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Rewa MP:थोड़ी सी बारिश में नेहरू नगर बन जाता है टापू!

Rewa MP:थोड़ी सी बारिश में नेहरू नगर बन जाता है टापू!

 

 

 

 

रीवा. शहरी क्षेत्र के कई हिस्सों में बारिश के समय जलभराव की समस्या बनती है, लेकिन टाउन प्लानिंग के अंतर्गत बसे नेहरू नगर की स्थिति तो अलग ही है। यहां का एक बड़ा हिस्सा हर बार थोड़ी सी बारिश में ही टापू बन जाता है। यह प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। जबसे नेहरू नगर बसा, तब से यह समस्या बनी है, लेकिन नगर निगम आज तक इसका तोड़ नहीं निकाल पाया है।

 

 

 

 

 

पिछले दिनों हुई बारिश में एक बार फिर नेहरू नगर का आधा हिस्सा कृत्रिम बाढ़ से प्रभावित हो गया। यहां कृत्रिम बाढ़ की वजह घरों में पानी भर जाना, सड़कों के ऊपर पानी बहना, जल निकासी का उचित प्रबंधन नहीं होना है। इसे प्रशासनिक बद इंतजामी भी कहा जा सकता है। एक माह के अंदर तीसरी बार कृत्रिम बाढ़ के चलते घरों और दुकानों में पानी भर गया है। बीती 12 जुलाई के बाद इधर 17 जुलाई की सुबह भी जल भराव की स्थिति से जीवन अस्त व्यस्त रहा। नेहरू नगर में नदी की बाढ़ कभी नहीं आई, लेकिन यहां कृत्रिम बाढ़ का खतरा बना रहता है। इसकी असली वजह प्रशासन नहीं खोज पा रहा है।

 

 

 

 

200 मीटर में पांच पुलिया फिर भी जलभराव

नेहरू नगर क्षेत्र में सड़कें ऊंची कर दी गई हैं, जिसके चलते अनेक घर नीचे हो गए हैं। 200 मीटर के अंदर पांच पुलिया होने के बावजूद बरसाती पानी के बहाव की क्षमता नहीं है। यहां नालियों का जाल बिछा है मगर इन नालियों में सही बहाव नहीं रहने से हमेशा पानी भरा रहता है। वहीं मुख्य सड़क की पुलिया में पेयजल की काफी मोटी पाइप लाइन पड़ी है। इससे पानी का बहाव अवरुद्ध होता है।

 

 

 

 

 

नेहरू नगर में काफी दूर तक का बरसाती पानी आता है, जिसका अधिकांश पानी एक तरफ बहाए जाने के कारण जल भराव की समस्या होती है। आगे का रास्ता संकरा होने के कारण समय रहते पानी नहीं निकल पाता और वापस होकर घरों में भरने लगता है। नेहरू नगर की बसाहट ढलान पर है। लेकिन निकासी नहीं होने से समस्या जस की तस बनी है।

 

उल्टी दिशा में बना दी नाली
नेहरू नगर के जिस क्षेत्र में पानी भरता है, वह रीवा सुधार न्यास की योजना के अंतर्गत बसाया गया है। सुधार न्यास ने जिस दिशा से नाली और सडक़ बनाई थी, वहां पर अतिक्रमण हो गया। उसे खाली कराने की जगह दो वर्ष पहले नगरीय प्रशासन ने पानी निकासी के लिए उलटी गंगा बहा दी। जिस दिशा से कभी पानी नहीं आता था, उधर नाली का निर्माण करा दिया, इस कारण बरसात के समय में पानी वापस घरों में भरने लगा।

अजय खरे, स्थानीय रहवासी

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