विश्व में मां बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के साथ किया युद्ध विजय जाप!

विश्व में मां बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के साथ किया युद्ध विजय जाप!
मां बगलामुखी जी का चमत्कारी दरबार नलखेड़ा (शाजापुर) मध्य प्रदेश: आश्चर्यजनक शक्तियां मिलती देवी के दिव्य दरबार मे संकटों से मिलती मुक्ति
विश्व के सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर शाजापुर जिले के नलखेड़ा में माता बगलामुखी का चमत्कारिक दरबार है l यह स्थान (मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में नदी के किनारे स्थित है। यहां मां बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा है। यह शमशान क्षेत्र में स्थित हैं। कहा जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। धर्मराज युधिष्ठिर एवं भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं युद्ध विजय का जाप किया था l देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है। तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले देवी बगलामुखी को प्रसन्न करना पड़ता है। भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा में हैं।
कौन है बगलामुखी मां
मां बगलामुखी जी आठवीं महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं।
मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है l
विश्व में सिर्फ 3 मंदिर
विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। उनमें से एक है नलखेड़ा में ‘मां बगलामुखी मंदिर’। भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्य प्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग अलग महत्व है। मध्य प्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर महाराजा युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहां की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है।
बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी
यहां पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहां की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी।
मां बगलामुखी मंत्र :-‘ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा।’