Singrauli News: गिद्धों को रास आई ऊर्जाधानी की धरती, 41 प्रवासियों ने जमाया डेरा
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गिद्धों को रास आई ऊर्जाधानी की धरती, 41 प्रवासियों ने जमाया डेरा
Singrauli News: मानवजनित संकट से त्रस्त गिद्धों ने अबकी बार ऊर्जाधानी में कदम रखा है। वन परिक्षेत्र माड़ा(Forest Range Mada), पश्चिम व पूर्वी सरई, और बरगवां रेंज के जंगलों में 40 से अधिक गिद्धों की मौजूदगी देखी गई है। यह गिद्ध जिले में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी लॉन्ग बिल्ड गिद्ध, देसी सफेद (इजिप्शियन), सफेद पीठ (व्हाइट वैक्ड) प्रजाति के हैं। लगभग एक दशक बाद गिद्धों की उपस्थिति ने यह साबित(proved) कर दिया कि ऊर्जाधानी की धरती उनके लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। डीएफओ अखिल बंसल ने कहा कि पिछले दस वर्षों में यहां गिद्धों का कोई निशान नहीं था, लेकिन इस बार अचानक इन प्रवासी गिद्धों ने ऊर्जाधानी की ओर रुख किया है। अक्सर इस प्रकार के एक या दो गिद्ध ही दिखाई देते हैं, लेकिन इस बार कोल्हुआ, धौहनी, और पुरानी देवसर में 41 गिद्ध शीतकालीन गणना के दौरान देखे गए। यह खबर प्रकृति प्रेमियों के लिए सुखद है, क्योंकि गिद्धों की संया में बढ़ोतरी ने वन्यजीव संरक्षण(wildlife Reserve) की दिशा में एक उमीद जगाई है।
लॉन्ग बिल्ड गिद्ध की विशेषता: लॉन्ग बिल्ड गिद्ध को भारतीय गिद्ध कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम जिप्स इंडिकस है। यह एक मध्यम आकार के मांसाहारी पक्षी हैं, जो भारी होते हैं। दिखावट में हल्के भूरे रंग का शरीर, गहरे रंग के उड़ान पंख, सफेद जांघें और चौड़े पंख होते हैं। सिर और गर्दन काली होती है। जिन पर सफेद पंख
होते हैं, उनकी चोंच लंबी, हल्की और मजबूत होती है। यह मुयत: मरे हुए जानवरों के शवों पर निर्भर रहते हैं। इन्हें घेरकर खाते हैं।