MP news, हो हल्ला तक सीमित रह गया शिक्षा विभाग का स्कूल चले अभियान शिक्षकों की कमी, कोर्स कैसे हो पूरा।
MP news, हो हल्ला तक सीमित रह गया शिक्षा विभाग का स्कूल चले अभियान शिक्षकों की कमी, कोर्स कैसे हो पूरा।
मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 15 जून से प्रवेश उत्सव मनाकर संदेश दिया गया कि सभी स्कूली बच्चे जो पढ़ रहे हैं और जो नए बच्चे पढ़ने लायक हैं उन्हें स्कूल जाना चाहिए नए बच्चों का स्कूल में स्वागत हुआ क्षेत्र के विधायक राजस्व विभाग की अधिकारी और संबंधित स्कूल के शिक्षकगण और शिक्षा विभाग के अधिकारी इस कार्य में ऐसे लग गए थे मानो शिक्षा विभाग में कायाकल्प हो गया है लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया बीते वर्षों की ही तरह व्यवस्थाएं नजर आने लगी नवीन शिक्षा का सत्र 2024- 25 बीते 15 जून से प्रारंभ हो गया था 15 जून से आज दिनांक तक दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है आधिकांश सरकारी स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षको की कमी से शिक्षा विभाग जूझ रहा है जिसके कारण सिलेबस के आधार पर दो ढाई माह का कोर्स पीछे हो गया वहीं स्कूलों की स्थिति यह है कि अगस्त माह समाप्त होने को हुआ किंतु आज तक शिक्षकों की पूर्ति नहीं हुई जहां विद्यालयो में प्रयोगशाला सहायक विषय विशेषज्ञ शिक्षक सहायक शिक्षकों तथा खेल शिक्षको की आज भी कमी बनी हुई है शिक्षको की कमी को देखते हुए जहां सरकार अतिथि शिक्षको के माध्यम से शिक्षण कार्य कराया जाता था किन्तु दो माह बीत जानें के बाद भी अभी तक स्कूलों में शिक्षको की व्यवस्था पूरी तरह से नही हो सकी है सरकार शिक्षा पर जोर तो देती है किन्तु शिक्षको की कमी से बच्चों को समुचित शिक्षा नही मिल पाती है ऐसे में दो से तीन महीने बीत जानें के बाद शिक्षा विभाग अतिथि शिक्षको की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करता है और फिर इसके बाद बच्चों की पढ़ाई लिखाई शुरू होती है तब तक इतना समय बीत जानें के बाद सलेबस पूरा नहीं हो पाता है लगभग ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश भर के अधिकांश विद्यालयों में ऐसे ही हालात नज़र आ रहे है।
पांच महीने बाद होंगी बोर्ड परीक्षा।
अगस्त महीना अंतिम चरण में चल रहा है और फरवरी मे बोर्ड परीक्षा शूरू हो जाएंगी 10वीं और 12वीं के छात्र अपनी पढ़ाई अगर कोचिंग से तैयार कर रहे हैं तब तो ठीक है नहीं तो स्कूल के सहारे उनकी पढ़ाई इसलिए चौपट है कि संबंधित विषय के शिक्षक ही कुछ विद्यालयों में नहीं है सितंबर या फिर अक्टूबर में जब अतिथि शिक्षकों की भर्ती होगी तब कोर्स शुरू होगा लेकिन बोर्ड परीक्षाओं का सिलेबस कैसे पूरा होगा यह सोचने की बात है त्रैमासिक परीक्षाएं सामने है छात्रों के सिलेबस तैयार नहीं है विद्यालयों में जो शिक्षक कार्यरत हैं वह अपने विषय को लेकर तो जिम्मेवार है लेकिन जिन विषयों के शिक्षक नहीं है उन विषयों पर शिक्षा विभाग भी गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि अभी तक अतिथि शिक्षकों की भर्ती कुछ विद्यालयों में नहीं हुई है देखा जाए तो आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे ही सरकारी स्कूलों पर आश्रित है यहां पर उनके अभिभावकों की मजबूरी है की निजी विद्यालयों में लगने वाली फीस वह नहीं दे सकती इसलिए मजबूर होकर सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाते हैं लेकिन यहां सभी विषयों की शिक्षक और अव्यवस्थाओं के चलते छात्रों की अच्छी पढ़ाई नहीं हो पाती और परिणाम भी शासकीय स्कूलों का बेहतर नहीं आता।
निजी स्कूलों में पढ़ने बच्चे मजबूर।
शिक्षकों और व्यवस्थाओं की कमी के चलते शासकीय स्कूलों को छोड़ कर लोग निजी विद्यालयों की तरफ रुख अपनाते हैं मोटी फीस देते है लेकिन पढ़ाई किसी तरह से पूरी कर लेते हैं प्रतिवर्ष आने वाले परीक्षा परिणाम भी निजी विद्यालयों के ही बेहतर रहे जबकि देखा जाए तो निजी स्कूलों में छात्रों के खेलने की व्यवस्था नहीं होती प्रयोगशाला भी कागजों में ही चलता है, विभिन्न सुविधाओं के नाम पर निजी विद्यालयों द्वारा फीस तो वसूल ली जाती है लेकिन उसे तरह की सुविधा एक्टिविटी नहीं कराई जाती जिसके लिए उन्होंने फीस ली है अच्छी शिक्षा के नाम पर निजी विद्यालयों में छात्रों के अभिभावक लुटने को मजबूर है हालत यह है कि बच्चे शासकीय विद्यालय में पढ़ाई करते हैं तो पढ़ाई पूरी नहीं होती है और निजी विद्यालयों में पढ़ते हैं तो मोटी फीस देनी पड़ती है जबकि निजी विद्यालयों में भी किसी तरह से कोर्स पूरा करा दिया जाता है कि बच्चे पास हो जाएं लेकिन विभिन्न सुविधाओं के लिए फीस के नाम की जाने वाली वसूली से बच्चों के अभिभावकों की जेब खाली हो जाती है।