आखिर क्यों पूजन के दसवें दिन कर दिया जाता है भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन।
आखिर क्यों पूजन के दसवें दिन कर दिया जाता है भगवान गणेश का विसर्जन।
पौराणिककथाओं के अनुसार भगवान गणेश किसी भी कार्य में प्रथम स्थान रखते हैं किसी भी कार्य का आरंभ करने पर सबसे पहले विघ्नहर्ता के रूप में भगवान गणेश की पूजा की जाती है तब जाकर कोई मंगल कार्य किया जाता है और भगवान गणेश की कृपा से वह कार्य निर्मित पूर्ण होता है ऐसी मान्यता है।
आईए जानते हैं कि आखिर क्यों गणेश जी का 10 दिन आवाहन करके उनकी पूजा की जाती है इसके पीछे का रहस्य क्या है आज उसे पर्दा उठाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के लिए भगवान गणेश से अनुग्रह किया तो भगवान गणेश ने एक शर्त रखी उनका कहना था कि अगर मैं एक बार कलम उठा तो हमारी कलम निरंतर चलनी चाहिए जहां से हमारी कलम रुक जाएगी वहीं पर मैं कथा का समापन कर दूंगा।
महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश की इस शर्त का मान रखा और कथा सुनना आरंभ कर दिया मार्च वेदव्यास ने आंख बंद करके कथा पढ़ना आरंभ किया और भगवान गणेश ने लिखना 10 दिन के पश्चात कथा पूर्ण हुई और महर्षि वेदव्यास ने अपने नेत्र खोले और यह देखा कि भगवान गणेश का तापमान अत्यधिक बढ़ चुका था वेदव्यास ने भगवान गणेश को नहलाया और उनकी आराधना की।
तभी से यह मान्यता है कि भगवान गणेश को 10 दिन पूजन के उपरांत उनका विसर्जन किया जाता है।