मध्य प्रदेश

MP news, सीधी जिले में अंधाधुंध जारी है अवैध रेत खनन माफियाओं पर नहीं कसी जा रही नकेल, नोट के नज़राने से जिम्मेदार बने हैं गांधी जी के बंदर।

MP news, सीधी जिले में अंधाधुंध जारी है अवैध रेत खनन माफियाओं पर नहीं कसी जा रही नकेल, नोट के नज़राने से जिम्मेदार बने हैं गांधी जी के बंदर।

जानलेवा है ओव्हरलोड रेत परिवहन, हो चुकी है बड़ी सड़क दुर्घटनाएं।

मध्यप्रदेश के सीधी जिले में रेत कारोबारियों द्वारा खुलेआम नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए प्रशासन के दावों की अनदेखी कर दिनदहाड़े ओव्हरलोड रेत परिवहन किया जा रहा हैं, खनिज विभाग राजस्व विभाग,सोनघडि़याल ,वन, पुलिस और समस्त प्रशासनिक अमले की मिलीभगत से ,वेख़ौफ़ होकर गांवों व शहर की सड़कों पर बेखौफ दौड़ते नजर आते हैं।इन भारी -भरकम डम्फरों व बड़े-बड़े हाईवा में कई घनमीटर ओव्हरलोड़ रेत लेकर दौड़ने से सड़कों का कचूमर निकल रहा हैं। आये दिन हो रहे सड़क हादसों का कारण भी बनते हैं और नोट की गड्डियों के नजराने के कारण समूचा प्रशासनिक अमला गांधी जी के बंदरों जैसा आचरण करते हुए इन डंपर ऑपरेटरों और रेत कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करते।

सीधी जिले में रेत कारोबार का ठेका नेशनल एनर्जी एंड ट्रेडिंग सर्विसेज को मिला है जिसके आधीन 18 रेत खदानें स्वीकृत हैं। इनमे– डोल, टिकरी,पोड़ी,भुमका ,गोतरा आदि वैध तो इससे अधिक अवैध खदानें संचालित हैं।

रेत कारोबारी व अधिकारी मालामाल तो, सरकार ले रही कर्ज पर कर्ज।

बालू का कारोबार करने वाले व अधिकारी रातों-रात अमीर बन रहे हैं तो म.प्र.सरकार दिन प्रतिदिन कर्ज पर कर्ज लेने विवस है। एक डंम्फर में औसतन 15-16 घन मीटर रेत परिवहन का पिट पास जारी कर इन भारी भरकम हाइवा-डम्फरों मे लगभग 7-8 फिट की ऊँचाई तक पटरे लगाकर बालू भराई जाती है जिससे औसतन 5-6 घन मीटर रेत की अधिक निकाली जाती है।अब सवाल यह है कि क्या 5-6 घन मीटर अतिरिक्त रेत की रॉयल्टी शासन को चुकाई जाती है ? नही। इस ओव्हरलोड रेत परिवहन से प्रति डंपर लगभग तीन चार हजार रुपये की रॉयल्टी चोरी तो होती ही है,दूसरी ओर ओभर लोड परिवहन के कारण जिले भर की सड़कें खस्ताहाल हो गई।

शासन को राजस्व का हो रहा नुकसान।

सीधी जिले की इन वैध अवैध खदानों से लगभग 2 से 3 सौ ओभर लोड डंम्पर प्रतिदिन निकलते हैं यानी सीधी रेत खदान से सरकार को प्रतिदिन लगभग साढ़े 4-पांच लाख रुपये और हर माह दो – तीन करोड़ रुपये के राजस्व की चपत का नुकसान माना जा सकता है।जिले की इन अवैध खदानों से बेखौफ हो कर खनन व परिवहन बेरोक टोक जारी है, यहाँ से निकलने वाली रेत से ओव्हरलोड डंपरों ट्रकों व ,हाइवा के माध्यम से केवल अतिरिक्त रेत के आंकड़ों को गौर किया जाय तो हर माह की रेत राजस्व हानि का आंकड़ा लगभग 3-4 कड़ोर रुपयों से अधिक का हो जाता है। इन ओव्हरलोड वाहनों के पकड़े जाने के बाद टी.पी. पर्ची और वजन की जांच के दौरान राजस्व आंकलन के दौरान घन मीटर में निकाली गई बालू का आंकलन वजन से मापा जाता है और यही मिली भगत की प्रक्रिया को अमली जामा पहना दिया जाता है, और पुलिस द्वारा टन में क्षति का आंकलन किया जाता है । सड़कं पर फर्राटा मार रहे वाहन चालकों राहगीरों की आंखों में जब बालू के कण पड़ जाते हैं तभी घटित होती है भयानक दुर्घटना और कई जाने चली जाती है। वहीं दूसरी ओर इन ओवरलोड वाहनों के कारण सड़कें नष्ट होती जा रही हैं,और सड़कों की खराबी के कारण भी आये दिन होंने वाली दुर्घटनाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

पुलिस के पैनी नजर पर सबकी नजर।

नवागत पुलिस महानिरीक्षक के सीधी दौरे से जिलेवासियों में आस जगी है क्योंकि खनिज संपदा के दोहन पर सीधी पुलिस की पैनी निगाह रहेगी ऐसा बयानसामने आया था अब देखना यह है कि स्थानीय पुलिस की नजर कितनी पैनी है जनता की भी नजरें पुलिस की पैनी नजर पर टिकी हुई है।

 

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