रीवा

रीवा जिले गालीबाज तो सतना जिले में पत्रकारों को पीटने वालों के हाथों सौंपा गया खरीदी केंद्र, देखिए वीडियो।

रीवा जिले गालीबाज तो सतना जिले में पत्रकारों को पीटने वालों के हाथों सौंपा गया खरीदी केंद्र, देखिए वीडियो।

मध्यप्रदेश के खरीदी केंद्रों में अनियमितता भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं लेकिन अब किसानों के साथ एक तरफ जहां गाली गलौज दादागीरी करने का दौर शुरू हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ मारपीट भी की जाने लगी है इस खबर में हम रीवा और सतना जिले के खरीदी केंद्रों की खबर दिखाने जा रहे हैं जहां रीवा जिले के मनगवां तहसील अंतर्गत लौरी एवं गढ़ में जिस विक्रेता ने किसानों के साथ गाली-गलौच करते हुए अभद्रता की थी उसी व्यक्ति के हवाले इस वर्ष भी खरीदी केन्द्रों का दायित्व सौंपा गया है इस खबर में पहली वीडियो में रीवा जिले के लौरी और गढ़ खरीदी केंद्र के विक्रेता पूर्व में किए गए गाली-गलौच है और दूसरी खबर सतना जिले के जैतवारा क्षेत्र के खरीदी केंद्र की वीडियो है यहां तो खरीदी केंद्र वालों ने हद पार कर दिया और नायब तहसीलदार के साथ कवरेज करने गए मीडिया कर्मियों के साथ गाली-गलौच ही नहीं मारपीट भी कर डाले पत्रकारों की शिकायत पर पुलिस ने खरीदी केंद्र प्रभारी सहित अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

बताया जाता है कि रीवा जिले के गढ़ लौरी खरीदी केन्द्रों को खरीदी केंद्र के प्रभारी ने ठेके में दे रखा है जहां निजी लोगों द्वारा जमकर मनमानी की जाती है ऐसी स्थिति में देखा जाता है कि अनियमितता पाए जाने के बाद शासन प्रशासन द्वारा आपरेटर जैसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है जबकि खरीदी केंद्र प्रभारी और उससे ऊपर के अधिकारियों की मिली भगत से भ्रष्टाचार और अनियमित को अंजाम दिया जाता है नाप तौल सहित अन्य तरीके से धोखाधड़ी की जाती है।

बताया जाता है कि रीवा जिले के लौरी गढ़ में लगभग 10-15 वर्ष से समिति के चौकीदार राम गणेश द्विवेदी को अशिक्षित होते हुए विक्रेता बनाया गया है जो गरीबी रेखा की सूची में दर्ज हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि करोड़ों के मालिक हैं, इनका मामला सहकारिता न्यायालय में चल रहा है लेकिन वहां भी भ्रष्टाचारी बैठे हैं जो इन्हें दोषी होते हुए भी संरक्षण दे रहे हैं यह भी बताया जाता है कि मऊगंज जिले के एक कर्मचारी को नियम विरुद्ध तरीके से लौरी खरीदी केंद्र में शामिल किया गया है जिससे कि भ्रष्टाचार किया जा सके।

गौर करने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन द्वारा गठित निगरानी और जांच दल भी महज़ खाना पूर्ति तक सीमित रहते हैं धान खरीदी के समय काफी मात्रा में खराब खखरी युक्त धान खरीदी करने के मामले सामने आए थे इस काले कारनामे को अंजाम देने वाले खरीदी केंद्र प्रभारी और विक्रेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों विभाग के जिम्मेवारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई और इसी भ्रष्ट सिस्टम से जुड़े लोगों को लगातार खरीदी केन्द्रों का प्रभारी और विक्रेता बनाया जा रहा है इसी का नतीजा है कि इन लोगों द्वारा मनमानी करते हुए खरीदी केन्द्रों का संचालन अवैधानिक तरीके से ठेका पर भ्रष्टाचार करने के लिए सौंप दिया गया है ऐसे विक्रेताओं की तनख्वाह तीन हजार है लेकिन संपत्ति की जांच कराई जाए तो लाखों नहीं करोड़ों की संपत्ति के मालिक निकलेंगे।

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