नए फ्लाई ओवर पर करोड़ों की लाइटिंग करने की तैयारी
नए फ्लाई ओवर पर करोड़ों की लाइटिंग करने की तैयारी
नागपुर की फर्म को नियमों दरकिनार कर ठेका देने की कोशिश
इंदौर:आईडीए द्वारा नव निर्मित शहर के दो फ्लाई ओवर पर आधुनिक लाइटिंग लगाने के लिए करोड़ों खर्च करने की तैयारी हो रही है. ऐसा बताया जा रहा है कि नागपुर की एक फर्म को ठेका देने के लिए पीडब्ल्यूडी के तय नियमों को दरकिनार कर निविदा आमंत्रित करने को कोशिश चल रही है. खास बात यह है कि नियम शर्ते ठेकेदार एजेंसी खुद बनाकर लाई है, ताकि दूसरी एजेंसी निविदा में शामिल नहीं हो सके. इतना ही नहीं लाइट मेंयूफेख्र कंपनियों की मोनोपॉली के लिए बाकी कंपनियों को बाहर करने की चर्चा है.
आईडीए ने पिछले महीने चार फ्लाई ओवर ब्रिज बनाएं है. उक्त चार में से खजराना और लवकुश फ्लाई ओवर ब्रिज पर आईडीए फसाद लाइट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है. फ्लाई ओवर पर निर्माण एजेंसियों द्वारा खंबे लगाकर लाइटिंग की है. बावजूद इसके दोनों फ्लाई ओवर पर फसाद लाइट प्रस्ताव किया जा रहा है. दोनों ब्रिज पर फसाद लाइट लगाने की लागत 16 करोड़ रुपए आएगी. बताया जाता है कि फसाद लाइफ का प्रस्ताव नागपुर की एमआर इलेक्टि्रकल्स को देने के लिए किया जा रहा है. आईडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा फसाद लाइट लगाने का विरोध और पीडब्ल्यूडी नियमों का हवाला देकर मना किया गया है.
वरिष्ठ इंजीनियर की राय दरकिनार
सूत्रों ने बताया है कि वरिष्ठ इंजीनियर के वार्ड और राय को दरकिनार कर दूसरे अधीक्षण यंत्री के माध्यम से उक्त महंगी लाइट लगाने का प्रस्ताव किया गया है. जानकारों के अनुसार फसाद लाइट स्थाई बिल्डिंग और इमारतों पर सफल है. आवागमन वाले पुल और रास्ते पर सक्सेस नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि फसाद लाइट का रखरखाव बहुत महंगा है. बताया जाता है कि नागपुर की फर्म ने फसाड़ लाइट के लिए सिर्फ मेरी और फिलिप्स कंपनी की लाइट का ऑप्शन दिया है. हेवल्स, निक्स और लाइटिंग टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियों को मेक सूची से बाहर कर किए जाने की चर्चा है.
पूर्व में बीआरटीएस पर रखरखाव की लग चुकी है चपत
आईडीए को बीआरटीएस पर बिजली रखरखाव की चपत लग चुकी है. बीआरटीएस बनाने वाली नीरज प्रतिभा कंपनी भाग गई थी, लाइटों का पांच साल का ठेका आईडीए को फिर से किसी और कंपनी को देना पड़ा था. उसके बाद नगर निगम को उक्त सड़क सौंपी गई थी.
यह है पीडब्ल्यूडी का नियम
प्रदेश में पीडब्ल्यूडी ने किसी भी काम की एसओआर दर और नियम एवं शर्तें तय कर रखी हैं. आईडीए सहित सभी सरकारी एजेंसियां उसके अधीन काम करती है. आईडीए के दोनों ब्रिज पर फसाद लाइट प्रासंगिक नहीं होने कर बावजूद प्रस्ताव किया जा रहा है.
प्रस्ताव में नॉन एसओआर बनाएं जाने की चर्चा
आईडीए के हलकों में ऐसी चर्चा है कि नियम को दरकिनार कर एमआर इलेक्टि्रकल्स द्वारा कोड आयटम और नॉन एसओआर दर का प्रस्ताव किया गया है। इससे मार्केट वैल्यू पर खरीदी होगी और बिल भी उसी अनुसार बनेगा। साथ ही दूसरी थ्रकार एजेंसी इसमें भाग नहीं ले सकेगी, क्योंकि 5 करोड़ से बड़ी राशि का टेंडर होगा और अपनी चहेती कंपनी को वरिष्ठ अधिकारी उपकृत कर सकेगें।