MP news- रीवा राजघराने की राजगद्दी पर क्यों नहीं बैठते महाराज, जानिए क्या है इस रहस्य का सच।

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MP news- रीवा राजघराने की राजगद्दी पर क्यों नहीं बैठते महाराज, जानिए क्या है इस रहस्य का सच।

पांच सौ वर्षों से राजगद्दी पर नहीं बैठते रीवा महाराजा तो फिर राजगद्दी पर कौन हो रहा विराजमान।

विराट वसुंधरा, रीवा।। इस समय पूरे देश में राम लहर है और आगामी 22 जनवरी को एक ओर जहां पांच सौ वर्षों के लम्बे जद्दोजहद के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के नवनिर्मित भव्य मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत पूजा-पाठ के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे, वहीं दूसरी और भारत के तमाम राज्घरानो में इकलौता रीवा राजघराना है जहां की राजगद्दी पर राजाधिराज भगवान श्री राम विराजे हैं,यह परंपरा देश में अन्यत्र कहीं नहीं है,और यह परम्परा होने का कारण भी है अगर रीवा राज्य की बात की जाय तो पांच सौ वर्षों पूर्व देश के पश्चिमी हिस्से वर्तमान में गुजरात प्रदेश से आये ब्याग्रदेव सिंह विंध्य भूभाग में बांधवगढ़ पहुंच क़िले का निर्माण करा यहां काबिज हुए।

वहीं पौराणिक कथाओं में वर्णित जब भगवान श्री राम को वनवास हुआ तब देश को  हिस्सों में बांटकर भगवान श्री लक्ष्मण,भरत, व शत्रुघन जी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी भरत जी को अयोध्या की राजगद्दी सौंपी गई तो भरत जी ने प्रभू श्री राम जी की खड़ाऊं को राजगद्दी पर रखा गया वहीं लक्ष्मण जी को मध्य भारत से लेकर दक्षिण के पठार तक का हिस्सा जहां घने जग जंगल ,आतताई व खतरनाक जानवर रहे यह हिस्सा लक्ष्मण जी को मिला और पौराणिक कथाओं के अनुसार इस भू-भाग को लक्ष्मण जी का हिस्सा माना गया ,और लक्ष्मण जी के अराध्य प्रभू श्री राम जी ही हैं ,यह जानकारी पश्चिम दिशा से विंध्य आये राजा ब्याग्रदेव सिंह को रही और इन्हीं तथ्यों के अनुसार लक्ष्मण जी के हिस्से में बांधवगढ़ को अपनी राजधानी बनाया और अपने राज्य के राज सिंहासन पर खुद न बैठकर लक्ष्मण जी के अराध्य राजाधिराज भगवान श्री राम जी को बैठाया गया।

और यह गौरवशाली परंपरा रीवा राज्य के प्रथम महाराज से लेकर वर्तमान महाराज पुष्पराज सिंह जो रीवा राज्घराने के पैंतीसवीं पीढी के महाराजा है यह जारी वहीं छत्तीसवीं पीढ़ी के युवराज दिव्यराज सिंह है यह अनोखी मिसाल और परंपरा के चलते सरयू नदी पार विन्ध्य का भू भाग चित्रकूट से लेकर दक्षिण तक का पठार धन-धान्य प्रकृति,वन खनिज वजल जंगल से भरपूर रहा और यहां हमें शान्ति और सद्भाव से पूर्ण है और यहां प्रभू श्रीं राम की कृपा बनीं है वहीं श्री लक्ष्मण जी के इस भू-भाग पर विगत दो सौ वर्ष पूर्व महाराजा रघुराज सिंह द्वारा बिछिया नदी तट पर लक्ष्मण बाग संस्थान स्थापित किया गया है जहां प्रभू श्री राम जी के साथ ही चारों थाम के भगवान स्थापित है और लोगों की आस्था का बड़ा केन्द्र है महराजा पुष्पराज सिंह, रीवा राज्य के सिंहासन पर कुल की परंपरा के अनुसार राज्य गद्दी पर राजाधिराज प्रभू श्रीराम जी को विराजा गया है और विजयादशमी पर पूजा अर्चना की जाती है।

👉लेखक राकेश येगल वरिष्ठ पत्रकार,

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