Maihar news:जन शिकायतों से लबालब है अमरपाटन का सिविल हॉस्पिटल।
Maihar news:जन शिकायतों से लबालब है अमरपाटन का सिविल हॉस्पिटल।
मैहर।कहने के लिए तो अमरपाटन में सिविल हॉस्पिटल है लेकिन यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर हालत में है। शासन द्वारा सिविल अस्पताल की स्थापना एक सार्वजनिक अस्पताल के रूप में की जाती है जिसमें आम जनता को नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएं, स्वास्थ्य सेवा और उपचार आदि सुलभ होता है ,लेकिन नागरिक सेवाओं के नाम से यहां केवल दिखावा और औपचारिकता बची है ,जबकि सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला निर्धारित होती है जिसमें चिकित्सा परामर्श, नैदानिक सेवाएं, सर्जरी, आपातकालीन सेवा के साथ-साथ अन्य आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध रहती हैं तथा सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा उपलब्ध होती है ,किंतु अमरपाटन सिविल हॉस्पिटल की कथा दशा बहुत ही विचित्र है।
सिविल सर्जन ने बना दिया प्रयोगशाला
सिविल हॉस्पिटल अमरपाटन की चिकित्सा सेवाओं के संबंध में आम जनता द्वारा समय-समय पर शिकायतें प्राप्त होती रहती है। यहां की नैदानिक सेवाएं दिखावा मात्र हैं तो बाहरी पैथोलॉजी केंद्र भी महज प्रयोगशाला के रूप में काम कर रहे हैं ।इसी तरह सिविल हॉस्पिटल के अंदर कार्यरत नौसिखिए मरीजों की फजीहत करते नजर आ रहे हैं। जिन्हें इन्फ्यूजन विधि से इंजेक्शन अथवा वाटल लगाने के लिए अधिकृत किया जाता है और वह रोगी की नस नहीं ढूंढ पाते।रोगी चीत्कार छोड़ता रहता है लेकिन प्रयोगशाला तो प्रयोगशाला ही होती है वह जब तक कुशल और पारंगत नहीं हो जाएंगे तब तक मरीज ऐसे ही चीखते चिल्लाते रहेंगे क्योंकि यह छूट सिविल सर्जन द्वारा नौसिखियों को दी जा चुकी है। सिविल हॉस्पिटल अमरपाटन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ा क्षेत्र है जहां के नागरिक यहां पहुंचते हैं, लेकिन चिकित्सकीय स्टॉफ केवल नॉर्मल ट्रीटमेंट करना ही अपना कर्तव्य समझता है। इसके बावजूद मरीज की हालत यदि डॉक्टर की मशक्कत मांग रही हो तो ऐसी दशा में मेहनत और माथापच्ची से बचने के लिए सीधे उसे रेफर कर दिया जाता है। तब सवाल उठता है कि आखिर सर्व सुविधायुक्त सिविल अस्पताल की व्यवस्था ही शासन द्वारा क्यों की गई है?
जननी सुविधा बनी कमाई का जरिया
मध्य प्रदेश शासन के जननी योजना अंतर्गत जननी के लिए पूर्णतः निशुल्क व्यवस्था है ।कागजों मे तो यह योजना बहुत अच्छी है किन्तु घरातल पर देखा जाए तो यह योजना कर्मचारियो के लिए कमाई का जारिया बन गई है ।इसकी शुरुआत आशा कार्यकर्ता और जननी वाहन चालक से होती है ।यदि वाहन पहुंचने मे देर हो गई और इत्तफाक से प्रसव घर मे हो गया तो उसको रोड शो करने के लिए आशा कार्यकर्ता और जननी चालक को पहले पैसे चाहिए। इसके बाद जब डाक्टर साहब को दिखाया जाता है , तब तीन सौ रूपए फीस और जननी को लेवर रूम के अंदर ले जाते है तो दस्ताना और दर्द का इंजेक्शन, ब्लेड, साबुन, तेल आदि की व्यवस्था जननी के परिजन बाजार से लाते है ।यदि प्रसव हॉस्पिटल में हो तो पांच सौ से एक हजार तक सिस्टरो को, सौ रूपए सफाई कर्मचारी को , लेवर रूम से वार्ड मे सिफ्ट करते समय बेड मे चद्दर बिछाने का पचास रूपए ,सौ रूपए कंप्यूटर आपरेटर को, सिस्टर को दस्तावेज जमा कराने का, दो सौ रूपए जन्म प्रमाण पत्र यदि तत्काल चाहिए तो कंप्यूटर आपरेटर को, यदि एक सप्ताह मे चाहिए तो सौ रूपए और बिना पैसा लिए कंप्यूटर आपरेटर जन्म प्रमाण पत्र नही देता है। मीनू के आधार पर ठेकेदार के द्वारा जननी को तो गुड कभी मिलता ही नही । हां दूध के नाम पर सफेद पेय जरूर मिलता है। ब्रेक फास्ट मे दो बिस्कुट और अरुचिकर भोजन दाल का पानी ,संबोधन सब्जी/पानी ठेकेदार की नियत साफ दिखती है।कमीशन खोरी के चलते भोजन घटिया स्तर का रहता है। शासन की यह जननी योजना ठेकेदार और अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया बनी हुई है ।