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Mauganj news:थाना प्रभारी गोविंद तिवारी रेप पीड़िता का नाम उजागर कर कानून व्यवस्था से हुए ऊपर! 

Mauganj news:थाना प्रभारी गोविंद तिवारी रेप पीड़िता का नाम उजागर कर कानून व्यवस्था से हुए ऊपर!

 

 

 

 

 

मऊगंज .जिले के नईगढ़ी थाना क्षेत्र में रेप पीड़िता के मामले में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आई है। बीते शनिवार को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में पीड़िता का नाम उजागर कर दिया गया, जो सुप्रीम कोर्ट और भारतीय कानून के तहत अपराध है। इस चूक में थाना प्रभारी गोविंद तिवारी ही नहीं, बल्कि संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की भी भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

 

 

 

 

कानूनी पहलू सुप्रीम कोर्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 229 के तहत किसी भी रेप पीड़िता की पहचान उजागर करना गैरकानूनी है। यह कानून पीड़िता की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा के लिए बनाया गया है। प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से पहले इसे जांचने की जिम्मेदारी अधिकारियों की होती है। इस मामले में लापरवाही केवल पुलिस की ही नहीं, बल्कि उन उच्च अधिकारियों की भी है, जिनके निर्देश पर यह विज्ञप्ति जारी की गई।

 

 

 

 

 

घटना का विवरण

शनिवार को नईगढ़ी थाना प्रभारी गोविंद तिवारी ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी की। विज्ञप्ति में रेप पीड़िता का नाम और अन्य जानकारी भी सार्वजनिक कर दी गई। पत्रकारों ने इसे अपनी रिपोर्टिंग में शामिल किया, जिससे मामले ने और तूल पकड़ लिया।

 

 

 

 

 

प्रशासन पर सवाल

प्रशासनिक अधिकारी, जो विज्ञप्तियों को स्वीकृत करते हैं, क्या उन्होंने इसे जांचा नहीं? – क्या ऐसे संवेदनशील मामलों में जिम्मेदारी तय करने के लिए कोई प्रभावी प्रणाली है? यह चूक क्या महज लापरवाही है, या अधिकारियों की असंवेदनशीलता का उदाहरण? इस घटना में केवल थाना प्रभारी गोविंद तिवारी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे की विफलता सामने आई है। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि पीड़िता की सुरक्षा और गोपनीयता पर गंभीर खतरा भी है।

 

 

 

 

 

प्रतिक्रिया पीड़िता के परिवार ने

प्रशासन की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। समाजसेवियों और महिला संगठनों ने घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

 

 

 

 

आवश्यक कदम

थाना प्रभारी गोविंद तिवारी और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मीडिया संस्थानों और प्रशासन के लिए संवेदनशील मामलों की रिपोर्टिंग और प्रबंधन को लेकर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य किए जाएं। इस तरह की चूक रोकने के लिए प्रभावी प्रणाली विकसित की जाए । नईगढ़ी की यह घटना न केवल प्रशासन और पुलिस की लापरवाही का मामला है, बल्कि यह हमारी सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारियों को भी चुनौती देती है। पीड़िता की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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