Rewa news, शिक्षा और संस्कार स्थली सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में भ्रष्टाचार, राजनीति और लूट का बन रहा केंद्रबिंदु।

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Rewa news, शिक्षा और संस्कार स्थली सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में भ्रष्टाचार, राजनीति और लूट का बन रहा केंद्रबिंदु।

रीवा। सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की स्थापना का उद्देश्य बच्चों को कम शुल्क में अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा प्रदान करवाना थी किन्तु अब यहीं संस्था भ्रष्टाचार और राजनीति का केंद्र बन रहा है ताजा मामला सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गढ़ का है जहां पर भ्रष्टाचार और राजनीति का विरोध करने वाले संस्था के समिति के सदस्यों को बिना किसी कारण के उन्हें समिति की सदस्यता से निष्कासन किया गया है सरस्वती शिशु मंदिर गढ़ की समिति शिवम बाल कल्याण समिति गढ़ के नाम से रजिस्टर्ड है इस समिति में प्रमुख रुप से संरक्षक सदस्य, साधारण सदस्य, मनोनीत सदस्य और अस्थाई सदस्य होते हैं जो संस्था की देखरेख करते हैं किन्तु बिना किसी कारण बताए कुछ सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर दी गई जबकि किसी भी सदस्य की सदस्यता को समाप्त करने से पहले कुछ नियम बनाए गए होते है किंतु सभी नियमों को दरकिनार करते हुए उच्च पदाधिकारी के द्वारा कुछ सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर नियमों की अनदेखी करते हुए अक्टूबर 2024 में समिति के पदाधिकारियों का चुनाव हुआ।

सरस्वती शिशु मंदिर के जिला सचिव का दायित्व जब से नीरज खरे को प्राप्त हुआ है ये नियम विरुद्ध विद्यालयों में दखलंदाजी और अयोग्य शिक्षको की नियुक्ति भी की गई है इनके इस मनमानी तरीके के कार्यों का आरोप विद्यालय के पूर्व विभिन्न पदों का दायित्व निभा चुके समिति के वरिष्ठ सदस्य संजय पाण्डेय द्वारा लगाया गया है उनके द्वारा यह बताया गया कि विद्यालय के कर्मचारियों के वेतन विसंगत को लेकर उच्चअधिकारियों को लिखित रूप में एवं समिति के ही दूसरे सदस्य एसपी सिंह द्वारा भी कई बार वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया गया की विद्यालय में कोरोना के दौरान स्कूल में जो सहयोग राशि प्राप्त हुई वह कितनी प्राप्त हुई और किस मद में खर्च हुई और जिनसे सहयोग राशि प्राप्त हुई उनको रसीद भी दी गई की नही जब इसकी जानकारी श्री सिंह द्वारा मांगी गई तो विद्यालय के प्राचार्य, व्यवस्थापक तथा लिपिक द्वारा कहा गया कि बिना उच्च पदाधिकारी की अनुमति के बगैर कुछ जानकारी नहीं दी जा सकती उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि विद्यालय में समिति के बिना स्वीकृत के हजारों हज़ार रुपए का सामान खरीदा जा रहा है कर्मचारियों का वेतन किस खाते से और किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना कोषाध्यक्ष बिना प्रबंध समिति की जानकारी के राशि आहरण की जा रही है जबकि राशि आहरण करने से पहले प्रबंध समिति का प्रस्ताव रखा जाता है और जिस खाता नंबर से पैसा निकालते हैं उसमें कोषाध्यक्ष और प्राचार्य के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि निकालते हैं किन्तु प्राचार्य एकल खाता से राशि निकाल कर मनमानी तरीके से राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं।

श्री सिंह ने आरोप लगाया है कि प्रयोगशाला शुक्ल बच्चों से बिना रसीद दिए मनमानी तरीके से ली गई जिसकी जानकारी नहीं बताई जा रही है प्राचार्य द्वारा आवास भत्ता लिया जा रहा है किंतु वे कभी भी गढ़ में नहीं रहते और विद्यालय के नवीन भवन में भी व्यवस्थापक प्राचार्य और लिपिक द्वारा व्यापक रूप से भ्रष्टाचार किया गया है और विद्यालय भवन में गुणवत्ताहीन सामाग्री का प्रयोग किया गया है वहीं दूसरा आरोप विद्यालय के पूर्व पदाधिकारी संजय पाण्डेय द्वारा भी संगठन मंत्री महाकौशल प्रांत जबलपुर को भी सरस्वती शिशु मंदिर गढ़ के भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में कई बार पत्र के माध्यम से सूचित किया गया जिसमें प्रमुख रूप से विद्यालय के कोरोना काल में प्राप्त राशि और कोषाध्यक्ष शिवेंद्र सिंह के बिना हस्ताक्षर की राशि अहरित करना, समिति की बैठक कई महीनो से ना करना ,कर्मचारियों का वेतन मनमाने तरीके से देना आदि आवेदनकर्ता संजय पाण्डेय द्वारा कई बार भ्रष्टाचार की शिकायत जिला सचिव द्वारा मनमाने तरीके से कार्य करना प्राचार्य द्वारा आदेश पुस्तिका, सेवा पुस्तिका में काट पीट करना तथा सेवा पुस्तिका छुपाना आदि की शिकायत कई अधिकारियों से की गई किंतु आज तक शिकायत का कोई भी निराकरण नहीं हुआ गढ़ स्कूल में सन 2020 के बाद न तो समिति की साधारण सभा ,वार्षिक सभा हुई और ना ही सदस्यों को सूचना दी गई और मनमाने तरीके से राशि खर्च करते रहे अक्टूबर 2024 में समिति के सदस्यों का चुनाव संपन्न हुआ जिसमें विद्यालय की कमियों को उजागर करने वाले सदस्यों को किन कारणों से उनकी सदस्यता बिना किसी कारण बिना किसी सूचना संबंधित सदस्यों के बिना पक्ष सुने एक पक्षीय कार्यवाही किस अधिकार से की गई यह एक विचारणीय बिंदु है।

सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में सहायक आचार्य का स्थान नहीं था लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गढ़ में सहायक आचार्य की पदस्थापना कर दी गई जबकि विद्यालय हायर सेकेंडरी स्कूल है अंग्रेजी विषय के आचार्य की मांग निरंतर की जा रही थी उसकी व्यवस्था नहीं की गई कक्षा अरुण से लेकर उच्च कक्षा तक के शिक्षकों की पूर्ति विद्यालय में थी वहीं विद्यालय की स्वीपर 20 वर्ष से अधिक समय से सेवा दे रहा है किन्तु आज तक उन्हें स्थाई नहीं किया गया विद्यालय के तात्कालिक व्यवस्थापक चंद्रभूषण पाण्डेय तात्कालिक प्राचार्य तथा लिपिक की मिलीभगत से विद्यालय के कर्मचारियों की विसंगत पूर्ण वेतन वृद्धि की गई इस सरस्वती शिक्षा परिषद रीवा के जिला सचिव द्वारा पिछला चुनाव भी मनमानी तरीके से किया गया था जिसकी जानकारी और कार्यवाही की नकल मांगने पर नहीं दी गई सूचना के अधिकार अधिनियम से परिषद से जानकारी चाही गई किंतु आज तक नहीं प्रदान की गई और न ही कोई कार्यवाही की गई सरस्वती शिशु मंदिर का मुख्य उद्देश्य था कि बच्चों को कम शुल्क में अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकें किंतु ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के कारण गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलना मुश्किल है बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए शासन से विद्यालय के विकास हेतु सांसद विधायक के साथ केंद्र सरकार से प्रयोग के लिए अटल लैब की स्थापना की गई किंतु प्रयोगशाला में विषय वस्तुओं की पूर्ति हेतु जो राशि प्राप्त हुई थी वह भी कमीशन की भेंट चढ़ और बच्चों को प्रयोग से वंचित होना पड़ रहा है विद्यालय के पूर्व व्यवस्थापक चंद्रभूषण पाण्डेय द्वारा प्राचार्य, लिपिक और कुछ पूर्व पदाधिकारी से सांठगांठ कर जिला सचिव के अप्रत्यक्ष सहयोग से सारी कार्यवाहियां गोपनी तौर पर की जाती थी सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षण कार्य परिषद के नियमों और मापदंडों से संचालित होता है किंतु विद्यालय और समिति विद्यालय का संचालन करती है विद्यालय संस्था के नियमों के साथ सरस्वती शिक्षा परिषद मध्य प्रदेश के मापदंडों के अनुसार चलता है जो विद्यालय समाज में संस्कार निर्मित कर रहा था उस विद्यालय की यह स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी स्थापना करने वालों के त्याग और तपस्या को नष्ट किया जा रहा है।

सवाल यह उठता है कि यदि शिकायतें निराधार थी तो उसे निराधार शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई क्या जिन प्राचार्य के सर्विस सेवा पुस्तिका के छुट्टियों के संबंध में लेख किया गया उनका स्थानांतरण के उपरांत क्या कार्रवाई की गई और यदि यही स्थिति सरस्वती स्कूलों की रही तो वह दिन दूर नहीं है जब जिले मे कई विद्यालय बंद होने की कगार में पहुंच जाएंगे जिले के वरिष्ठ अधिकारियो को यह विचारधारा को संचालन करने वाले संगठनों को जांच करना चाहिए जिससे समाज में एक अच्छा वातावरण निर्मित हो और भविष्य में इस तरह की मनमानी चुनाव में ना की जाए समिति का चुनाव सदस्यों के सर्वसम्मति या मतदान से करने का नियम है किंतु जिला सचिव खरे द्वारा सर्वसम्मत के नाम पर ऐसे व्यक्ति को पदाधिकारी बनाया गया है जिनके ऊपर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का आरोप है और विद्या भारती का हवाला देकर प्रशासन पर गलत दबाव बना रहे हैं जबकि इस संस्था में ऐसे व्यक्तिओ को पदाधिकारी बनाया जाना चाहिए जो साफ छवि और बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के व्यक्ति को ऐसे पदों पर रखना चाहिए क्योंकि यह संस्था शिक्षा ही नहीं शिक्षा के साथ ही संस्कार और समाज तथा देश के विकास में कार्य करने की सीख देता है और यदि ऐसी संस्था में इसके पदाधिकारी ही भ्रष्ट होंगे तो फिर इनसे क्या उम्मीद की जा सकती है।

इस संस्था में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले सदस्यों को बिना किसी सूचना के निष्कासित कर दिया जाता है तो फिर अब न्याय की उम्मीद किस से की जाए अभी हाल में विद्यालय के बनाए गए पदाधिकारी के ऊपर तहसील न्यायालय से शासकीय भूमि से बेदखली का आदेश किया जा चुका है आज भी विद्यालय के कुछ प्रबंध कार्यकारिणी सदस्य बालक हायर सेकेंडरी स्कूल ,पंचायत और प्राथमिक पाठशाला की विद्यालय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से अतिक्रमण किए हुए हैं जब ऐसे व्यक्तिओ को स्कूल जैसी संस्था का दायित्व दे दिया जाए तो फिर इन पदाधिकारियों से विकास और बच्चों में अच्छे संस्कार की क्या उम्मीद की जा सकती है

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