MP CM डॉ मोहन यादव का राजस्व विभाग के भ्रष्टाचार पर प्रहार 01 जनवरी से रजिस्ट्री और नामांतरण का नया नियम होगा लागू।
MP CM डॉ मोहन यादव का राजस्व विभाग के भ्रष्टाचार पर प्रहार 01 जनवरी से रजिस्ट्री और नामांतरण का नया नियम होगा लागू।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर रजिस्ट्री और नामांतरण में नए नियम होंगे लागू रिश्वतखोरी और परेशानी से जनता को मिलेगी बड़ी राहत।
विराट वसुंधरा
भोपाल: मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्व विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार किया है। जमीन जायदाद के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार को कम करने के लिए जमीन खरीदी को लेकर नियमों में बदलाव किया गया है मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण प्रक्रिया को भी बदले जाएंगे मुख्यमंत्री ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में अधिकारियों को साफ कर दिया है कि ‘सुशासन’ शब्द सिर्फ कहने के लिए नहीं होना चाहिए। वह चरितार्थ भी दिखना चाहिए। आगामी एक जनवरी 2024 से नियमों में बदलाव हो जाएगा। लोग जब रजिस्ट्री करवाएंगे, उसके साथ ही अपने आप नामांतरण भी हो जाएगा। रजिस्ट्री कराने के बाद 15 दिन के अंदर अपने आप नामांतरण भी हो जाएगा। अभी तक लोगों को नामांतरण कराने के लिए अलग से भटकना होता है और रिश्वत लेने के मामले सामने आते रहे हैं रजिस्ट्री करवाने के बाद नामांतरण में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की गुंजाईश होती है। अब जनता को इस समस्या से निजात मिलेगी। दफ्तरों की चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।
बिना झंझट होगा जनता का काम।
ज्ञात हो कि इस समय साइबर तहसील पूर्णत: कंप्यूटर से स्वचलित प्रक्रिया बनाया जा रहा है। इस प्रक्रिया से किसानों को लाभ होगा। जैसे ही व्यक्ति रजिस्ट्री करवाएगा तो 15 दिन बाद स्वत: ही नामांतरण हो जाएगा। संबंधित व्यक्ति को उसके फोन नंबर पर एसएमएस, वाट्सएप और ईमेल से अंतिम आदेश की सत्यापित प्रतियां उपलब्ध करा दी जाएंगी। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार सभी 55 जिलों में साइबर तहसील बनाएगी। पूरा काम आनलाइन तरीके से होगा। 1 जनवरी 2024 से साइबर तहसील सक्रिय हो जाएंगी।
अभी सिर्फ 12 जिलों में हैं साइबर तहसील।
मध्य प्रदेश में अभी तक साइबर तहसील की परियोजना प्रदेश के 12 जिलों इंदौर, सागर, डिंडौरी, हरदा, ग्वालियर, आगर-मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा दतिया, सीहोर और उमरिया में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम कर रही थी। लेकिन नए साल 2024 में 1 जनवरी से पूरे मध्यप्रदेश में यह लागू हो जाएगी जहां साइबर तहसील के तहत आईजीआरएस (ई-रजिस्ट्री), वेबजीआईएस (भू-संपदा), रेवेन्यू केस मैनेजमेंट (आरसीएमएस) और सारा (लैंड रिकॉर्ड) के सॉफ्टवेयर को मिलाकर एक तंत्र बनाया जाता है। इसके बाद कृषि भूमि की रजिस्ट्री के बाद अपने आप नामातंरण हो जाएगा।
रिश्वत और धोखाधड़ी से मिलेगी निजात।
रजिस्ट्री और तहसील कार्यालय में होने वाली धोखाधड़ी से अब नागरिकों को राहत मिलेगी ऐसा माना जा रहा है गौर तलब है कि रजिस्ट्री विभाग में रजिस्ट्री के दौरान भी एक तरफ जहां धोखाधड़ी की जाती रही है तो वही इसके बाद नामांतरण के लिए कई वर्षों तक नागरिकों को तहसील के चक्कर काटने पड़ते थे यहां तक कि कई ऐसे लोग है जिनकी वर्षों तक रजिस्ट्री होने के बाद भी नामांतरण नहीं हुआ और राजस्व न्यालय में लंबी रकम रिश्वत में ले देकर राजस्व विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार की जनता भेंट चढ़ती रही है अब इस तरह से नियम आने के बाद रजिस्ट्री और फिर नामांतरण में पारदर्शिता होनी की पूरी संभावना है इसके साथ ही राजस्व और रजिस्ट्री विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार से जनता मुक्त भी होगी।