रीवा

Rewa news:शिक्षा विभाग से चौंकाने वाली खबर: बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने!

Rewa news:शिक्षा विभाग से चौंकाने वाली खबर: बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने!

 

 

 

 

 

रीवा/अपने अजीबोगरीब कारनामों के लिए विख्यात शिक्षा विभाग में एक बड़ा चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। मजेदार बात यह है कि इसमें संबंधित कर्मचारी द्वारा न सिर्फ शासन को धोखा देकर लाभ प्राप्त किया गया बल्कि इसी आधार पर उपमुख्यमंत्री कार्यालय को धोखे में रखकर नोटसीट चला कर अनुचित लाभ लेने का प्रयत्न भी किया गया।
मामला रीवा विकासखंड में बीआरसी रहे निपानिया हायर सेकेंडरी स्कूल में वरिष्ठ अध्यापक के रूप में पदस्थ प्रवीण शुक्ल का है जिसके द्वारा सितंबर 2023 में वरिष्ठ अध्यापक से प्राचार्य हाई स्कूल पद हेतु हुई काउंसलिंग में अपने निकाय परिवर्तन की जानकारी छुपाते हुए अनुचित रूप से हाई स्कूल प्राचार्य पद पर प्रमोशन प्राप्त कर लिया गया और इस गैरकानूनी पद के आधार पर अन्य लाभ प्राप्त करने के सारे फर्जीबड़े को अंजाम दिया जा रहा है।
आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल ने जारी की नवीन वरिष्ठता सूची और छानबीन करने का आदेश
आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल के नवीन आदेश क्रमांक स्थापना 184/ 2024/ 924 भोपाल दिनांक 13 .07. 2024 द्वारा एक आदेश जारी किया है जिसमें निकाय परिवर्तन कर चुके लोक सेवकों की वरिष्ठता का पुनः छानबीन करने हेतु पत्र जारी किया है इसकी सरल क्रमांक 103 में प्रवीण शुक्ल का नामांकित है। नवीन जारी वरिष्ठता सूची में प्रवीण शुक्ल का नाम 3000 से नीचे है जबकि पदोन्नति लगभग 1100 लोगों को ही प्राप्त हुई है।
भ्रष्टाचार और विवाद से पुराना नाता

विकासखंड रीवा और मऊगंज में बीआरसी के रूप में पदस्थ रहते हुए श्री प्रवीण शुक्ला का भ्रष्टाचार और विवादों से कभी पीछा नहीं छूटा। मऊगंज विकासखंड में आर्थिक अनियमितता के चलते शासन द्वारा राशि वसूली की गई थी और पद से पृथक कर दिया गया था। रीवा विकासखंड में पदस्थ रहते हुए भ्रष्टाचार के अनेक प्रकरण प्रचलन में थे और फर्जी विकलांगता की संभागीय आयुक्त द्वारा जांच भी कराई गई थी जिसमें विकलांगता प्रमाणित की गई। एक महिला जन शिक्षक द्वारा चारित्रिक दुराचरण की शिकायत जिला कलेक्टर से लेकर मानवाधिकार आयोग तक में की गई थी जिसकी अनेक स्तरों पर जांच हुई किंतु इस भ्रष्टाचारी कर्मचारी द्वारा जांचों को प्रभावित किया गया।
किसी भी कीमत पर डीपीसी बना दो
सूत्रों से जानकारी मिली है की इसी फर्जी पदोन्नति आदेश को आधार बनाकर नए आदेश को शासन से छुपाते हुए प्रवीण शुक्ल ने डीपीसी बनने के लिए धोखे में रखकर उपमुख्यमंत्री कार्यालय से नोट सीट चलाई और मध्यस्तों से इसकी कोई भी कीमत की बोली लगाई है जबकि सर्व शिक्षा अभियान का मूल नियम यह है की कोई विकलांग व्यक्ति मैदानी स्तर का अधिकारी नहीं बन सकता।
उच्च स्तर पर शिकायत
खबर है कि प्रवीण शुक्ल द्वारा किए जा रहे इस धोखेबाजी और भ्रष्टाचार की शिकायत शासन स्तर से लेकर राज्य शिक्षा केंद्र में की गई है जिससे अब एक बड़ा भंडाफोड़ होने की संभावना है।

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