगाने के पूरे प्रयास करते देखे जा सकते हैं अभी हाल ही में बीते दिनो, अपने बयानों और कार्यशैली को लेकर अक्सर सुर्खिया बटोरने वाले रीवा सांसद जनार्दन मिश्र ने कांग्रेस दिग्गज नेता पुर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व श्रीनिवास तिवारी पर एक के बाद एक यानी back to back दो ऐसे बयान दे डाले कि मानो रीवा के सियासी गलियारों में भूचाल सा आ गया हो। दरअसल उन्होंने अपने पहले बयान में एक फ्लाईओवर ब्रिज के लोकार्पण समारोह में कहा कि दादा जो देउता का पर्याय माने जाते थे उन्होंने अपने जमाने में रीवा की सड़को का एक गड्ढा तक नही पटवा सके थे, उसके बाद आग में और घी डालते हुए उन्होंने दूसरा बयान दिया कि दादा के नाती यानी बीजेपी विधायक सिद्धार्थ तिवारी को जानना चाहिए कि उनके दादा ने किस प्रकार लूट, चोरी, आतंक की राजनीति की है, बस फिर किया था मानो रीवा की सियासत में भूचाल आ गया, सासंद के इन दोनों तीखें बयानों के बाद उन्हीं की पार्टी से विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने पलटवार किया और सुप्तावस्था में चल रही रीवा कांग्रेस ईकाई को तो मानो घर बैठे सेत मेंत में सुर्खिया बटोरने का मुद्दा ही मिल गया हालांकि रीवा की जनता कांग्रेस के जमाने की अमहिया सरकार से भलीभांति परिचित हैं और सांसद ने भाजपा और कांग्रेस के विकास कार्यों और सुचिता की राजनीति पर तुलनात्मक टिप्पणी की थी बहरहाल इसके बाद जो कुछ हुआ और हो रहा है सब जनता देख रही है जनता को यह भी पता है कि कांग्रेस सरकार रहते क्या हुआ था और अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार में क्या हो रहा है।
सांसद द्वारा दिए गए बयान के बाद आनन फानन में रीवा कांग्रेस के कार्यकर्ता से लेकर जिला अध्यक्ष तक सभी ताल ठोक कर दो दो हाथ करने का मन बना लिए और विभिन्न तरीकों से तीखा विरोध शुरू कर दिया है। कोई सांसद बुद्धि शुद्धि यज्ञ कर रहा तो कोई पुतला दहन तो कोई आंदोलन चलाने की बात जबकि कुछ कांग्रेसी तो महज बयानबाजी से भी विरोध दर्ज कराते देखें जा रहे है। हालाकी कांग्रेस में गुटबाजी कुछ इस कदर हावी है कि बहुत से नेता अभी भी चुप और सुप्तावस्था में ही है, जी हा आप ठीक समझे वो कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता जो दादा के गुट में नही थे और उनके जीते-जी उसके खिलाफ पार्टी के अंदर ही विरोध करते थे लेकिन यहां सभी नेता एक मंच पर आकर रीवा सांसद का विरोध करने मैदान पर उतर आए थे हालांकि पूरी तरह कांग्रेस की गुटबाजी का नजारा तो अभी शहर में हुए वार्ड 5 पार्षदी उपचुनाव में भी देखा गया, जहा कांग्रेस प्रत्यासी अमित द्विवेदी बेटू के चुनाव प्रचार में गुटबाजी कुछ इस कदर हावी रही कांग्रेसी खेमे में कि कुछ कांग्रेसी नेता ही कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी का प्रचार करते देखे गए जबकि बाकी कांग्रेसी नेता इस प्रचार अभियान से दूर रही, नतीजा वही हुआ बीजेपी आसानी से पार्षदी उपचुनाव जीत गई। चर्चा तो यहां तक रही कि कांग्रेस के एक बड़े नेता तो अंदर ही अंदर बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार अरुण तिवारी को जितवा रहे थे और भाजपा के भी कुछ नेता अंदर ही अंदर चाह रहे थे कि उनके साथी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीतें लेकिन हुआ उल्टा और भाजपा प्रत्याशी अच्छे मतों से विजई हुए।
रीवा की मौजूदा, तिलस्मी रहस्यमई राजनिति की बात यही नहीं थमती, बता दें, निर्दलीय उम्मीदवार अरुण तिवारी मुन्नू के भाई पर उपचुनाव के मतदान वाले दिन की रात को ही फिल्मी स्टाइल में कार चढ़ा कर कुचल कर मार डालने का प्रयास किया गया, हालांकि यह जांच का विषय है कि यह हमला किसने और क्यों करवाया जो कि पुलिस द्वारा की जा रही है, परंतु चर्चाओं में यह शुमार है कि यह राजनीतिक प्रतिद्वंदिता और रंजिश का परिणाम हो सकती है यहां तक तो फिर भी कुछ ठीक था, रीवा की अजब गजब राजनीति के रंग निराले ही थे, परंतु रीवा की राजनीति शर्मसार तो तब हो चली या यूं कहें कि चुल्लू भर पानी में डूब मरी जब रीवा बसपा नेता पंकज पटेल जो कि बसपा प्रदेश प्रभारी है और 3 बार सेमरिया से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके है उन पर उनकी ही पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता जो कि जनप्रतिनिधि भी है ने नेता जी पर पिछले 6 वर्षो से शादी के झांसे में रखकर यौन शोषण करने का संगीन आरोप लगा दिया, जिसकी जांच अब पुलिस द्वारा की जा रही है।
अब यहां पर बड़ा सवाल यही उठता है कि, रीवा की यह जो मकड़जाल रूपी सियासत यानी राजनीति है, इन सब में बेचारी जनता जिसे केवल चुनाव के समय जनता जनार्दन कहा जाता है, वह कहा है? जनता के हित की बात भला कौन करेगा? कौन देगा जनता के सवालों के जवाब? तो जवाब फिलहाल तो यही है जनाब, कि रीवा की इस घटिया हो चली राजनीति में सिर्फ नेता ही आपस में गुत्थम गुत्था है, एक दूसरे की पीठ भी थपथपा रहे है और बखिया भी उधेड़ रहे है, जबकि आमजनता और उसकी समस्याओं के समाधान की बात, विकास की बात, न्याय की गुहार और जन फरियाद कोसो दूर की कौड़ी है।